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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
लखनऊ, 8 सितंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की लंबे समय से उठाई जा रही मांगों पर त्वरित कार्रवाई करते हुए प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में मान्यता एवं प्रवेश प्रक्रिया की गहन जांच के लिए सख्त निर्देश जारी कर दिए हैं।
यह आदेश छात्रों के हितों की रक्षा, शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता लाने और अवैध कोर्सों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से दिया गया है।
एबीवीपी ने हाल ही में एसआरएमयू में डिग्री मान्यता को लेकर विरोध-प्रदर्शन किया था, जिसमें पुलिस कार्रवाई के बाद सीएम ने जांच के आदेश दिए थे। अब यह आदेश पूरे प्रदेश के लिए लागू होगा।
मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी आदेश के अनुसार, प्रत्येक मंडलायुक्त को अपने मंडल के हर जनपद के लिए अलग-अलग विशेष जांच टीम गठित करने का निर्देश दिया गया है।
इन टीमों में अनिवार्य रूप से एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, एक पुलिस विभाग का अधिकारी और एक शिक्षा विभाग का अधिकारी शामिल होंगे। ये टीमें स्थानीय स्तर पर संस्थानों की बारीकी से जांच करेंगी, ताकि कोई अनियमितता छूट न जाए।
जांच की प्रक्रिया को सरल लेकिन कठोर बनाया गया है। सबसे पहले, हर संस्था से शपथ-पत्र लेना होगा, जिसमें स्पष्ट घोषणा हो कि वहां केवल मान्यता प्राप्त कोर्स ही संचालित हो रहे हैं।
इसके बाद, सभी चल रहे कोर्सों की विस्तृत सूची मांगी जाएगी, साथ ही प्रत्येक कोर्स के मान्यता-पत्र, विश्वविद्यालय/बोर्ड या नियामक निकाय की स्वीकृति के दस्तावेज भी जमा कराने होंगे।
टीम यह भी सत्यापित करेगी कि किसी छात्र का प्रवेश बिना मान्यता वाले कोर्स में न हुआ हो। यदि कहीं अवैध प्रवेश या बिना स्वीकृति के कोर्स पाए गए, तो संस्थान पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई होगी।
इसमें जुर्माना लगाना, मान्यता रद्द करना या अन्य सजाएं शामिल हैं। प्रभावित छात्रों से वसूली गई पूरी फीस ब्याज सहित लौटाने की पूरी जिम्मेदारी संस्थान की होगी, जिससे छात्रों का आर्थिक नुकसान न हो।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, आदेश में समयबद्धता पर जोर दिया गया है। जांच तुरंत शुरू होनी चाहिए। हर जनपद की रिपोर्ट एकत्र कर 15 दिनों के भीतर मंडलायुक्त शासन को समेकित रिपोर्ट सौंपेंगे।
मंडलायुक्तों को पूरी जांच प्रक्रिया पर सीधी निगरानी रखने का जिम्मा सौंपा गया है। यदि कहीं लापरवाही या ढिलाई बरती गई, तो संबंधित अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाएगी।
एबीवीपी ने आदेश का स्वागत करते हुए कहा, यह छात्रों की लंबी लड़ाई की जीत है। सरकार ने शिक्षा के व्यापारीकरण को रोकने के लिए सकारात्मक कदम उठाए हैं।
--आईएएनएस
एसएचके/एबीएम
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