लड़की की चाहत में 'सरवना भवन' के मालिक राजगोपाल पहुंचा जेल, चेन्नई कोर्ट में किया सरेंडर

हत्या के आरोप में दोषी करार दिए जाने और आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद सरवना भवन रेस्टोरेंट समूह के मालिक पी. राजगोपाल ने मंगलवार को चेन्नई की एक कोर्ट में सरेंडर कर दिया, जिसके बाद उसे जेल भेज दिया गया.

हत्या के आरोप में दोषी करार दिए जाने और आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद सरवना भवन रेस्टोरेंट समूह के मालिक पी. राजगोपाल ने मंगलवार को चेन्नई की एक कोर्ट में सरेंडर कर दिया, जिसके बाद उसे जेल भेज दिया गया.

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Vineeta Mandal
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लड़की की चाहत में 'सरवना भवन' के मालिक राजगोपाल पहुंचा जेल, चेन्नई कोर्ट में किया सरेंडर

सरवना भवन के मालिक राजगोपाल ने किया सरेंडर (फोटो-IANS)

हत्या के आरोप में दोषी करार दिए जाने और आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद सरवना भवन रेस्टोरेंट समूह के मालिक पी. राजगोपाल ने मंगलवार को चेन्नई की एक कोर्ट में सरेंडर कर दिया, जिसके बाद उसे जेल भेज दिया गया. अपने कर्मचारी प्रिंस संतकुमार की हत्या के मामले में राजगोपाल को दोषी पाया गया है. राजगोपाल ने सर्वोच्च न्यायालय में सरेंडर करने के लिए समय देने की अर्जी लगाई थी. शीर्ष न्यायालय के इनकार करने के कुछ घंटों बाद ही उसने सरेंडर कर दिया.

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वह यहां अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की कोर्ट में एक ऑक्सीजन मास्क के साथ एक एम्बुलेंस में आया और व्हीलचेयर में न्यायाधीश के सामने पेश हुआ. इससे पहले चिकित्सा का हवाला देते हुए समय बढ़ाने की राजगोपाल की मांग को सर्वोच्च न्यायालय ने ठुकरा दिया.

शीर्ष कोर्ट ने राजगोपाल के वकील को फटकार लगाई कि अगर वह इतने बीमार थे, तो उन्होंने सुनवाई के दौरान अपनी बीमारी का जिक्र क्यों नहीं किया. कोर्ट ने उन्हें कोई राहत नहीं दी. 71 वर्षीय राजगोपाल ने यह भी मांग की कि उन्हें जेल भेजे जाने से छूट दी जाए और उनके अस्पताल में भर्ती होने को जेल की सजा समझा जाए, जिससे कोर्ट सहमत नहीं हुई. 

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देश और विदेशों में लोकप्रिय रेस्टोरेंटश्रं खला के संस्थापक राजगोपाल को एक सत्र कोर्ट ने संतकुमार की हत्या के आरोप में 10 साल जेल की सजा सुनाई थी. संतकुमार की पत्नी से वह शादी करके उसे अपनी तीसरी पत्नी बनाना चाहता था. जब महिला ने प्रस्ताव ठुकरा दिया, तो उसने उसके पति को मरवा दिया.

सत्र कोर्ट के निर्णय के खिलाफ उसने मद्रास उच्च न्यायालय में अपील की, लेकिन यहां उनकी सजा उम्रकैद तक बढ़ा दी गई. शीर्ष कोर्ट ने मार्च में सजा बरकरार रखी थी और उसे सात जुलाई को सरेंडर करना था.

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उसने बीमारी का हवाला देते हुए सात जुलाई को अपने कार्यकाल की शुरुआत में देरी के लिए सोमवार को शीर्ष कोर्ट का रुख किया, जहां से उसे निराशा ही हाथ लगी.

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