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ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को पटियाला हाउस कोर्ट में किया गया पेश

एक समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को दिल्ली पुलिस ने मंगलवार दोपहर पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया. इस दौरान दिल्ली पुलिस ने मोहम्मद जुबैर की 5 दिन की और रिमांड की मांग की. पुलिस का कहना है कि उसके खिलाफ अलग-अलग मामलों में और भी एफआईआर भी दर्ज हैं. गौरतलब है कि बीती रात गिरफ्तार होने के बाद उसे पहले एक दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा गया था.

Updated on: 28 Jun 2022, 05:05 PM

नई दिल्ली:

एक समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को दिल्ली पुलिस ने मंगलवार दोपहर पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया. इस दौरान दिल्ली पुलिस ने मोहम्मद जुबैर की 5 दिन की और रिमांड की मांग की. पुलिस का कहना है कि उसके खिलाफ अलग-अलग मामलों में और भी एफआईआर भी दर्ज हैं. गौरतलब है कि बीती रात गिरफ्तार होने के बाद उसे पहले एक दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा गया था.

जुबैर के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने IPC की धारा 153a (धर्म, जाति, जन्म स्थान, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना) और 295a (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य करना) के तहत मामला दर्ज किया था. इसके बाद जुबैर को गिरफ्तार करके देर रात पटियाला हाउस कोर्ट के ड्यूटी मजिस्ट्रेट अजय नरवाल के बुराड़ी स्थित आवास पर पेश किया गया. 

जुबैर के वकील ने बताया बदले की भावना से की कार्रवाई
दिल्ली पुलिस के हाथों गिरफ्तार हु आल्ट न्यूज के सह संस्थापक जुबैर की तरफ से वरिष्ठ वकील सौतिक बनर्जी और कवलप्रीत ने कोर्ट में उनका बचाव किया. उन्होंने कोर्ट के सामने आरोप लगाया कि ये एफआईआर जिस ट्वीट के आधार पर दर्ज की गई है. वह 4 वर्ष पुराना है. उन्होंने कहा इससे ये साफ जाहिर होता है कि ये कार्रवाई बदले की भावना से की गई है. इसके साथ ही जुबैर के वकीलों ने यह भी तर्क दिया कि इस मामले पर कार्रवाई करने की समयसीमा गुजर चुकी है. इसके साथ ही उन्होंने  कहा कि धारा 153a और 295a लगाने के पीछे कोई सामग्री नहीं दिखाई गई है. इसके अलावा सीआरपीसी की धारा 41ए के नोटिस देने की प्रक्रिया का भी उल्लंघन किया गया है.

राजनीति से प्रेरित बताना ठीक नहींः दिल्ली पुलिस
दिल्ली पुलिस की आईएफएसओ सेल के उपायुक्त केपीएस मल्होत्रा ने कहा कि समय से कोई फर्क नहीं पड़ता, आपको सिर्फ रीट्वीट करना है और वह बिल्कुल नया हो जाता है. पुलिस की कार्रवाई उसपर निर्भर है, जब मामला हमारे संज्ञान में आया. उन्होंने आगे कहा कि कोई अगर कई मामलों में नामजद है तो उससे सभी मामलों में सवाल करना हमारा अधिकार है. न्यायपालिका का दखल हो चुका है, हिरासत मिल गई है, जमानत मंजूर नहीं हुई है, केस कहीं न कहीं मजबूत जरूर है. इसे राजनीति से प्रेरित बताना ठीक नहीं है.