Test Cricket: आखिर रेड बॉल से ही क्यों नहीं खेला जाता है टेस्ट क्रिकेट? एक नहीं कई हैं कारण

Test Cricket: क्या आपके मन में भी कभी ऐसा सवाल आया है कि आखिर टेस्ट क्रिकेट में रेड बॉल का इस्तेमाल क्यों किया जाता है? आइए इसका कारण बताते हैं.

Test Cricket: क्या आपके मन में भी कभी ऐसा सवाल आया है कि आखिर टेस्ट क्रिकेट में रेड बॉल का इस्तेमाल क्यों किया जाता है? आइए इसका कारण बताते हैं.

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Sonam Gupta
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Test Cricket

Test Cricket: सफेद जर्सी में लाल बॉल से खेले जाने वाले क्रिकेट को फैंस काफी पसंद करते हैं, जिसे टेस्ट क्रिकेट कहा जाता है. आईसीसी ने इसे और भी रोचक बनाने के लिए 2019 में वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप की शुरुआत की और तब से इसके प्रति लोगों की और भी अधिक दिलचस्पी जागी. लेकिन, क्या आपके मन में कभी ये सवाल आया है कि टेस्ट क्रिकेट में रेड कलर की बॉल ही क्यों इस्तेमाल होती है? तो आइए इस आर्टिकल में आपको इस बारे में बताते हैं...

Test Cricket में क्यों यूज होती है रेड कलर की बॉल

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अगर आप भी यही सोच रहे हैं कि लाल गेंद और सफेद गेंद में सिर्फ रंग का अंतर है, तो ये बात बिलकुल सही नहीं है, क्योंकि इन दोनों गेंदों में काफी अंतर होता है. ऐसे में टेस्ट में रेड बॉल कई कारणों से टेस्ट क्रिकेट में इस्तेमाल किया जाता है. इसका एक मुख्य कारण यह है कि रेड-बॉल जल्दी पुरानी नहीं होती. एक टेस्ट मैच में आमतौर पर एक दिन में 90 ओवर फेंके जाते हैं. 

ऐसे में वाइट बॉल की तुलना में रेड बॉल ज्यादा अच्छी मानी जाती है. रेड बॉल लगभग 70-80 ओवरों तक ठीक काम करती है. वाइट बॉल के साथ ऐसा नहीं होता है. इसीलिए टेस्ट मैच में 80 ओवर के बाद पुरानी गेंद को नई गेंद से बदलने का नियम है.

रिवर्स स्विंग

रेड बॉल की एज अच्छी होती है. इसीलिए ये आमतौर पर रिवर्स स्विंग नहीं करती है. वाइट बॉल के मामले में रिवर्स स्विंग अधिक होती है. वनडे और टी20 जैसे सीमित ओवर क्रिकेट में मैच की शुरुआत से ही रिवर्स स्विंग देखने को मिलती है. लेकिन टेस्ट क्रिकेट में ऐसा 40-50 ओवर के बाद दिखता है.

नतीजन, गेंद घिस जाने के बाद भी बल्लेबाजी करने वाली टीम को फायदा मिलता है. अगर टेस्ट क्रिकेट में रेड बॉल की जगह वाइट बॉल का इस्तेमाल किया जाए तो मैच की शुरुआत से ही रिवर्स स्विंग देखने को मिलेगी. बल्लेबाजों को शुरू से ही गेंद को समझने में परेशानी होगी.

पिंक बॉल भी होती है यूज

आज कल डे-नाइट टेस्ट मैचों का काफी चलन है. अक्सर टेस्ट सीरीज में एक मैच डे-नाइट रखा जाता है, जिसे पिंक बॉल से खेला जाता है. पिंक बॉल रात में खिलाड़ियों को काफी अच्छे से दिखाई देती है. पिंक बॉल को डे-नाइट मैच के लिए ही मुख्य रूप से बनाया गया है. पिंक बॉल कम रोशनी में खेल को अच्छे से खेलने में मददगार होती है. धागे का अंतर - रेड बॉल को सफेद रंग के धागे से सिला जाता है, जबकि पिंक बॉल में काले रंग के धागे से सिला जाता है. 

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