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गुरुग्राम में अमेरिकी नागरिकों को ठगने वाले फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़

गुरुग्राम पुलिस (Gurugram Police) ने सेक्टर-23 से संचालित किए जा रहे एक फर्जी कॉल सेंटर (Fake Call Center) का भंडाफोड़ किया है. आरोप है कि झूठे कानूनी दबाव (Fake Law Pressure) बनाकर अमेरिकी नागरिकों ( Targeted US Citizens) को निशाना बनाया है.

Updated on: 06 Jun 2021, 11:01 PM

नई दिल्ली:

गुरुग्राम पुलिस (Gurugram Police) ने सेक्टर-23 से संचालित किए जा रहे एक फर्जी कॉल सेंटर (Fake Call Center) का भंडाफोड़ किया है. आरोप है कि झूठे कानूनी दबाव (Fake Law Pressure) बनाकर अमेरिकी नागरिकों ( Targeted US Citizens) को निशाना बनाया है. इस सिलसिले में तीन लोगों को गिरफ्तार (Three Arrested) किया है. अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी. तीनों की पहचान जरार हैदर, परतेश पटेल और निशर्ग के रूप में हुई है. पुलिस ने कहा कि आरोपी अमेरिकी नागरिकों को उनका सामाजिक सुरक्षा नंबर (एसएसएन) निलंबित करने की धमकी देकर झूठा कानूनी दबाव बनाते थे.

इन फर्जी ठगों ने उन्हें नशीली दवाओं (Fake Drug) के कथित उपयोग, नकली बैंक खातों (Fake Bank Account) को बनाए रखने का आरोप लगाकर नकली गिरफ्तारी वारंट भी भेजा, और प्रति ग्राहक सेवा शुल्क (Customer Service Fee) के रूप में 200 से 500 डॉलर देने के लिए कहा. पुलिस के अनुसार, एसएसएन नौ अंकों का है, जिसे अमेरिकी सरकार (US Government) अपने सभी नागरिकों को जारी करती है. सरकार इस संख्या का उपयोग निवासियों की जीवनभर की कमाई और काम किए गए वर्षों की संख्या पर नजर रखने के लिए करती है.

अधिकारियों ने आगे बताया कि गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए एसीपी डीएलएफ और एसीपी उद्योग विहार के नेतृत्व में साइबर क्राइम थाने की पुलिस टीम ने सेक्टर-23 में प्लॉट नंबर 3202 पर कॉल सेंटर पर छापा मारा.छापेमारी के दौरान पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया और उनके पास से दो लैपटॉप, दो मोबाइल फोन सहित अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स बरामद किए.

एसीपी ने कहा, हमें एक प्रमुख इनपुट प्राप्त हुआ है कि सेक्टर-23 में इस फर्जी कॉल सेंटर ने कई अमेरिकी नागरिकों को उनके एसएसएन नंबर को निलंबित करने के बहाने झूठा कानूनी दबाव बनाकर धोखा दिया था. युवक कॉल सेंटर में कार्यरत थे, जिसे बिना लाइसेंस के संचालित किया जा रहा था. एसीपी ने कहा, पूछताछ के दौरान, आरोपी ने खुलासा किया कि अमेरिकी नागरिकों का डेटा उनके मालिक द्वारा प्रदान किया गया था. उन्होंने ऑनलाइन वेबसाइटों के माध्यम से डेटा खरीदा था और अपने सर्वर वीआईसीआई डायलर पर अपलोड करते थे और अमेरिकी नागरिकों को रोजाना थोक में संदेश भेजते थे.