'टैक्सी ड्राइवर' की सनक में छात्रा ने 14 हजार रुपये लेकर छोड़ा घर, फिर जानें क्या हुआ
मोबाइल गेम खेलते-खेलते नौ शहर पार कर गई लड़की ने रात में यात्रा की और दिन के दौरान शहरों में घूमी.
नई दिल्ली:
उत्तराखंड के पंतनगर से एक जुलाई को लापता हुई छात्रा कई शहरों में घूमी और दो सप्ताह बाद घर लौट आई. छात्रा मोबाइल गेम 'टैक्सी ड्राइवर 2' से प्रेरित होकर घर छोड़कर घूमने के लिए चली गई थी. उसका 'साहसिक कार्य' दिल्ली में तब समाप्त हुआ, जब एक पुलिस गश्ती दल ने कमला मार्केट इलाके में उसे घूमते हुए देखा और उससे उसके ठिकाने के बारे में पूछाताछ की. लड़की ने पहले दावा किया कि वह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एआईआईएमएस) में मेडिकल में पढ़ाई कर रहे अपने भाई से मिलने के लिए यहां आई है, लेकिन बाद में उसने असली कहानी बताई.
पुलिस को उसके पास से कागज का एक टुकड़ा मिला, जिस पर फोन नंबर लिखा हुआ था. फोन नंबर की मदद से उसके स्कूल की जानकारी मिली, जहां से पुलिस को पता चला कि वह 17 दिनों से गायब है. पुलिस ने उसके परिवार से संपर्क किया, जो उसे वापस ले जाने के लिए दिल्ली पहुंचे. पुलिस अधिकारियों के अनुसार, एक दक्षिण कोरियाई 3डी मोबाइल ड्राइविंग गेम 'टैक्सी ड्राइवर 2' खेलने के चलते लड़की ने यह कदम उठाया.
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गेम में खिलाड़ी एक टैक्सी के पहियों के पीछे निकलते हैं और अपने ग्राहकों के साथ एक विशाल महानगर तक दौड़ लगाते हैं. लड़की इसे अपनी मां के मोबाइल फोन पर खेला करती थी. 1 जुलाई को छात्रा ने 14 हजार रुपयों के साथ घर छोड़ा और वह ऋषिकेश, हरिद्वार, उदयपुर, जयपुर, अहमदाबाद और यहां तक कि पुणे की यात्रा तक कर आई.
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पुलिस ने कहा कि लड़की यू ही गंतव्यों को चुन रहती थी और 24 घंटों सातों दिन इधर-उधर जा रही थी. टैक्सी ड्राइवर 2 गेम में कैबी भी इसी प्रकार की हरकत करते हैं. छात्रा ने रात में यात्रा की और दिन के दौरान शहरों में घूमी.
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हालांकि, उसके परिवार ने इस बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है. लेकिन लड़की के एक दोस्त ने आईएएनएस से कहा कि वह एक अंतर्मुखी है और अपना अधिकांश समय वीडियो गेम खेलने में बिताती है.
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इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइड साइंसेज के निदेशक डॉ. निमेश देसाई ने कहा, "माता-पिता को चाहिए कि वह अंतर्मुखी किशोरों पर ध्यान दें. ऐसे बच्चों को आभासी दुनिया की तुलना में वास्तविक दुनिया में अधिक एक्सपोजर दिया जाना चाहिए. "
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