नई दिल्ली, 10 जून (आईएएनएस)। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 2024 महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मतदाता सूची में हेरफेर का आरोप लगाया। उनके इस दावे ने नई राजनीतिक बहस छेड़ दी है। हालांकि, पर्यवेक्षकों ने उनके तर्क में गलतियों की ओर इशारा किया है।
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को लाभ पहुंचाने के लिए मतदाता सूची में हेराफेरी की गई। उन्होंने दावा किया कि लोकसभा चुनाव में 9.29 करोड़ मतदाता थे, जो विधानसभा चुनाव तक बढ़कर 9.70 करोड़ हो गए और यह बीजेपी-एनडीए की जीत के लिए ‘मैच फिक्सिंग’ थी।
हालांकि, डेटा विश्लेषकों का तर्क है कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच मतदाताओं की संख्या में वृद्धि का यह पैटर्न न तो नया है और न ही चौंकाने वाला है और न ही इस पैटर्न से विशेष रूप से भाजपा को लाभ हुआ है। वास्तव में पिछले चुनाव चक्रों के ऐतिहासिक डेटा से पता चलता है कि मतदाताओं की संख्या में समान या उससे भी अधिक वृद्धि हुई है, जो कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन की जीत के साथ मेल खाती है।
डेटा-केंद्रित एक्स हैंडल इन्फोइंडेटा के अनुसार, 2009 में लोकसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र में मतदाता संख्या 69.88 लाख (10.59) बढ़ी थी और कांग्रेस गठबंधन ने 25/48 सीटें जीती थीं। उसी साल विधानसभा चुनाव में मतदाता संख्या 30.14 लाख (4.13) बढ़ी और कांग्रेस गठबंधन ने 144/288 सीटें जीतीं।
इसी तरह का पैटर्न साल 2004 में देखने को मिला था, जब लोकसभा चुनाव में मतदाताओं की संख्या 61.36 लाख (10.79 प्रतिशत) बढ़ी थी। इस दौरान कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 48 में से 23 सीटें जीती थीं। हालांकि, इसके बाद के विधानसभा चुनावों में मतदाताओं की संख्या 29.54 लाख (4.69 प्रतिशत) बढ़ी और कांग्रेस ने 288 में से 152 सीटें हासिल कीं। यहां तक कि 2019 के विधानसभा चुनाव में, जहां कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 158 सीटें जीती थीं, वहां मतदाता सूची में 11.61 लाख की वृद्धि हुई।
इसके अलावा, 1998 के लोकसभा चुनाव में मतदाताओं की संख्या 9.51 लाख बढ़ी और कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 48 में से 33 सीटें जीती थीं।
इनमें सबसे खास बात यह है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में मतदाता पंजीकरण में 32.23 लाख (3.59 प्रतिशत) का इजाफा हुआ। कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन ने राज्य में 48 में से 30 सीटें जीतकर शानदार प्रदर्शन किया था।
यह सवाल उठाता है कि राहुल गांधी का मतदाता सूची में हेरफेर का आरोप कितना तर्कसंगत है। अगर मतदाता संख्या में वृद्धि को हेरफेर माना जाए, तो कांग्रेस को उन सालों में अपनी जीत भी स्पष्ट करनी होगी, जब मतदाता संख्या में और भी ज्यादा वृद्धि हुई थी, जैसे 2009 में 69 लाख की बढ़ोतरी।
विशेषज्ञों का कहना है कि मतदाता सूची को अपडेट करना चुनाव आयोग का सामान्य काम है। इसमें नए मतदाता, पुरानी गलतियों का सुधार और पहले छूटे पात्र नागरिकों को शामिल करना होता है। महाराष्ट्र जैसे राज्य में, जहां प्रवास, शहरीकरण और जनसंख्या वृद्धि ज्यादा है, ऐसी बढ़ोतरी स्वाभाविक है।
विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी का दावा असंगत है। अगर मतदाता संख्या में वृद्धि को केवल बीजेपी की जीत के समय संदिग्ध माना जाए, लेकिन कांग्रेस की जीत के समय नहीं, तो यह आरोप विश्वसनीयता खो देता है। बिना ठोस सबूत के केवल मतदाता संख्या बढ़ने को ‘मैच फिक्सिंग’ कहना उचित नहीं है।
डेटा दिखाता है कि 2024 में मतदाता वृद्धि असामान्य नहीं है और कांग्रेस की पिछली जीतें भी ऐसी ही वृद्धि के साथ हुई थीं।
--आईएएनएस
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