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crime news (social media)
जांचकर्ताओं ने एक बड़े शिशु तस्करी रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जिसमें 15 दिन से सात महीने तक के नवजात और छोटे बच्चों की बिक्री और स्थानांतरण शामिल था. इस रैकेट की मुख्य आरोपी एक महिला मनीषा, उसका पति जयेश, सिद्धांत जगताप और ‘सावधान’ नामक व्यक्ति हैं, जिन पर कई राज्यों में फैले इस संगठित नेटवर्क का सदस्य होने का संदेह है.
पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह नेटवर्क अंडा दान कार्यक्रमों से जुड़ी महिलाओं के जरिए बच्चों की तस्करी करता था. जयेश की बहन भी अंडा डोनर थी, जिससे जयेश का संपर्क इसी सर्किट की अन्य महिलाओं से हुआ. मनीषा और जयेश लिव-इन रिलेशनशिप में थे और बच्चे की डिलीवरी तथा ट्रांसफर का पूरा समन्वय इन्हीं के जिम्मे था.
IVF सेंटर्स से भी जुड़े हो सकते हैं
अंडे दान करने वाली महिलाओं को 20,000 से 25,000 रुपये तक मिलते थे, जबकि बच्चों की बिक्री काफी ज्यादा रकम में होती थी. जांच के दौरान सामने आया कि एक बच्चा 1.5 लाख रुपये में बेचा गया, जिसे आगे 2.5 लाख में बेचने की योजना थी. कुछ बच्चों की कीमत 2 से 3 लाख रुपये तक बताई जाती है. पुलिस को शक है कि इस नेटवर्क के कुछ सदस्य IVF सेंटर्स से भी जुड़े हो सकते हैं, जिससे संस्थागत लिप्तता का खतरा गहरा गया है.
एक मामले में एक बच्चे का सुबह 6 बजे अपहरण हुआ, जिसे अहमदाबाद लाकर 20 घंटे लग्जरी बस से औरंगाबाद भेजा गया. वहां उसे बिनल और एक अन्य साथी ने रिसीव किया, जिनके साथ मनीषा भी आ गई. बिनल और मनीषा दो साल से पड़ोसी थीं और दोनों अंडा दान से जल्दी पैसे कमाने के लिए संपर्क में थीं.
व्हाट्सएप और सोशल मीडिया के जरिए संपर्क रखते थे
आरोपी आपस में व्हाट्सएप और सोशल मीडिया के जरिए संपर्क रखते थे और निःसंतान दंपत्तियों की जानकारी व मांग का लेन-देन करते थे. शुरुआती पूछताछ में तीन बच्चों को पहले हैदराबाद और एक को मुंबई भेजे जाने की बात सामने आई है. हैदराबाद पुलिस ने भी हाल में ऐसा नेटवर्क पकड़ा था और जांच की जा रही है कि दोनों रैकेट आपस में जुड़े हैं या नहीं.