एमपी में जिसके आंतक का था खौफ, उस दुर्दांत बदमाश की तड़प-तड़प के मौत
मछली पकड़ने के विवाद में हुई गैंगवार के बाद मुख्तार करीब दो दिन तक जंगल में भागता रहा. भूख और प्यास के चलते उसे डिहाइड्रेशन हो गया.
highlights
- तत्कालीन CM सुंदर लाल पटवा को भी दी थी धमकी
- राजस्थान में हुए गैंगवार के बाद जंगल में मिला मृत
- जेल में थी आलीशान जिंदगी, जेलर तक को धमकाया
भोपाल:
मध्यप्रदेश औबेदुल्लागंज की गलियों से शुरू हुई आतंक की कहानी का आखिर राजस्थान में अंत हो गया. गैंगस्टर मुख्तार मलिक उर्फ जावेद खान के नाम की दहशत सिर्फ रायसेन और भोपाल ही नहीं पूरे प्रदेश में थी. मुख्तार मलिक पर अड़ीबाजी, धमकाने, हत्या, हत्या का प्रयास, बलात्कार के कितने ही मामले दर्ज थे. मुख्तार मलिक अवैध हथियारों का जखीरा भी अपने पास रखता था. एके 47 जैसे हथियार तक मुख्तार के पास हुआ करते थे. जुर्म की दुनिया का मुख्तार मलिक एक ऐसा नाम था, जिसके खौफ से न जाने कितने ही घर तबाह हो गए. भोपाल के लगभग हर थाने में मुख्तार के खिलाफ मामले दर्ज थे. जमीनों पर कब्जे, माडवाली, फिरौती और मादक पदार्थों की तस्करी में भी उसका हाथ था. पुलिस की नाक में दम करने वाले मुख्तार मलिक की मौत इतनी दर्दनाक होगी ये खुद उसने नहीं सोचा होगा. राजस्थान के झालावाड़ में बने भीमसागर बांध में मछली पकड़ने के विवाद में हुई गैंगवार में गैंगस्टर मुख्तार मलिक की मौत हो गई.
जंगल में बेसुध मिला मुख्तार
मछली पकड़ने के विवाद में हुई गैंगवार के बाद मुख्तार करीब दो दिन तक जंगल में भागता रहा. भूख और प्यास के चलते उसे डिहाइड्रेशन हो गया. जंगल में भागते-भागते उसके पैरों में छाले तक पड़ गए. मुख्तार को डायबिटीज और ब्लडप्रेशर की बीमारी भी थी. जंगल में बकरियां चराने गये बच्चों ने सबसे पहले उसे देखा जिसके बाद ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी. पुलिस जब जंगल पहुची तो उसकी सांसे चल रही थी, लेकिन अस्पताल जाने के बाद भी उसकी जान नहीं बच सकी.
मुख्यमंत्री को धमकी देने के बाद आया था चर्चाओं में
मुख्तार मलिक ने 1990 में तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदर लाल पटवा को भी धमकाया था, जिसके बाद सीएम की सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी. पटवा सरकार में पहली बार ऐसा मामला आया था जब किसी गैंगस्टर ने मुख्यमंत्री को सीधे धमकी दी थी.
अदालत में चलाई थी गोलियां
भोपाल की शहजहनाबाद स्थित जिला अदालत में मुख्तार मलिक और मुन्ने पेंटर गैंग के बीच ताबड़तौड फायरिंग हुई थी. करीब 30 राउंड दोनों तरफ से फायर किए गए थे, जिसमें एक पुलिस कर्मी सहित 3 गैंगस्टर भी मारे गए थे. वह तभी से सुखियों में आया था. इस वारदात में हाईकोर्ट ने मुख्तार मलिक आसिफ मामू को फांसी की सजा भी सुनाई थी. सजा सुनते ही मुख्तार मलिक, आसिफ मामू और मुन्ने पेंटर अदालत से फरार हो गए थे. बाद में इन्होंने खुद सरेंडर किया और अपील की सुनवाई में सभी बरी हो गए. सन 1996 में मुख्तार ने फिरौती के लिए तीन बच्चों को भी अगवा किया था. उस दौरान पुलिस ने मुठभेड़ हुई थी और मुख्तार के साथियों का एंनकाउंटर हुआ था और पुलिस ने बच्चों को छुड़ा लिया था.
जेल में रहता था आलीशान तरीके से
मुख्तार मलिक जेल में मोबाइल चलाने, नॉनवेज खाने, आलीशान तरीके से रहने जैसी कई सुविधाएं अपने तरीके से पूरी करता था. जेल से ही अपने काले कारनामों को अंजाम भी दिया करता था. इंदौर जेल में बंद रहने के दौरान उसने युवा डिप्टी जेलर को मुंहमांगा पैसा देने का ऑफर भी दिया था और एक जेलर को धमकी भी दी थी.
पत्नी को भोपाल से लड़ाया था सांसद का चुनाव
मुख्तार मलिक ने अपनी पत्नी शिबा को समाजवादी पार्टी से 2019 में सांसद का चुनाव भी लड़ाया था. भोपाल में दिग्गविजय सिंह, साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर भी इसी चुनाव में प्रत्याशी थे, जिसके बाद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने जीत दर्ज की थ
भोपाल में दंबग पुलिस अफसर ने निकाला था मुख्तार का जुलुस
बदमाश मुख्तार मलिक का दबंग पुलिस अफसर सलीम खान ने शहर की सड़कों पर जुलुस निकाल कर लोगों के मन से उसके आंतक को खत्म भी किया था. सिर्फ एक बार नहीं कई बार पुलिस ने मुख्तार मलिक का उसके घर रूस्तम खां के आहते से जुलूस निकाला था.
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