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आखिर कितना सार्थक साबित होगा केजरीवाल सरकार की मेट्रो और बस में फ्री सफर की योजना, पढ़ें पूरी खबर

दिल्ली सरकार को 700 से 800 करोड़ रुपये खर्च का भार उठाना होगा, वहीं एक्सपर्ट का कहना है कि यह लागत 1500 से 2 हजार करोड़ तक पहुंच सकता है

Updated on: 05 Jun 2019, 06:34 AM

नई दिल्ली:

दिल्ली के मु्ख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अपने कार्यकाल के अंतिम समय में महिलाओं को तोहफा दिया है. महिलाएं दिल्ली मेट्रो और डीटीसी बस में फ्री में यात्रा करेंगी. यह योजना सिर्फ महिलाओं के लिए है. पुरुष को इस योजना से वंचित रखा गया है. इस तोहफा से दिल्ली में महिलाओं के बीच खुशी की लहर है. बता दें कि साल 2018 के आखिरी में यूरोप का बहुत ही धनी देश luxumburg जो यूरोपीय यूनियन का भी सदस्य है. उसने घोषणा किया था कि देश में पब्लिक ट्रांसपोर्ट फ्री होगा. उसकी यह योजना मेल, फीमेल, बच्चे और बूढ़े सबके लिए थी.

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अब यही सेम पॉलिसी दिल्ली में महिलाओं के लिए लाई जा रही है. इसके लिए दिल्ली सरकार को 700 से 800 करोड़ रुपये खर्च का भार उठाना होगा. वहीं एक्सपर्ट का कहना है कि यह लागत 1500 से 2 हजार करोड़ तक पहुंच सकता है. वहीं इस बार दिल्ली सरकार का वर्तमान बजट 60, 000 करोड़ रुपये का था. अब सवाल यह है कि क्या इस योजना को दिल्ली में लागू करने की जरूरत है ? क्या दिल्ली सरकार को ऐसा करना चाहिए ? क्या इस योजना को लेकर हम तैयार हैं ? इस योजना के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव के बारे में आपको बता रहे हैं कि यह योजना कितना सही है और कितना गलत?

Automatic Fare Collection (AFC)

इस योजना को लागू करने में तकनीकी समस्या बहुत बड़ी अर्चन साबित हो सकती है. यह स्टेशन पर प्रवेश और निकास से संबंधित है. मौजूदा समय में AFC गेट का साफ्टवेयर सब्सिडी के अनुकूल अपडेट नहीं है. इस वजह से महिला यात्री को निशुल्क प्रवेश देना आसान नहीं होगा.

Centre Vs State (केंद्र बनाम राज्य)

दिल्ली मेट्रो का मालिक DMRC (दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन) है. जिसमें दिल्ली सरकार की 50 प्रतिशत और केंद्र सरकार की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी है. यह योजना केंद्र सरकार से पूछे बगैर लागू किया जा रहा है. केंद्र सरकार अगर यह कह देगी कि यह आइडिया अच्छा नहीं है तो वह दिन दूर नहीं केजरीवाल फिर से कहने लगेंगे कि मैं अच्छा करने की कोशिश करता हूं. वो करने नहीं दे रहे. इससे पॉलीटिकल कंट्रोवर्सी खड़ा हो सकता है.

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किराया निर्धारण कमिटी (Fare making committee)

किराया निर्धारण कमिटी का गठन केंद्र सरकार करती है. कमिटी के सिफारिश के आधार पर बोर्ड किराये पर विचार करता है. कमिटी पर सबकुछ निर्भर करेगा कि केजरीवाल के लिए कितना सही होगा.

दिल्ली एनसीआर मेट्रो (Delhi NCR Metro)

मेट्रो की पहुंच दिल्ली एनसीआर तक है. केजरीवाल सरकार ने घोषणा की है कि दिल्ली में मेट्रो का किराया मुफ्त होगा, तो क्या गुड़गांव, नोएडा और गाजियाबाद जाने वाली महिला यात्री को अलग से टोकन लेना होगा.

700 से 800 करोड़ रुपये का खर्च

इस योजना को लागू करने में करीब 700 से 800 करोड़ रुपये खर्च होने के अनुमान है. वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि यह खर्च 1500 से 2 हजार करोड़ रुपये तक जा सकता है. इतने पैसे से सरकार दिल्ली में मूलभूत समस्याओं का समाधान कर सकती है. जो लोगों के लिए स्थायी समस्या बनी हुई है.

पर्यावरण हितैषी

अभी दिल्ली मेट्रो में कुल 25 प्रतिशत महिलाएं यात्रा करती हैं. वहीं डीटीसी बस में कुल 20 प्रतिशत महिलाएं यात्रा करती हैं. बांकी ऑटो, बाइक और कार से यात्रा करती हैं. निशुल्क यात्रा होने से महिलाएं पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करेंगी. जाहिर है कि इससे दिल्ली में प्रदूषण कम होगा. जो दिल्ली की बड़ी समस्या बनी हुई है.

केजरीवाल और एलजी के बीच टशन

दिल्ली सरकार अपने बजट का 85 प्रतिशत ही इस्तेमाल कर पाती है. पहले की सरकार 93 प्रतिशत तक बजट का इस्तेमाल करती थी. दिल्ली सरकार और एलजी के टशन के चलते कई सारे प्रपोजल क्लीयर हो नहीं पाते.

luxumburg और Delhi

luxumburg की संख्या 6 लाख हैं. यहां बसें पूरी है. दिल्ली की जनसंख्या 2 करोड़ से ज्यादा है. यहां बसों की बहुत कमी है. 3 से 4 हजार बसों की अभी जरूरत है.

मेट्रो में और भीड़ बढ़ेगी

दिल्ली में डीटीसी की हालत पहले सी ही खराब है. लोग लटक-लटक कर सवारी करते हैं. मेट्रो में भी बहुत भीड़ होती है. निशुल्क यात्रा होने की वजह से लोड बहुत ही ज्यादा पड़ने वाला है.

Gender Disparity Policy

इस योजना में जेंडर असमानता देखने को मिल रही है. जर्मनी में भी बात चल रही है, लेकिन वहां सबके लिए बात हो रही है.

देखना दिलचस्प होगा कि इतने सारे दिक्कतों के बावजूद केजरीवाल सरकार कहां तक सफल हो पाते हैं और महिलाओं को इस योजना का लाभ कितने दिनों बाद मिलेगा. हालांकि विपक्ष ने इसे पॉलीटिकल स्टंट बता रहे हैं. उनका मानना है कि जो सरकार मेट्रो की बढ़ती किराया को कम नहीं कर सकी वो फ्री कैसे कर सकते हैं.