बैतूल के मुलताई थाना क्षेत्र के जौलखेड़ा गांव में बैंक ऑफ महाराष्ट्र की शाखा में 2013 में सवा करोड़ का गबन हुआ था .इस मामले में पुलिस ने छै लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था . महाराष्ट्र बैंक शाखा जौलखेड़ा में हुए गबन मामले में मुलताई अपर सत्र न्यायालय ने मंगलवार को फैसला सुनाया. इस चर्चित केस में मास्टरमाइंड अभिषेक रत्नम समेत अन्य आरोपियों को सजा दी गई है.
80 लाख रुपए जुर्माना
मास्टरमाइंड आरोपी अभिषेक रत्नम को 10 साल की सजा और 80 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई जाती है. विनय ओझा जो पूर्व क्रिकेटर नमन ओझा के पिता है और उस समय बैंक में सहायक प्रबंधक के पद पर थे . पुलिस ने विनय ओझा को भी आरोपी बनाया था जिनको 7 की साल की सजा और 7 लाख का जुर्माना किया गया है इसके अलावा बैंक में दलाली का काम करने धनराज पवार और लखन हिंगवे को 7-7 साल की सजा और 7-7 लाख रुपए जुर्माने से दंडित किया गया है.
2013 में यह गबन किया था
इस गबन का मास्टरमाइंड अभिषेक रत्नम था, जिसने बैंक अधिकारियों के पासवर्ड का उपयोग कर साल 2013 में यह गबन किया था. गौरतलब है कि उस वक्त पूर्व क्रिकेटर नमन ओझा के पिता विनय ओझा भी इसी बैंक में थे. गबन में उनका नाम सामने आया था.
पासवर्ड का उपयोग किया गया था
लोकअभियोजक राजेश साबले ने बताया कि विवेचना के दौरान यह पाया गया कि गबन बैंक अधिकारियों के पासवर्ड का उपयोग कर किया गया. इस केस की जांच के दौरान बैंक के कैशियर दीनानाथ राठौर की मृत्यु हो गई थी. इसके अलावा ट्रेनी ब्रांच मैनेजर निलेश छात्रोले जिनके आईडी और पासवर्ड का उपयोग किया गया था. उनको न्यायालय ने दोषमुक्त पाया और उन्हें बरी कर दिया. न्यायालय ने चार आरोपियों को दोषी मानते हुए सजा सुनाई है.