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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
नई दिल्ली, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश और राजस्थान में खांसी की दवाओं (कफ सिरप) के सेवन से बच्चों की मौत की आशंका को लेकर उठी चिंताओं पर केंद्र और राज्य एजेंसियों ने संयुक्त जांच की है। जांच में इस बात की पुष्टि हुई है कि सिरप में जहरीले रसायन मौजूद नहीं हैं।
जानकारी के अनुसार, अब तक की जांच में यह पुष्टि हुई है कि खांसी की दवाओं में जहरीले रसायन डाइएथिलीन ग्लाइकोल (डीईजी) या एथिलीन ग्लाइकोल (ईजी) मौजूद नहीं हैं। ये रसायन गंभीर किडनी डैमेज का कारण माने जाते हैं।
मध्य प्रदेश के मामले में नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) और सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) की टीम ने मौके पर जाकर जांच की। राज्य प्राधिकरणों की मदद से कई सैंपल एकत्र किए गए, जिनमें विभिन्न कंपनियों के कफ सिरप भी शामिल थे।
परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार, किसी भी नमूने में डीईजी या ईजी की मौजूदगी नहीं पाई गई। वहीं, मध्य प्रदेश राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एसएफडीए) ने भी तीन नमूनों की जांच कर इसकी पुष्टि की है।
इसके अलावा, एनआईवी पुणे में बच्चों के ब्लड/सीएसएफ सैंपल की जांच की गई, जिनमें से एक केस लेप्टोस्पाइरोसिस पॉजिटिव पाया गया। वहीं, पानी, मच्छर जनित वाहकों और श्वसन संबंधी सैंपलों की जांच अब भी जारी है।
राजस्थान में बच्चों की दो मौतें खांसी की दवा से जुड़ी बताई गई थीं। हालांकि, जांच में स्पष्ट हुआ है कि संबंधित दवा में प्रोपाइलीन ग्लाइकोल नहीं था, जो डीईजी या ईजी जैसी जहरीली मिलावट का संभावित स्रोत माना जाता है।
यह भी सामने आया है कि संबंधित दवा डेक्स्ट्रोमेथॉर्फन आधारित है, जिसे बच्चों में प्रयोग करने की सिफारिश नहीं की जाती।
जांच टीम में एनसीडीसी, एनआईवी, आईसीएमआर, एम्स नागपुर और राज्यों के स्वास्थ्य अधिकारी शामिल हैं, जो सभी संभावित कारणों की गहन जांच कर रहे हैं।
केंद्र सरकार ने कहा है कि बच्चों में कफ सिरप का अंधाधुंध उपयोग खतरनाक साबित हो सकता है। इसको ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के डीजीएचएस (डीजीएचएस) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को बच्चों में खांसी की दवा के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए परामर्श जारी किया है।
--आईएएनएस
पीएसके/एबीएम
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