logo-image

बाहुबली मुख्तार अंसारी को बड़ा झटका, गैंगस्टर एक्ट में जमानत पर रिहाई से इनकार

बाहुबली मुख्तार अंसारी को बड़ा झटका लगा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट में दर्ज मामले में अंसारी की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. हालांकि अंसारी के अधिवक्ता उपेन्द्र उपाध्याय ने अर्जी वापस करने की कोर्ट से प्रार्थना  की थी.

Updated on: 13 Jan 2023, 11:53 PM

highlights

  • कोर्ट की टिप्पणी -उत्तर भारत में राबिन हुड की है छवि
  • 58 केस पर भी अंसारी गैंगस्टर नहीं, तो कोई अपराधी गैंगस्टर नहीं है

नई दिल्ली:

बाहुबली मुख्तार अंसारी को बड़ा झटका लगा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट में दर्ज मामले में अंसारी की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. हालांकि अंसारी के अधिवक्ता उपेन्द्र उपाध्याय ने अर्जी वापस करने की कोर्ट से प्रार्थना  की थी. जिसे अस्वीकार कर दिया गया. कोर्ट ने अंसारी के बारे में गंभीर टिप्पणी की और कहा वह  उत्तर भारत में राबिन हुड की छवि वाले अपराधी के रूप में देखा जाता है. कोर्ट ने गैंग चार्ट व दर्ज आपराधिक मुकदमों पर कहा कि यदि याची गैंगस्टर नहीं है तो इस देश में किसी भी अपराधी को गैंगस्टर नहीं कहा जा सकता.

मुख्तार ने गैंगस्टर एक्ट की धारा तीन (एक) के तहत थाना तरवां जिला आजमगढ़ में 2020 में दर्ज प्राथमिकी में जमानत की मांग की थी. यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने मुख्तार अंसारी की जमानत अर्जी पर पारित किया. कोर्ट ने कहा कि याची गैंग लीडर है. 58 आपराधिक केस दर्ज है. लोग भय के कारण  किसी केस में गवाही देने नहीं जाते और इसी वजह से उसे किसी केस में सजा नहीं मिल सकी. अपनी जान की हिफाजत के लिए चश्मदीद गवाह पक्षद्रोही हो जाते हैं.

कोर्ट ने कहा कि मुख्तार और उसके गैंग के सदस्यों ने लोगों में डर और आतंक फैलाकर अकूत धन अर्जित किया है. उसका स्वतंत्र होना कानून का पालन करने वालों के लिए बड़ा खतरा है. कोर्ट ने कहा कि समाज में भय फैलाने के उद्देश्य से उसके गैंग के सदस्यों ने बिना भेदभाव के अवैध स्वचालित हथियारों से गोली चलाई. यह फायरिंग गरीब कर्मकारों पर की गई थी. इसकी वजह से एक की मौत हो गई थी व कई घायल हो गए थे. यह घटना समाज में आतंक व भय फैलाने के लिए की गई थी. ताकि, कोई भी दूसरा व्यक्ति, सरकारी ठेका उस एरिया में न ले सके.

कोर्ट ने कहा कि याची के आपराधिक इतिहास पर विचार किया तथा पाया अधिकांश मुकदमों में वह बरी हो गया है और उसका कारण है कि गवाह   उसके डर व आतंक से या तो गवाह गवाही से मुकर जाते हैं या उन्हें खत्म कर दिया जाता है. कोर्ट ने इस आधार पर याची को जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया.