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आयकर विभाग की सख़्ती, फर्जी रेंट स्लिप बन सकती है मुसीबत

अब फर्जी हाउस रेंट स्लिप दिखाकर टैक्स बचाने वाले लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती है। दरअसल टैक्स बचाने के लिए अक्सर लोग फर्जी रेंट स्लिप का सहारा लेते हैं।

Updated on: 06 Apr 2017, 07:22 AM

नई दिल्ली:

अब फर्जी हाउस रेंट स्लिप दिखाकर टैक्स बचाने वाले लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती है। दरअसल टैक्स बचाने के लिए अक्सर लोग फर्जी रेंट स्लिप का सहारा लेते हैं। लेकिन अब ऐसा करना मुसीबतें पैदा कर सकता है। 

क्योंकि अब आयकर विभाग टैक्स क्लेम के समय आपके रेंट स्लिप की जगह किराए पर रहने का ठोस सबूत मांग सकता है। ख़बरों के मुताबिक आयकर विभाग आपसे रेंट रसीद की जगह यह सबूत भी मांग सकता है कि आप उसी पते पर रहते हैं और वास्तविक किराएदार हैं। 

इसके लिए आयकर विभाग मकान मालिक के साथ लीव एंड लाइसेंस एग्रीमेंट, हाऊसिंग सोसायटी को लिखा गया पत्र, बिजली या पानी के बिल की कॉपी जैसे सबूत मांग सकता है।

इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल के नए नियमों ने नौकरीपेशा कर्मचारियों के क्लेम पर विचार करने और अगर जरूरी हो तो सवाल करने के लिए आकलन अधिकारियों के लिए कुछ नियम तय कर दिए हैं।

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इसके बाद अब अगर आयकर अधिकारी को लगता है कि जमा की गई रेंट स्लिप नकली तो वो उसकी गहनता से जांच कर सकते हैं। अब किराया देने की बात साबित करने का जिम्मा जमा करने वाले पर होगा। 

अभी एचआरए छूट के यह हैं नियम

कोई भी सैलरी क्लास कर्मचारी रेंट रसीद देकर रेंट हाउस अलाउंस का 60% तक का टैक्स बचा सकता है।

क्यों लिया यह फैसला?

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कर्मचारियों को एचआरए रिलायंस के मामलों को हल्के में लेने के चलते आय़कर विभाग ने यह कदम उठाया है। दरअसल कई बार परिवार में रहने के बावजूद कर्मचारी अलग से किराए की स्लीप दिखा कर एचआरए क्लेम कर देते हैं।

कुछ मामलों में किरायेदार होने पर भी लोग किराए की रकम एचआरए का पूरा फायदा लेने के लिए रकम बढ़ाचढ़ा दिखा देते हैं।

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