logo-image

दिल्ली: फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़, नौकरी दिलाने के नाम पर करते थे ठगी

देश की राजधानी दिल्ली के मयूर विहार इलाके से एक फर्जी कॉल सेंटर (Fake Call Centre Busted in Delhi, Mayur Vihar) का भंडाफोड़ हुआ है. इस कॉल सेंटर में काम करने वाले 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. ये कार्रवाई नोएडा में एक युवक की शिकायत पर की गई, जिस

Updated on: 24 May 2022, 10:53 PM

highlights

  • फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़
  • दिल्ली के मयूर विहार में चलता था कॉल सेंटर
  • नौकरी दिलाने के नाम पर युवाओं से ठगी

नोएडा:

देश की राजधानी दिल्ली के मयूर विहार इलाके से एक फर्जी कॉल सेंटर (Fake Call Centre Busted in Delhi, Mayur Vihar) का भंडाफोड़ हुआ है. इस कॉल सेंटर में काम करने वाले 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. ये कार्रवाई नोएडा में एक युवक की शिकायत पर की गई, जिसमें युवक ने शिकायत की थी कि नौकरी दिलाने के नाम पर उसके साथ 20 लाख की ठगी हुई. ये कॉल सेंटर दिल्ली के मयूर विहार में चल रहा था. नोएडा पुलिस (Noida Police) और साइबर सेल ने स्पेशल ऑपरेशन को अंजाम देते हुए गिरोह का फंडाफोड़ किया.

नोएडा के एडीसीपी ने किया मामले का खुलासा

नोएडा पुलिस के एडीसीपी रणविजय सिंह ने बताया कि एक व्यक्ति ने थाने में सूचना दी कि उनके साथ नौकरी दिलाने के नाम पर 20 लाख रुपये की ठगी हुई है. मामले में साइबर सेल की टीम और थाना सेक्टर 113 की टीम ने संयुक्त रूप से जांच की और मयूर विहार दिल्ली में चल रहे एक कॉल सेंटर से 10 लोगों को हिरासत में लिया. पूछताछ की गई, उन्हें गिरफ़्तार किया गया. 6.74 लाख रुपये बरामद किए गए. 7 लैपटॉप और 17 मोबाइल ज़ब्त किए गए हैं. विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी का ये बहुत बड़ा गिरोह चल रहा था.

ये भी पढ़ें: चीन समर्थक टेड्रोस एडनॉम गेब्रेहेसुस फिर से बने WHO के चीफ, पहला कार्यकाल रहा था विवादित

कुछ ऐसे काम करता था सिंडिकेट

इस तरह के फर्जी कॉल सेंटर नौकरी ढूंढ रहे युवकों को टारगेट करते हैं. खासकर उच्च शिक्षा प्राप्त ऐसे युवा, जो विदेशों में नौकरी करना चाहते हैं या फिर देश के अंदर ही मोटी सैलरी पर काम करने का इंतजार कर रहे हों. ये कॉल सेंटर उन्हें नौकरी का बाकायदा ऑफर तक भेजते थे और फिर कागजातों को तैयार कराने, वीजा का इंतजाम करते और वर्क परमिट के नाम पर लाखों की ठगी करते थे. ये गिरोह तब तक किश्तों में पैसे उगाहता रहता था, जबतक पैसे देने वाला पूरी तरह से टूट न जाए. इसके बाद ये अपना संपर्क नंबर बंद कर लेते थे. ये अपने काम को इतनी सफाई से अंजाम देते थे कि ठगे गए युवकों को आखिर तक पता ही नहीं चलता था कि उनके साथ ठगी हो रही है.