चंडीगढ़, 16 जुलाई (आईएएनएस)। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पटियाला में कर्नल पुष्पिंदर सिंह बाठ और उनके बेटे पर हुए हमले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने का आदेश दिया है। यह घटना 13-14 मार्च की रात को पटियाला के जसवंत ढाबा के पास राजिंद्रा अस्पताल के निकट हुई थी।
हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) की कार्यप्रणाली पर असंतोष जताते हुए कहा कि जांच में खामियां छोड़ी जा रही हैं। इसलिए कोर्ट ने यह मामला सीबीआई को सौंपने का फैसला किया।
यह मामला तब सुर्खियों में आया जब कर्नल बाठ और उनके बेटे पर पंजाब पुलिस के चार इंस्पेक्टरों और उनके सशस्त्र सहयोगियों ने कथित तौर पर पार्किंग विवाद को लेकर हमला किया।
कर्नल के अनुसार, वह और उनका बेटा ढाबे के बाहर अपनी कार के पास खाना खा रहे थे, तभी सादे कपड़ों में कुछ पुलिसकर्मियों ने उनसे गाड़ी हटाने को कहा। उनके असभ्य व्यवहार का विरोध करने पर पुलिसकर्मियों ने कर्नल को मुक्का मारा और दोनों पर हमला कर दिया।
इस हमले में कर्नल की बांह टूट गई, जबकि उनके बेटे के सिर पर चोट आई। हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच 3 अप्रैल को चंडीगढ़ पुलिस को सौंपी थी और चार महीने में जांच पूरी करने का निर्देश दिया था। चंडीगढ़ पुलिस के एसपी मंजीत श्योरन की अगुवाई में एक एसआईटी गठित की गई थी।
हालांकि, कर्नल बाठ ने सोमवार को एक नई याचिका दायर कर आरोप लगाया कि एसआईटी निष्पक्ष और गंभीरता से जांच नहीं कर रही।
उन्होंने दावा किया कि तीन महीने बीत जाने के बावजूद किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया और न ही गैर-जमानती वारंट जारी किए गए। साथ ही, घटनास्थल के ढाबे का डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर (डीवीआर) गायब है, जिसे हासिल करने का कोई प्रयास नहीं किया गया।
हाईकोर्ट के जस्टिस राजेश भारद्वाज ने सुनवाई के दौरान एसआईटी की जांच की गति पर सवाल उठाए। कोर्ट ने पूछा कि एक आरोपी इंस्पेक्टर रॉनी सिंह की अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद भी कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई।
कोर्ट ने यह भी सवाल किया कि हत्या के प्रयास की धारा को जांच से क्यों हटाया गया। चंडीगढ़ पुलिस की ओर से पेश वकील जवाब देने में असफल रहे।
जस्टिस भारद्वाज ने कहा कि चंडीगढ़ पुलिस निष्पक्ष जांच करने में विफल रही है। इसलिए, इस मामले को सीबीआई को सौंपा जा रहा है। कर्नल की पत्नी जसविंदर कौर बाठ ने कोर्ट के फैसले पर संतुष्टि जताई और कहा कि वह न्याय की उम्मीद करती हैं। इस मामले में विस्तृत आदेश का इंतजार है।
--आईएएनएस
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