Alert: सर्दियों में बड़ी वारदात कर सकतें हैं बावरिये, क्राइम का तरीका जान रह जाएंगे हैरान
सर्दी के मौसम का पहला कोहरा जहां अपने साथ ठंड का पैगाम लेकर आता है. वहीं एक अनजाना डर भी सताने लगता है. ठंड शुरू होते ही वेस्ट में बावरिया गिरोह का आतंक शुरू हो जाता है. इन्हें कच्छा बनियान गिरोह के नाम से भी जाना जाता है.
highlights
- बावरियों का क्राइम करने का होता है अपना स्टाइल
- पूजा-पाठ के बाद देते हैं खौफनाक घटनाओं को अंजाम
- एनसीआर सहित वेस्ट यूपी में काफी संख्या में रहते हैं बावरिये
- दिवाली के आस-पास हो जाते हैं सक्रिय, करते हैं प्लानिंग
नई दिल्ली :
सर्दी के मौसम का पहला कोहरा जहां अपने साथ ठंड का पैगाम लेकर आता है. वहीं एक अनजाना डर भी सताने लगता है. ठंड शुरू होते ही वेस्ट में बावरिया गिरोह का आतंक शुरू हो जाता है. इन्हें कच्छा बनियान गिरोह के नाम से भी जाना जाता है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछली सर्दी में दिल्ली एनसीआर सहित वेस्ट यूपी में कई ऐसी वारदात हुई थी. जिसमें बावरियों का नाम सामने आया था. साथ ही पुलिस ने वावरियों के गिरोह को ही गिरफ्तार कर जेल भेजा था. जानकारी के मुताबिक बावरियों का अपराध करने का अपना अलग तरीका होता है. जिसके देखकर आप भी हैरान रह जाएंगे. पुलिस ने अभी से बावरिया गिरोह की निगरानी शुरू कर दी है. ताकि पहले से ही इनके ठिकानों को ट्रेस किया जा सके.
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क्या होते हैं बावरिया
बावरिया एक घुमंतू जनजाति है. आबादी से दूर सड़क के किनारे डेरा डालकर रहने वाली यह जाति स्वभाव से ही क्रूर होती है. यही कारण है कि इनका गिरोह लूट की वारदात को जहां भी अंजाम देता है. हत्या या मारपीट जरूर करता है. इसे कच्छा बनियान गिरोह के नाम से भी जाना जाता है. जानकारी के मुताबिक वेस्ट यूपी के मुजफ्फरनगर के झिंझाना में तो 28 से ज्यादा गांव इस जनजाति से भरे पड़े हैं. इसके अलावा अलीगढ़ में बड़ी संख्या में बावरिये पाए जाते हैं.
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वारदात का तरीका
ये लोग एक साथ पांच से दस लोग गिरोह बनाकर क्राइम करने घरों से निकलते हैं. दिवाली के दिन ये लोग पूजा-पाठ कर अपने पैत्रृक स्थान को छोड़कर वारदात के लिए निकलते हैं. ये जिस जिले में धावा बोलते हैं शहर या देहात क्षेत्र में आबादी से बाहर अपना हेड क्वार्टर बनाते हैं. भीख मांगने के बहाने ये अपना शिकार तलाश करते हैं. साथ ही एक रात में चार से छह स्थानों को टारगेट कर धावा बोलते हैं. अपने हेड क्वार्टर से निकलते समय ये पूजा-पाठ करते हैं.खास बात यह है कि जब तक पूरा गिरोह घर वापस नहीं लौटता महिलाएं अखंड ज्योति जलाती हैं. पहले यह गिरोह ट्रेनों व बसों में सफर करता था, लेकिन अब कुछ गिरोह के सदस्यों ने अपनी गाडि़यां भी खरीद ली हैं. यह गिरोह अपने पास हथियार नहीं रखता.वारदात से पहले कुछ दूरी से ही डंडों अथवा सरियों का इंतजाम करता है. घटना स्थल से कुछ दूर पहले ये अपने कपड़े उतार देते हैं. केवल कच्छा और बनियान पहनकर अपराध करते हैं. गिरोह के सदस्य वारदात से पहले शरीर पर तेल मलते हैं. ताकि पकड़े जाने पर फिसलन के कारण आसानी से छूट जाएं.- रातभर वारदात करने के बाद सुबह तक गिरोह अपने हेड क्वार्टंर में होता है.
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