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दिल्ली: इलेक्ट्रिक बसों की खरीद में केजरीवाल सरकार ने किया घोटाला, बीजेपी ने किया दावा

दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर बीजेपी ने बस खरीदने के ठेके में 6 हज़ार करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया है. बीजेपी के दावों के मुताबिक यह घोटाला 1000 बसों की खरीद के लिए जारी टेंडर में हुआ है.

Updated on: 04 Mar 2019, 04:45 PM

नई दिल्ली:

दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर बीजेपी ने बस खरीदने के ठेके में 6 हज़ार करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया है. बीजेपी के दावों के मुताबिक यह घोटाला 1000 बसों की खरीद के लिए जारी टेंडर में हुआ है. जानकारी के मुताबिक इन बसों के लिए 6 बस डिपो बनाने की प्लानिंग हुई थी जिसके लिए 5 से 13 मेगावाट बिजली चाहिए. लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक न सिर्फ ईस्ट विनोद नगर बल्कि दूसरे डिपो बुराड़ी, तीसरा बामनोली नजफगढ़ और चौथा डिपो सराय काले खां में बनना था लेकिन एक जगह भी कोई काम शुरू तक नही हुआ है.

बीजेपी के दावों के मुताबिक दिल्ली सरकार के पास इन बसों के लिए ना तो ऊर्जा (बिजली) है ना ही बसें खड़ी करने की कोई जगह है. और जिन बसों का खरीदने का आदेश दिया गया है उसे 1 किलोमीटर चलने में 109 रुपये खर्च होंगे, 1 किमी में 80 रुपये का सरकार वहन करेगी. रिपोर्ट के मुताबित इन बसों में सब्सिडी को 7 बार बदला गया है कि किसे कितने पैसे चुकाने होंगे.

बीजेपी ने केजरीवाल सरकार से पूछा कि एक बस ढेड़ करोड़ की है. बस बनाने वाली दोनों ही कंपनियां चीन की है और इन्ही से बात करके बसों की खरीद हो रही है जबकि बसों को खड़ी करने की जगह ही सरकार के पास नहीं है. बीजेपी ने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा इन सभी बसों से डीटीसी का कोई लेना देना नही है. उन्होंने डीटीसी के मुकाबले एक और नेटवर्क खड़ा किया जा रहा है. बीजेपी ने बसों की खरीद पर सवाल उठाते हुए पूछा कि हमारा सवाल ये है कि एक साथ 1000 बसों के टेंडर का क्या मतलब है, पहले 100 मंगाते उसके बाद अगली खरीद की जाती. बीजेपी ने केजरीवाल सरकार को चुनौती देते हुए कहा, इस बस सौदे में डीटीसी को शामिल क्यों नहीं किया गया यह सरकार को मीडिया के सामने आकर बताना चाहिए.

बीजेपी ने बसों की खरीद में घोटाले का आरोप लगाते हुए कहा, शुक्रवार को कैबिनेट की मीटिंग थी, उस मीटिंग को स्थगित कर दिया गया. इनके झूठ के तथ्य सामने आ गए थे. तकनीकी समस्या बताकर मीटिंग को पोस्टपोंड किया गया.कैबिनेट नोट को चेंज किया गया. तथ्यों पर आधारित बात को नजरंदाज किया गया और टेंडर जारी कर दिया गया.