प्रेम विवाह पर परिजनों का सामूहिक बहिष्कार किया, पुलिस ने दी क्लीन चिट

युवक को प्रेम विवाह करना भारी पड़ा, गांव की पंचायत ने सुनाया तुगलकी फरमान. लड़के के परिजनों का सामूहिक बहिष्कार.

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Mohit Saxena
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युवक को प्रेम विवाह करना उस समय भारी पड़ गया जब गांव की पंचायत ने तुगलकी फरमान सुनाते हुए लड़के के परिजनों का सामूहिक बहिष्कार कर दिया. हालांकि लड़का लड़की बालिग होने के कारण पुलिस ने उन्हें क्लीन चिट देते हुए आजाद   कर दिया लेकिन गांव वाले इस विवाह को ठीक नही मना रहे और उन्होने ने पंचायत में लड़के के परिजानो पर सख्त पावंदी लगते हुए उनको मजदूरी करने सहित सामाजिक कार्यो में सम्मलित होने की रोक लगाई गई है. पंचायत के फरमान के बाद पीड़ित थाने के चक्कर काटने को मजबूर है. 

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दोनों एक ही बिरादरी के थे

मामला थाना स्योहारा के गांव हसनपुर पालकी का है जहां रहने वाले नरेंद्र एवम साक्षी को एक दूसरे से प्रेम हो गया.चूकि दोनों एक ही बिरादरी के थे और आस पास ही रहते थे. लड़का नरेंद्र देहरादून में नौकरी करता था नरेंद्र के परिजनों ने साक्षी के पिता से दोनों की शादी का प्रस्ताव रखा लेकिन साक्षी के पिता ने इसे ठुकराते हुए साक्षी का रिश्ता किसी दूसरी जगह कर दिया और उसकी शादी की तारीख 7 दिसंबर तय कर दी इस बात का पता जब साक्षी और नरेंद्र को लगा तो उन्होंने 25 नवंबर को घरवालों की बिना मर्जी के बिजनौर अदालत में जाकर कोर्ट मैरिज कर ली. क्योंकि नरेंद्र और साक्षी दोनों बालिक थे अतः पुलिस ने उन्हें क्लीन चिट देते हुए साथ रहने की इजाजत दे दी लेकिन साक्षी के परिवार को यह है बात नागवार गुजरी साक्षी के परिजनों ने शुक्रवार को गांव में एक पंचायत का आयोजन कराया.

तुगलकी फरमान सुनाए गए

जिसमें गांव के सभी बिरादरी के लोग इकट्ठे हुए नरेंद्र की मां विद्यावती का कहना है कि उसे पंचायत में सर्वसम्मति से नरेंद्र के परिवारों के लिए तुगलकी फरमान सुनाए गए. जिसमें गांव वालों ने यह तय किया कि नरेंद्र के परिवार के किसी व्यक्ति को गांव में मजदूरी पर नहीं रखा जाएगा ना ही उनको किसी विवाह सामाजिक कार्यक्रम में बुलाया जाएगा. नरेंद्र की मां विद्यावती का आरोप है के उनका गांव के सार्वजनिक नल से पानी भरने पर भी पाबंदी लगा दी गई. जब उनकी बहू अपने जानवरों को गांव के नल पर पानी पिलाने गई तो गांव वालों ने उसे वहां से भगा दिया.

विद्यावती के सामने रोटी की किल्लत खड़ी हो जाएगी

हालांकि नरेंद्र की पारिवारिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. उसकी मां आज भी मजदूरी करती है ऐसे में अगर पंचायत का फरमान उसे पर लागू हो जाता है तो विद्यावती के सामने रोटी की किल्लत खड़ी हो जाएगी. पंचायत के इस फरमान के बाद विद्यावती के तीन बेटे और एक बेटी गांव वालों के डर से गांव से पलायन कर गए हैं गांव में अकेली विद्यावती डरी सहमी थाने के चक्कर काटने को मजबूर है.

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