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ब्लैक फंगस : इंजेक्शन की कालाबाजारी के 2 आरोपी गिरफ्तार, अस्पताल सुपरवाइजर भी शामिल

कोरोना की दूसरी लहर में अब ब्लैक फंगस की दवाइयों की कालाबाजारी के मामले सामने आने लगे हैं. ताजा मामला नोएडा से सामने आया है, जहां ब्लैक फंगस की कालाबाजारी करने वाले दो आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है.

Updated on: 24 May 2021, 07:15 PM

नोएडा:

कोरोना की दूसरी लहर में अब ब्लैक फंगस की दवाइयों की कालाबाजारी के मामले सामने आने लगे हैं. ताजा मामला नोएडा से सामने आया है, जहां ब्लैक फंगस की कालाबाजारी करने वाले दो आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है, इसमें अपोलो फार्मेसी के सुपरवाइजर का नाम भी शामिल है. पुलिस विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, नोएडा थाना सेक्टर-58 पुलिस ने अपोलो अस्पताल में सुपरवाइजर के द्वारा आवश्यक इंजेक्शन ब्लैक फंगस की बीमारी में काम आने वाली दवा की कालाबाजारी करने वाले 2 आरोपियों को सेक्टर-62 फोर्टिस अस्पताल के पास से गिरफ्तार किए हैं. इनके कब्जे से कब्जे से 2 इंजेक्शन बरामद किए गए हैं.

यह इंजेक्शन आरोपित अनुराग जो की अपोलो फार्मेसी में सुपरवाइजर के पद पर काम करता है वो अपनी जान पहचान की फार्मेसियों से तथा अन्य माध्यम से कम कीमत पर खरीद कर लाता था. पुलिस के मुताबिक, आरोपियों ने बताया, "कोविड-19 के उपचार में काम आने वाले अति आवश्यक इंजेक्शनो रेमडेसिविर व एम्फोटेरिसिन बी आइमुलिशन 50 एमजी/10 एमजी महंगे दामों में अस्पतालों के आसपास बीमार व्यक्तियों के परिजनों से संपर्क करके उन्हें बेच देते थे."

उन्होंने कहा, "पहले सैम्पल के तौर पर एक या दो इंजेक्शन दिखाते हैं और दे देते हैं. बाद में सौदा होने पर सारे इंजेक्शन मुंहमांगी कीमत पर बीमार व्यक्तियों के परिजनों को बेच देते हैं, आज भी हम इंजेक्शन का सैम्पल लेकर फोर्टिस अस्पताल के पास आये थे."

अलग-अलग फॉर्मेसी से इंजेक्शन खरीदते थे
कालाबाजारी में गिरफ्तार किया गया आरोपी सुपरवाइजर अनुराग की नौकरी करने के दौरान कई फॉर्मेसी पर जान पहचान थी. जैसे ही ब्लैक फंगस की बीमारी तेजी से फैलने लगी तो आरोपी ने कम कीमत पर अलग-अलग फार्मेसी से इंजेक्शन खरीद लिए. इन इंजेक्शन की बाजार की कीमत दो से साढ़े तीन हजार रुपये हैं, लेकिन आरोपी 15 हजार से 20 हजार रुपये में जरूरतमंदों को बेच रहे थे. इससे पहले आरोपी रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी भी कर चुके हैं. पूछताछ में आरोपियों ने खुलासा किया है कि वह जरूरतमंदों को झांसे में लेने के लिए सोशल मीडिया पर भी सक्रिय रहते थे. यहां पर जब कोई जरूरतमंद ब्लैक फंगस और रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग करता था तो आरोपी तुरंत पीड़ितों से संपर्क करते थे.