बजट 2018: सरकार को गरीबों से प्यार, मिडिल क्लास पर टैक्स और महंगाई की मार
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले अपने अंतिम पूर्म बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सबसे ज्यादा ध्यान ग्रामीण आबादी, खेती और गरीबों के स्वास्थ्य बीमा पर दिया है।
नई दिल्ली:
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले अपने अंतिम पूर्म बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सबसे ज्यादा ध्यान ग्रामीण आबादी, खेती और गरीबों के स्वास्थ्य बीमा पर दिया है। इसके साथ ही सरकार ने थोड़ी राहत देश के नौकरीपेशा वर्ग और वरिष्ठ नागरिकों को भी दी है।
लोकसभा में अपना पांचवा आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री जेटली ने स्वास्थ्य और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए टैक्स के दायरे में आने वाले आय पर सेस (उपकर) को 3 फीसदी से बढ़ाकर चार फीसदी कर दिया है।
इसके साथ ही इस बजट में लोगों की सामाजिक सुरक्षा और सामाजिक कल्याण से जुड़े फंड के लिए 10 फीसदी सरचार्ज लगाने की योजना को उन्होंने प्रस्तुत किया।
उद्योग जगत को राहत देते हुए वित्त मंत्री ने छोटे, सूक्ष्म और मध्यम उद्योगों के लिए उसे कॉर्पोरेट टैक्स को 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी कर दिया।
हालांकि इसका फायदा सिर्फ उन्हीं उद्योगों को मिलेगा जिनका सालान टर्न ओवर 250 करोड़ रुपये से अधिक है। वहीं इस बजट में सरकार ने एक लाख रुपये से ऊपर के शेयर्स पर मिलने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर फिर से टैक्स लगाने का फैसला किया है।
देश में केवल 250 कंपनियां हैं, जिनका सालाना कारोबार 250 करोड़ रुपये से अधिक है। साथ ही कंपनियों के लिए भी आधार कार्ड बनाने का प्रावधान किया गया है। इसके दायरे में देश की करीब 99 फीसदी तक कंपनियां आएंगी।
इस बजट में सरकार ने इनकम टैक्स स्लैब में तो कोई बदलाव नहीं किया लेकिन नौकरीपेशा लोगों को 40000 हजार रुपये तक का स्टैंडर्ड डिडक्शन दिया है। यह छूट सरकार ने नौकरी पेशा लोगों को परिवहन और चिकित्सा खर्चों के लिया दिया है।
केंद्र सरकार ने इस बजट में देश के वरिष्ठ नागरिकों के लिए बैंक में जमा पैसों पर मिलने वाले ब्जाय पर टैक्स छूट की सीमा को 10 हजार से बढ़कार 50 हजार रुपये कर दिया है। इस साथ ही फिक्स डिपोजिट भी अब इन्हें टैक्स नहीं देना होगा।
व्यक्तिगत कर दाताओं से परिवहन और मेडिकल पुनर्भुगतान की सुविधा छीन ली गई है। इसके बदले 40,000 रुपये की मानक कटौती का लाभ दिया जाएगा।
स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम पर खर्च की जानेवाली रकम पर कर छूट की सीमा 30,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दी गई है। वहीं, निजी आयकर पर सेस को तीन फीसदी से बढ़ाकर चार फीसदी कर दिया गया है।
अपने 110 मिनट के भाषण में वित्त मंत्री जेटली ने गंभीर बीमारियों के लिए मेडिकल खर्चे की लिमिट को भी 1 लाख रुपये तक करने का ऐलान किया है।
बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री जेटली ने कहा, 1 लाख रुपये से ज्यादा के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर 10 फीसदी टैक्स लगाया जाएगा।
हालांकि जिन लोगों ने 31 जनवरी तक इस पर मुनाफा कमा लिया है उन्हें कोई टैक्स नहीं देना होगा। 1 फरवरी से इस पर टैक्स लगेगा।
वहीं इक्विटी वाले म्युचुअल फंड से होने वाले आय पर भी इस बजट में 10 फीसदी टैक्स लगाने का भी फैसला लिया गया है।
इस बजट में एक्साइज ड्यूटी और सर्विस टैक्स को जीएसटी में ही शामिल किया गया है लेकिन मोबाइल फोन और कच्चे काजू पर एक्साइज ड्यूटी को बढ़ाया गया है।
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इस बजट में सरकार का सबसे ज्यादा जोर खेती और ग्रामीण भारत को मजबूत करने पर रहा है।
सरकार ने एक स्वास्थ्य बीमा की घोषणा की है, जिसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण सेवा नाम दिया गया है। इसके तहत प्रति परिवार को पांच लाख रुपये इलाज के लिए मिलेंगे।
इस योजना के तहत सरकार ने 10 करोड़ गरीब परिवारों को लाने का लक्ष्य रखा है। इस योजना पर सरकार 4,000 करोड़ रुपये व्यय करेगी। वित्तमंत्री ने इस योजना को दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना करार दिया है।
जेटली ने इसके अलावा मोबाइल फोन पर सीमा शुल्क 15 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया है। साथ ही टीवी और उसके पूर्जो पर 15 फीसदी का सीमा शुल्क लगेगा।
आगामी वित्त वर्ष 2018-19 में केंद्र सरकार ने विनिवेश के जरिए 80,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है, जोकि चालू वित्त वर्ष के अनुमान 72,500 रुपये के मुकाबले करीब 10 फीसदी ज्यादा है।
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