उत्तर प्रदेश में एक आरटीआई में मिली जानकारी से खुलासा हुआ है कि शिक्षा, चिकित्सा और बिजली सहित 6 ऐसे विभाग हैं जिनमें सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार होता है। यह आरटीआई डॉ. नूतन ठाकुर ने लगाई थी जिसके बाद यह सूचना सरकार की ओर से दी गई है।
सतर्कता आयोग ने 15 जनवरी, 2014 की अपनी बैठक में कहा था, 'शिक्षा, विद्युत, सिंचाई, लोक निर्माण तथा राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार निवारण के उद्देश्य से अपनाई गई प्रक्रिया का अध्ययन कर शासन को प्रस्ताव भेजा जाए।'
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इस जानकारी में यह भी सामने आया कि 'इसके लिए आयोग की तरफ से इन पांचों विभागों को पत्र भेजे गए, लेकिन कोई जवाब नहीं आया तो एक अक्टूबर, 2014 की बैठक में तय किया गया कि चिकित्सा विभाग में भी अत्यधिक भ्रष्टाचार है, इसलिए इन पांच विभागों के साथ इस विभाग में भी भ्रष्टाचार निवारण के प्रयासों का अनुसरण किया जाए।'
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उप्र सतर्कता आयोग की स्थापना केंद्रीय सतर्कता आयोग की तर्ज पर 1964 में की गई थी। इसमें चार वरिष्ठ आईएएस अफसर तथा सतर्कता निदेशक सहित कुल पांच सदस्य होते हैं। इसके कार्यो में भ्रष्टाचार पर कार्रवाई और नियंत्रण के संबंध में कार्ययोजना बनाना है।
नूतन ने सतर्कता आयोग को अपने कार्यो में पूरी तरह विफल और निष्क्रिय बताते हुए इसे सक्रिय किए जाने की मांग की है।
Source : IANS