CWG 2018: वेटलिफ्टिंग के नाम रहा भारत का दूसरा दिन, संजीता ने स्वर्ण और दीपक ने जीता कांस्य
21वें राष्ट्रमंडल खेलों के दूसरे दिन शुक्रवार को भी भारतीय वेटलिफ्टिंग की ओर से पदक जीतने का सिलसिला जारी रहा।
गोल्ड कोस्ट:
21वें राष्ट्रमंडल खेलों के दूसरे दिन शुक्रवार को भी भारतीय वेटलिफ्टिंग की ओर से पदक जीतने का सिलसिला जारी रहा। मीराबाई चानू के बाद संजीता चानू और फिर दीपक लाठेर ने भारत को स्वर्ण और कांस्य पदक जिताकर दूसरे दिन भारत के नाम किया।
भारत को गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेल के पहले दो दिन अब तक 4 पदक मिले हैं। ये सभी वेटलिफ्टिंग ने दिलाए हैं। मीराबाई ने गुरुवार को रिकार्ड प्रदर्शन के साथ स्वर्ण पदक और पी. गुरुराजा ने रजत पदक जीता था।
राष्ट्रमंडल खेलों में 24 वर्ष की उम्र में दो स्वर्ण पदक जीतना और वह भी दो भार वर्ग में किसी भी खिलाड़ी के लिए आसान कार्य नहीं है लेकिन महिला वेटलिफ्टर खुमुकचम संजीता चानू ने यह मुश्किल कार्य कर दिखाया है।
मणिपुर की स्टार खिलाड़ी ने महिलाओं के 53 किलोग्राम भार वर्ग में देश के लिए स्वर्ण पदक जीता।
चानू ने कुल 192 किलोग्राम का वजन उठाया। उन्होंने स्नैच में 84 किलोग्राम भार और क्लीन एंड जर्क में 108 किलोग्राम का भार उठाया। यह राष्ट्रमंडल खेलों में एक रिकॉर्ड है।
मणिपुर की राजधानी इम्फाल में मौजूद संजीता चानू के माता-पिता ने कहा कि वह बचपन से ही खेलों की दीवानी रहीं हैं।
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संजीता की माता के. तेकोन लियमा ने कहा, 'गरीब परिवार से होने के कारण संजीता के खान-पान का ध्यान रखना हमारे लिए बहुत मुश्किल था। उसने समय-समय पर पूछा कि क्या वह खेल में करियर बनाने का सपना छोड़ दे लेकिन मैंने उसे हमेशा वह करने के लिए प्रोत्साहित किया जिसमें उसकी रुचि हो।'
संजीता ने 2006 में इस खेल को चुना और वह एक अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी बनीं लेकिन मणिपुर सरकार ने उन्हें महज पुलिस कांस्टेबल की नौकरी दी।
इस कदम से चानू के परिवार के मान-सम्मान को ठेस पहुंची। संजीता अभी रेलवे में नौकरी कर रहीं हैं।
चानू के परिवार ने कहा, हम चाहते हैं कि मणिपुर सरकार उसे अच्छी नौकरी दे क्योंकि उसने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का मान बढ़ाया है।
संजीता का यह स्वर्ण पदक 21वें राष्ट्रमंडल खेल में भारत का दूसरा स्वर्ण पदक है। संजीता के पदक ने मणिपुर के वेटलिफ्टिंग की विरासत को आगे बढ़ाया है।
यह राष्ट्रमंडल खेलों में संजीता का दूसरा स्वर्ण पदक है। उन्होंने 2014 में ग्लासगो में 48 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक जीता था।
संजीता ने तब कुल 173 किलोग्राम भार उठाया था लेकिन वह 2010 में दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में नाइजीरियाई अगस्टिना नकेम नवाओकोलो द्वारा बनाए रिकॉर्ड को तोड़ने से चूक गई थीं।
संजीता पिछले वर्ष विवादों में भी रहीं। उन्होंने अर्जुन अवार्ड न दिए जाने पर अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उन्हें अभी तक यह सम्मान नहीं मिला है।
संजीता चानू के अलावा दीपक ने 69 किलोग्राम भारवर्ग में भारत को कांस्य पदक दिलाया। उन्होंने स्नैच में 136 किलोग्राम भार उठाया। वहीं क्लीन एंड जर्क में 159 किलोग्राम भार उठाया। उन्होंने कुल स्कोर 295 के साथ कांस्य पदक अपने नाम किया।
18 साल के दीपक राष्ठमंडल खेलों में पदक जीतने वाले भारत के सबसे युवा खिलाड़ी बन गए हैं। उनके नाम अभी भी राष्ट्रीय रिकॉर्ड दर्ज हैं।
दीपक ने पदक जीतने के बाद कहा, मैंने पदक जीतने की उम्मीद छोड़ दी थी। लेकिन, यह पता नहीं था कि अंतिम समय में मेरी किस्मत इतनी अच्छी होगी और मैं पदक जीत जाऊंगा। एशियाई खेलों में हम इससे अच्छा परिणाम हासिल करने की कोशिश करेंगे। इसके लिए हमें इससे भी ज्यादा मेहनत करने की जरुरत है।
दीपक ने साथ ही माना कि उन्हें अभी अपनी तकनीक पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा, हां, अभी तकनीकी रूप में उतना अच्छा नहीं हूं जितना होना चाहिए। हमें अभी अपने तकनीकी विभाग में काफी सुधार करने की जरूरत है।
राष्ट्रीय कोच विजय शर्मा ने कहा, 'वह पहले से ही पांच फुट नौ इंच लंबे हैं। इसलिए वह अभी और अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। उनके पास अभी खुद को साबित करने का बहुत मौका है। हम उन्हें इससे भी ऊंचाई पर देखना चाहते हैं।'
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हालांकि सरस्वती राउत अपने साथी खिलाड़ियों के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाईं। वह महिलाओं की 58 किलोग्राम भारवर्ग स्पर्धा में निराशाजनक प्रदर्शन कर बाहर हो गईं। राउत अपनी स्पर्धा में स्नैच में असफल रहने के कारण क्लीन एंड जर्क में नहीं पहुंच पाईं।
वह स्नैच में अपने तीनों प्रयासों में विफल रहीं और इसी कारण क्लीन एंड जर्क में हिस्सा नहीं ले सकीं।
इस स्पर्धा में आस्ट्रेलिया की तिया क्लीयर टूमी ने कुल 201 किलोग्राम का भार उठा कर स्वर्ण जबकि कनाडा की टॉली डार्सिग्नी ने कुल 200 किलोग्राम का भार उठाकर रजत पदक अपने नाम किया। सोलोमन आइलैंड की जेनली विनी ने कुल 189 के स्कोर के साथ कांस्य पदक जीता।
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