Advertisment

Narco Test को सबूत क्यों नहीं मानती अदालत, पुलिस क्यों अपनाती है यह प्रक्रिया?

Shraddha Walker Murder Case: दिल्ली के बहुचर्चित श्रद्धा हत्या कांड की गुत्थी लगातार उलझती जा रही है. पुलिस को सिवाय कुछ सुरागों के इस मामले में कोई पुख्ता सबूत हाथ नहीं लगा है, जिसकी बिना पर आरोपी आफताब अमीन पूनावाला को मुजरिम ठहराया जा सके

author-image
Mohit Sharma
एडिट
New Update
narco test

narco test ( Photo Credit : News Nation)

Advertisment

Shraddha Walker Murder Case: दिल्ली के बहुचर्चित श्रद्धा हत्या कांड की गुत्थी लगातार उलझती जा रही है. पुलिस को सिवाय कुछ सुरागों के इस मामले में कोई पुख्ता सबूत हाथ नहीं लगा है, जिसकी बिना पर आरोपी आफताब अमीन पूनावाला को मुजरिम ठहराया जा सके. पुलिस को शक है कि पूछताछ के दौरान आफताब झूठ बोल रहा है और जांच अधिकारी को गुमराह कर रहा है. यही वजह है कि पुलिस अब आफताब का नार्को टेस्ट कराना चाहती है. पुलिस ने इस संबंध में दिल्ली की एक अदालत में अर्जी दाखिल की थी, जिसको मंजूरी भी मिल गई है. लेकिन यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या अदालत नार्को टेस्ट को सबूत मानती है? तो इसका जवाब है नहीं. कोर्ट नार्को टेस्ट को सबूत के तौर पर नहीं मानती. अब बड़ा सवाल यह है कि फिर पुलिस क्यों किसी अपराधी का नार्को टेस्ट कराती है? आपके कुछ ऐसे ही सवालों का जवाब आज हम आपको देंगे.

नार्को टेस्ट को सबूत क्यों नहीं मानती कोर्ट

दरअसल, नार्को टेस्ट के दौरान निकलने वाली जानकारी या बयान को कोर्ट प्राथमिक साक्ष्य के तौर पर स्वीकार नहीं करती है. क्योंकि कुछ मामलों में नार्को टेस्ट के फेल्योर की आशंका भी बनी रहती है. विशेषज्ञ बताते हैं कि मानसिक रूप मजबूत अपराधी नार्को टेस्ट को भी मात दे सकते हैं. हालांकि ऐसा बहुत ही कम देखा जाता है. लेकिन इन्हीं कारणों के चलते अदालत नार्को से बाहर आई जानकारी के बतौर सबूत स्वीकार नहीं करती.

फिर पुलिस क्यों कराती है नार्को टेस्ट

जब पुलिस को किसी केस में लीड हाथ नहीं लगती और पूछताछ में आरोपी द्वारा सहयोग न करने. झूठ बोलने और गुमराह करने का शक रहता तो इस प्रक्रिया को अपनाया जाता है. इसका सही इस्तेमाल केस में साक्ष्यों की स्पष्ट तस्वीर सामने लाना होता है. इसके अलावा कोर्ट भले ही नार्को टेस्ट को साक्ष्य न मानती हो, लेकिन इस प्रक्रिया के दौरान बाहर आई जानकारी के आधार पर पुलिस के हाथ लगे सबूतों को साक्ष्य स्वीकार किया जाता है. उदाहरण के तौर पर श्रद्धा मर्डर केस में देखें तो नार्को टेस्ट के दौरान अगर आफताब वारदात में शामिल हथियार को छिपाने वाली जगह का खुलासा करता है तो इसको सबूत नहीं माना जाएगा. लेकिन अगर पुलिस इस सबूत को हासिल कर लेती है और कोर्ट में पेश कर देती है तो इसको सबूत माना जाएगा. मोटा-मोटी तौर पर देखें तो नार्को टेस्ट पुलिस को घटना से जुडे़ उन सबूतों तक पहुंचने में मदद करता है, जिनकों साक्ष्यों के रूप में कोर्ट में प्रस्तुत किया जा सके.

क्या होता नार्को टेस्ट

नार्को टेस्ट के ट्रुथ सीरम के नाम से भी जाना जाता है. इसका इस्तेमाल कुछ अनसुलझी आपराधिक गुत्थियों के सुलझाने में किया जाता है. इस प्रक्रिया के तहत एक सोडियम पेंटोथल, स्कोपोलामाइन और सोडियम अमाइटल जैसी दवा को बॉडी में इंजेक्ट किया जाता है. इन दवाओं को लेने के बाद व्यक्ति की चैतन्यता कम होती जाती है और वह सम्मोहक अवस्था में चला जाता है. इस अवस्था में शख्स की सोचने-समझने की शक्ति सिथिल पड़ जाती है और वह कुछ  छिपाने की स्थिति में नहीं रह जाता. ऐसे में वांछित जानकारी बाहर आने की संभावनाएं रहती हैं.

Source : Mohit Sharma

narco test permission aaftab amin shraddha polygraph test aftaab amin narco test Shraddha Walker Murder Case Narco Test kya hota hai नार्को टेस्ट क्या होता नार्को टेस्ट what is narco test who is shraddha walker polygraph test in hindi narco test in hindi
Advertisment
Advertisment
Advertisment