डिजिटल डिटॉक्स का विज्ञान: जब दिमाग कहता है, 'बस अब नहीं'

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IANS
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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 13 नवंबर (आईएएनएस)। दिन की शुरुआत मोबाइल की स्क्रीन से और सोने से पहले भी उसके साथ घंटों बिताना आधुनिक जीवन का अहम शगल बन गया है। औसतन एक व्यक्ति रोजाना 6 से 7 घंटे स्क्रीन पर बिताता है, और यही आंकड़ा धीरे-धीरे मानसिक स्वास्थ्य के लिए नई चुनौती बनता जा रहा है। हार्वड मेडिकल स्कूल की 2025 की एक रिपोर्ट बताती है कि अत्यधिक स्क्रीन टाइम मस्तिष्क के रिवॉर्ड सर्किट को बदल देता है। ये वही हिस्सा है जो खुशी, प्रेरणा और आपकी एकाग्रता को नियंत्रित करता है।

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डोपामिन, जिसे फील-गुड हार्मोन कहा जाता है, हर लाइक, नोटिफिकेशन और वीडियो स्क्रॉल पर बढ़ता है। लेकिन लगातार देखने से दिमाग इसकी आदत डाल लेता है, और फिर जब फोन दूर रखा जाता है तो बेचैनी, थकान या मूड स्विंग महसूस होते हैं। डब्ल्यूएचओ की हालिया डिजिटल वेलबिइंग 2025 रिपोर्ट में इसे डोपामिन ओवरलोड कहा गया है यानी खुशी के लिए मस्तिष्क को बार-बार बाहरी स्टिम्युलस की जरूरत।

यही कारण है कि डिजिटल डिटॉक्स अब सिर्फ फैशन नहीं, बल्कि जरूरत बन गया है। रिसर्च बताती है कि लगातार 3 दिन का स्क्रीन ब्रेक नींद के पैटर्न को 40 फीसदी तक सुधार सकता है और तनाव हार्मोन कोर्टिसोल को औसतन 25 फीसदी घटा देता है। यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न के न्यूरोसाइंटिस्ट्स ने इसे ब्रेन रीसेट की स्थिति कहा है।

कई देशों में अब स्क्रीन फ्री संडे जैसी मुहिमें चल रही हैं। जापान के स्कूलों में “साइलेंट आवर” शुरू हुआ है, जहां छात्र दिन में एक घंटा बिना किसी डिवाइस के बिताते हैं। भारत में भी आईटी कंपनियां डिजीटल रीसेट वीक का ट्रायल कर रही हैं ताकि कर्मचारियों की उत्पादकता और नींद में सुधार हो।

डिजिटल डिटॉक्स का उद्देश्य तकनीक से भागना नहीं, बल्कि उसके साथ एक स्वस्थ रिश्ता बनाना है। विशेषज्ञ कहते हैं कि शुरुआत छोटी होनी चाहिए — सुबह उठते ही 30 मिनट तक फोन न देखें, रात को सोने से एक घंटे पहले स्क्रीन बंद करें, और हर 2 घंटे में 10 मिनट ऑफलाइन टाइम लें।

क्योंकि सच्चाई यह है कि हमारा दिमाग 24 घंटे ऑनलाइन रहने के लिए नहीं बना। जब हम लगातार स्क्रॉल करते हैं, तो वह हमें खुश नहीं बल्कि खाली करता है।

--आईएएनएस

केआर/

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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