अपराध की ओर नाबालिगों का रुझान बढ़ा, साथ ही बढ़े बच्चों के प्रति अपराध भी
समग्र अपराधों में नाबालिगों की भागीदारी 0.67 फीसदी पहुंच चुकी है, तो बच्चों के प्रति घटित अपराधों की संख्या भी लगभग डेढ़ लाख पहुंची है.
highlights
- समग्र अपराधों में नाबालिगों की भागीदारी 0.67 फीसदी पहुंच चुकी है.
- 2017 में बच्चों के प्रति अपरध की दर बढ़कर 1,29,000 पहुंच गई है.
- यह स्थिति तब है जब कानून में फेरबदल कर उसे और कड़ा किया गया.
New Delhi:
यह एक चौंकाने वाली खबर है. एक तरफ देश में बच्चों के प्रति अपराध बढ़े हैं. दूसरी तरफ अपराधों में नाबालिगों की सहभागिता भी बढ़ी है. आंकड़ों की भाषा में बात करें तो समग्र अपराधों में नाबालिगों की भागीदारी 0.67 फीसदी पहुंच चुकी है, तो बच्चों के प्रति घटित अपराधों की संख्या भी लगभग डेढ़ लाख पहुंची है. यह खुलासा जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ ने किया है. वह नेशनल जुवेनाइल जस्टिस कंसल्टेशन कार्यक्रम में बोल रहे थे. उनकी इस बात ने एक बार फिर निर्भया के साथ पेश आई दरिंदगी के जख्म ताजा कर दिए हैं, जिसमें गैंग रेप के दौरान नाबालिग द्वारा पहुंचाए गए जख्म ही उसकी मौत का कारण बने थे.
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डरा रहे आंकड़े
शनिवार को दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ ने कहा कि पास्को जैसे कठोर कानून के बावजूद बच्चों के प्रति अपराध बढ़े हैं. यह दर काफी तेज भी है. उनके मुताबिक 2014 में 89,423 मामले बच्चों के प्रति अपराध के दर्ज किए गए थे. 2017 में यह दर बढ़कर 1,29,000 पहुंच गई है. इसके साथ ही उन्होंने खुलासा किया कि अपराध में नाबालिगों की संलिप्तता भी तेजी से बढ़ी है. 2017 में 33 हजार अपराधों को नाबालिगों ने अंजाम दिया. कुल दर्ज अपराधों में यह दर 0.67 फीसदी बैठती है.
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कानून में किया गया फेरबदल
निर्भया के साथ हुई दरिंदगी के बाद देश की न्यायिक व्यवस्था का ध्यान नाबालिग अपराधियों की ओर फिर से गया था. इसकी वजह बनी थी वह पाशविकता जो गैंग रेप में शामिल नाबालिग ने की थी. यह सामने आया था कि निर्भया की मौत की वजह वही चोटें बनी थीं, जो नाबालिग ने पहुंचाई थीं. इसके बाद ही कानून में संशोधन कर जघन्यतम बलात्कार के मामलों समेत अतिरंजित आपराधिक मामलों में नाबालिगों के शामिल होने पर उनके साथ किसी वयस्क जैसा ही व्यवहार किया जाएगा. कानूनी प्रक्रिया में उनकी उम्र को आड़े आने नहीं दिया जाएगा.
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