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भारत की World Cup टीम में अपने चयन पर बोले विजय शंकर, कहा- टीम जानती है मेरी अहमियत

अगर देखा जाए तो विजय शंकर (Vijay Shankar) का विवादों से पुराना नाता है. इतिहास बताता है कि विजय शंकर (Vijay Shankar) और विवाद साथ-साथ चलते हैं. इस देश में कोई भी निदाहास ट्रॉफी (Nidhas Trophy) के उस फाइनल को नहीं भूला होगा जहां विजय शंकर (Vijay Shankar) अहम समय पर रन न बनाने के कारण विलेन बन गए थे.

Updated on: 16 May 2019, 11:33 AM

नई दिल्ली:

भारतीय टीम के हरफनमौला खिलाड़ी विजय शंकर (Vijay Shankar) ने वर्तमान में चल रहे विश्व कप टीम में नंबर 4 बल्लेबाजी क्रम को लेकर बहस को बहुत करीब से देखा है और इस पर अपनी राय भी रखी है. कई पूर्व क्रिकेटर और क्रिकेट पंडित मानते हैं कि इस क्रम के लिए युवा ऋषभ पंत और अनुभवी अंबाती रायडू अच्छे विकल्प होते, लेकिन पांच सदस्यों की चयन समिति ने इन दोनों को नकारते हुए विजय शंकर (Vijay Shankar) को चुना. अगर देखा जाए तो विजय शंकर (Vijay Shankar) का विवादों से पुराना नाता है. इतिहास बताता है कि विजय शंकर (Vijay Shankar) और विवाद साथ-साथ चलते हैं. इस देश में कोई भी निदाहास ट्रॉफी (Nidhas Trophy) के उस फाइनल को नहीं भूला होगा जहां विजय शंकर (Vijay Shankar) अहम समय पर रन न बनाने के कारण विलेन बन गए थे. विजय शंकर (Vijay Shankar) ने 19 गेंदों में 17 रन बनाए थे. हालांकि दिनेश कार्तिक की बदौलत भारत ने वह मैच जीत लिया था, लेकिन विजय शंकर (Vijay Shankar) के सामने बार-बार उस पारी का भूत आकर खड़ा हो जाता. लेकिन काले बादलों के बाद धूप निखर कर सामने आती है और यही विजय शंकर (Vijay Shankar) के साथ हुआ.

विजय शंकर (Vijay Shankar) ने कहा कि उस वाकये ने उन्हें जीवन का अहम पाठ पढ़ाया और एक मजबूत इंसान बनाया जो समझ सका कि मौजूदा पल का लुत्फ कैसे उठाया जाता है और क्रिकेट के मैदान पर ज्यादा दबाव नहीं लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि कई लोगों को यह तक नहीं पता कि वह उस फाइनल मैच में पहली बार भारतीय टीम की तरफ से बल्लेबाजी करने उतरे थे.

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विजय शंकर (Vijay Shankar) ने कहा, 'मैं निश्चित तौर पर कहूंगा कि निदाहास ट्रॉफी (Nidhas Trophy) एक क्रिकेटर के तौर पर मेरे लिए जीवन बदलने वाला पल था. उस बात को तकरीबन एक साल हो चुका है और हर कोई जानता है कि क्या हुआ था और वह कितना मुश्किल था.'

उन्होंने कहा, 'मैंने तकरीबन 50 फोन कॉल लिए थे. मीडिया के लोग मुझसे फोन कर रहे थे और वही सवाल पूछ रहे थे. यहां तक की सोशल मीडिया मेरे लिए मुसीबत बन गया था. मैं थोड़ा निराश हो गया था और उससे बाहर निकलने में मुझे समय लगा.'

विजय शंकर (Vijay Shankar) ने कहा, 'लेकिन, दूसरी तरफ इन सभी चीजों ने मुझे सिखाया कि इस तरह की स्थिति को कैसे संभालना है और किस तरह से बाहर आना है. उस वाकये ने मुझे बताया कि एक दिन खराब होने का मतलब यह नहीं है कि विश्व का अंत हो गया. यह सिर्फ मेरे साथ नहीं हुआ, यह बीते वर्षो में कई शीर्ष खिलाड़ियों के साथ हुआ है.'

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विजय शंकर (Vijay Shankar) के मुताबिक, 'सबसे अच्छी बात यहा थी कि बल्ले के साथ वो मेरा पहला अनुभव था. मैंने उस सीरीज में गेंदबाजी तो की थी लेकिन फाइनल मैच में मैं पहली बार बल्लेबाजी करने उतरा था. वो हालांकि जीवन की सीख देने वाला पल था. उसने मुझे सिखाया कि हर पल का लुत्फ कैसे उठाते हैं और इस तरह के वाकये अस्थायी होते हैं. साथ ही मुझे सिखाया कि मुझे अपना 100 फीसदी देना चाहिए.'

नंबर-4 को लेकर जारी विवाद पर वापस आते हुए विजय शंकर (Vijay Shankar) ने कहा कि वह सीख गए हैं कि दबाव मुक्त कैसे हुआ जाता है और अब उन्हें फर्क नहीं पड़ता कि कोई क्या कह रहा है. 

विजय शंकर (Vijay Shankar) ने कहा, 'न्यूजीलैंड में जब मैंने नंबर-3 पर बल्लेबाजी की तो मेरा प्रदर्शन अच्छा रहा. सबसे अच्छी बात यह रही कि टीम प्रबंधन ने मुझ पर भरोसा दिखाया और माना कि मैं यह काम कर सकता हूं. इससे आपको अतिरिक्त प्ररेणा मिलती है. टीम की जरूरत मेरी प्राथमिकता है और मैं हर स्थिति में खेलने को तैयार हूं.'

विजय शंकर (Vijay Shankar) ने कहा, 'मैं अपने खेल का लुत्फ ले रहा हूं और अपने आप पर किसी तरह का दबाव नहीं ले रहा. मैं स्थिति को समझने और उसके हिसाब से खेलने पर ध्यान दे रहा हूं. मैं अपने काम को महत्व दे रहा हूं और इसको लेकर कोई छोटा रास्ता नहीं है.'

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विजय शंकर (Vijay Shankar) से जब पूछा गया कि सीनियर खिलाड़ियों और मुख्य कोच रवि शास्त्री से उन्हें क्या फीडबैक मिला? इस पर उन्होंने कहा कि वह इस बारे में ज्यादा बता नहीं सकते. उन्होंने कहा कि वह देखकर सीखने वाले हैं और जब भी अपने सीनियर खिलाड़ियों के साथ रहते हैं तो ज्यादा से ज्यादा सीखने की कोशिश करते हैं. 

उन्होंने कहा, 'पहली बात तो यह है कि भारतीय टीम का हिस्सा बनना वो सपना है जो हम तब से देखते हैं जबसे हम खेलना शुरू करते हैं. मैं वैसा खिलाड़ी हूं जो कोहली, माही भाई, रोहित को देखकर सीखना पसंद करता है. मैंने एक क्रिकेटर के तौर पर अपने आप में सुधार करने के लिए उनसे काफी बात की है. उन्होंने मुझसे कहा है कि मैं अपना काम कर रहा हूं और मेरा ध्यान सिर्फ चीजों को सरल रखने पर होना चाहिए.'

भारतीय टीम में हार्दिक पांड्या (Hardik Pandya) के रूप में एक और हरफनमौला खिलाड़ी भी है. ऐसे में विजय शंकर (Vijay Shankar) और हार्दिक पांड्या (Hardik Pandya) की तुलना होना लाजमी है, लेकिन विजय शंकर (Vijay Shankar) को लगता है कि उन्हें अपनी गेंदबाजी पर अभी और काम करना है.

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विजय शंकर (Vijay Shankar) ने कहा, 'मैं अपनी गेंदबाजी पर काफी काम कर रहा हूं और मैं सही प्रक्रिया पर ध्यान देने में यकीन रखता हूं. मुझे लगता है कि जब स्थिति आएगी और कप्तान मुझे गेंद देंगे तो मेरे अंदर आत्मविश्वास होना चाहिए तभी मैं अच्छा कर पाऊंगा. यह हर मौके के साथ आत्मविश्वास हासिल करने की बात है.'