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क्या फिर से क्रिकेट के मैदान पर होगी श्रीसंत की वापसी, आजीवन प्रतिबंध के खिलाफ याचिका पर फैसला सुरक्षित

बीसीसीआई ने अदालत में कहा कि श्रीसंत ने उन 10 लाख रुपये के स्रोत के बारे में भी जांच समिति को नहीं बताया, जिसका जिक्र टेलीफोन पर की गई बातचीत में किया गया है.

Updated on: 01 Mar 2019, 09:18 AM

नई दिल्ली:

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) द्वारा लगाए गए आजीवन प्रतिबंध के खिलाफ तेज गेंदबाज एस. श्रीसंत द्वारा दायर की गई याचिका पर सर्वोच्च अदालत ने गुरुवार को फैसला सुरक्षित रख लिया है. बीसीसीआई ने श्रीसंत पर आईपीएल-2013 में स्पॉट फिक्सिंग का दोषी पाए जाने पर अजीवन प्रतिबंध लगाया था. इसके खिलाफ श्रीसंत ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिस पर न्यायाधीश अशोक भूषण और न्यायाधीश के.एम. जोसेफ की पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया. बीसीसीआई ने अदालत में कहा कि श्रीसंत पर भ्रष्टाचार, सट्टेबाजी और खेल को बेइज्जत करने के आरोप हैं. अदालत ने श्रीसंत और बीसीसीआई दोनों से दो सप्ताह के भीतर लिखित जवाब देने को कहा है.

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बीसीसीआई की तरफ से अदालत में दलील दे रहे वरिष्ठ वकील पराग त्रिपाठी ने कहा कि खेल में भ्रष्टाचार और सट्टेबाजी के लिए सजा आजीवन प्रतिबंध है. त्रिपाठी ने इस मसले पर बीसीसीआई की जीरो टॉलरेंस नीति का हवाले देते हुए अदालत को बताया कि श्रीसंत ने कभी भी बीसीसीआई की भ्रष्टाचार रोधी ईकाई के सामने इस बात का जिक्र नहीं किया था कि सट्टेबाजों ने उनसे संपर्क साधा. बीसीसीआई ने अदालत में कहा कि श्रीसंत ने उन 10 लाख रुपये के स्रोत के बारे में भी जांच समिति को नहीं बताया, जिसका जिक्र टेलीफोन पर की गई बातचीत में किया गया है.

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इस पर श्रीसंत की तरफ से दलील दे रहे वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद ने कहा कि यह बीसीसीआई को स्थापित करना है कि वह 10 लाख रुपये मैच फिक्सिंग से संबंधित हैं. टेलीफोन पर हुई बातचीत को लेकर खुर्शीद ने कहा कि लेनदेन तब होता जब खिलाड़ी एक ओवर में 14 रन से कम देता. अपनी बात खत्म करते हुए खुर्शीद ने अदालत से कहा कि युवा क्रिकेट खिलाड़ी जो अब युवा नहीं रहा, लेकिन अभी भी उसमें क्रिकेट को लेकर जुनून बाकी है, उसके करियर को बर्बाद होने से बचाया जाए. इससे पहले की सुनवाई में श्रीसंत ने कहा था कि उन्होंने दिल्ली पुलिस के दबाव में जुर्म कबूला था.