दिल्ली पुलिस ने एंटीफंगल दवा की कालाबाजारी में शामिल गिरोह का किया भंडाफोड़
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच (Delhi Police Crime Branch) ने एंटीफंगल दवाओं ( anti-fungal injections ) की कालाबाजारी में शामिल एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है.
highlights
- दिल्ली पुलिस ने एंटीफंगल दवाओं की कालाबाजारी में शामिल गिरोह का भंडाफोड़ किया
- एंटीफंगल दवाओं ( anti-fungal injections ) की कालाबाजारी में संलिप्त था गिरोह
- दिल्ली पुलिस ने गिरोह के पास से भारी मात्रा में ऐसी दवाएं भी बरामद की हैं
नई दिल्ली:
देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर से मची तबाही और ब्लैक फंगस जैसी जानलेवा बीमारियों की वजह से जब लोग अपनो को खो रहे हैं, तब जरूरत वाली दवाओं की कालाबाजारी कर रहे कुछ लोग इंसानियत को शर्मसार करने से बाज नहीं आ रहे हैं. एक ऐसे ही गिरोह का दिल्ली पुलिस ने रविवार को भंडाफोड़ किया. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच (Delhi Police Crime Branch) ने राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में सक्रिय एक ऐसे गिरोह को धर दबोचा है तो एंटीफंगल दवाओं ( anti-fungal injections ) की कालाबाजारी में संलिप्त था. दिल्ली पुलिस ने गिरोह के पास से भारी मात्रा में ऐसी दवाएं भी बरामद की हैं.
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एम्फोटेरिसिन बी के 300 एक्सपायर्ड शीशियों को खरीदना स्वीकार किया
डीसीपी क्राइम मोनिका भारद्वाज ( Delhi DCP Crime Monika Bhardwaj) ने जानकारी देते हुए बताया कि दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने ब्लैक फंगस संक्रमण के इलाज में इस्तेमाल होने वाली एंटीफंगल दवा एम्फोटेरिसिन बी (Amphotericin B )की कालाबाजारी में शामिल एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है. जांच के दौरान हमने यूपी के देवरिया निवासी डॉक्टर अल्तमस हुसैन को गिरफ्तार किया. उन्होंने एम्फोटेरिसिन बी के 300 एक्सपायर्ड शीशियों को खरीदना स्वीकार किया. उसने पिपेरसिलिन / ताज़ोबैक्टम (Piperacillin/Tazobactam) दवा को दोबारा पैक किया और एम्फोटेरिसिन बी के रूप से बांटा.
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निजामुद्दीन में एक घर से 3000 शीशी एंटी-फंगल इंजेक्शन बरामद किए
डीसीपी क्राइम ने बताया कि हमने दिल्ली के निजामुद्दीन में एक घर से 3000 शीशी एंटी-फंगल इंजेक्शन बरामद किए हैं. सभी इंजेक्शन नकली हैं या नहीं, इसकी जांच की जा रही है. हालांकि, यह स्पष्ट है कि एम्फोटेरिसिन बी के सभी इंजेक्शन नकली थे. आपको बता दें कि कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान जरूरी दवाओं और ऑक्सीजन सिलेंडरों की कालाबाजारी के ज्यादातर मामले सामने आए हैं. कालाबाजारी में शामिल लोग सस्ते दामों में दवाइयां खरीदते थे और उनका स्टॉक कर अधिक या मनमाने दामों पर उनकी बिक्री करते थे. हालांकि केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से स्पष्ट कर दिया गया था कि अगर कोई दवाओं की कालाबाजारी में संलिप्त पाया गया तो उस पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी, बावजूद ऐसे गिरोह अभी सक्रिय हैं.
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