कोर्नियल ब्लाइंडनेस का खतरा अब नौजवानों में भी बढ़ रहा है: विशेषज्ञ

कोर्नियल ब्लाइंडनेस का खतरा अब नौजवानों में भी बढ़ रहा है: विशेषज्ञ

कोर्नियल ब्लाइंडनेस का खतरा अब नौजवानों में भी बढ़ रहा है: विशेषज्ञ

author-image
IANS
New Update
corneal blindness

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 4 अगस्त (आईएएनएस)। कोर्नियल ब्लाइंडनेस जिसे कभी बड़ों की बीमारी माना जाता था, अब वो नौजवानों के लिए भी एक बड़े खतरे के रूप में पूरे देश में उभर रहा है। सोमवार को विशेषज्ञों ने ये बात कही।

Advertisment

कॉर्नियल ब्लाइंडनेस अगर गंभीर हो तो ये अंधेपन का कारण बन सकता है। ये तब होता है जब आंखों के सामने का पारदर्शी हिस्सा, कॉर्निया धुंधला या धब्बेदार बन जाता है। खासकर किसी संक्रमण, ट्रामा या पोषण की कमी से ऐसा होता है।

कॉर्नियल ब्लाइंडनेस अब भारत में अंधेपन की दूसरी सबसे बड़ी वजह बन गया है, और यह सालाना हजारों लोगों को अपना शिकार बना रही है।

इंडियन सोसायटी ऑफ कॉर्निया और केराटो-रिफ्रैक्टिव सर्जन के विशेषज्ञ हाल ही में दिल्ली में एक तीन दिन के सेमिनार में शामिल हुए थे। उनके अनुसार, भारत में हर साल 20-25000 कॉर्नियल ब्लाइंडनेस के नए केस दर्ज हो रहे हैं और ये नंबर और भी बढ़ रहा है।

एम्स नई दिल्ली के प्रोफेसर राजेश सिन्हा ने इस बारे में बात करते हुए कहा, भारत में कॉर्नियल ब्लाइंडनेस के बहुत सारे केस सामने आ रहे हैं, जिनमें से अधिकतर मरीज 30 साल से कम उम्र के हैं। हम एक खतरनाक बदलाव के गवाह बन रहे हैं। नौजवान लोग अपनी आंखें खो रहे हैं, वो भी ऐसे कारणों से जिन्हें टाला जा सकता है।

सिन्हा ने आगे कहा, सामान्य संक्रमण, जागरूकता की कमी और घावों का इलाज न करवाना—ये कुछ वजहें हैं जिनके कारण लोग अंधे बन रहे हैं।

इस कार्यक्रम में एक्सपर्ट के पैनल ने बताया कि ट्रॉमा से जुड़ी चोटें जो खेती, मजदूरी या फिर इंडस्ट्रियल काम में होती हैं, नौजवानों में इसका मुख्य कारण बन रही हैं। इनका अधिकतर लोग इलाज नहीं करवाते या फिर घरेलू इलाज करते हैं जिसकी वजह से संक्रमण बढ़कर खतरनाक बन जाता है।

इसके साथ ही देश के अधिकतर हिस्सों में विटामिन ए की कमी भी बच्चों सहित नौजवानों में इस बीमारी का मुख्य कारण बन रही है।

डॉ. इकेदा लाल ने कहा, ये बहुत ही हैरान करने वाला है कि हम 2025 में भी हजारों आंखें उन कारणों से खो रहे हैं जिन्हें रोका जा सकता है। आंखों का लाल होना और धुंधलापन जैसे सामान्य लक्षणों को भी हमें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

डॉ. लाल ने जल्दी जांच करने, आंखों का ख्याल रखने पर जोर दिया। उन्होंने मोबाइल आई केयर क्लीनिक्स भी चलाने की सलाह दी, जो गांव और दूरदराज के इलाकों में लोगों तक आंखों का इलाज पहुंचा सके।

--आईएएनएस

जेपी/एएस

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

      
Advertisment