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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
मुंबई, 26 अगस्त (आईएएनएस)। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की स्मार्ट विलेज योजना को लेकर शिवसेना-यूबीटी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के मुखपत्र सामना के संपादकीय में सरकार की योजना पर कई सवाल उठाए गए हैं और व्यंग्यात्मक लहजे में उसे ठेकेदारों के लिए बनाई गई स्कीम करार दिया गया है।
संपादकीय की शुरुआत में शिवसेना-यूबीटी ने तंज कसा, मुख्यमंत्री ने नागपुर जाकर एक और बड़ा ऐलान किया है कि हर तालुका के दस गांवों को स्मार्ट बनाया जाएगा। यह घोषणा महात्मा गांधी के गांव की ओर चलो के संदेश की याद दिलाती है। हालांकि, इसके तुरंत बाद ही संपादकीय में तीखे सवालों की बौछार शुरू की गई।
‘सामना’ में पूछा गया है, क्या इन 3,500 गांवों को स्मार्ट और आत्मनिर्भर बनाने का मतलब यह है कि वहां के युवाओं को रोजगार मिलेगा? वे शहरों की ओर पलायन नहीं करेंगे? किसान आत्महत्या नहीं करेंगे? क्या ये गांव भ्रष्टाचार, धार्मिक तनाव, जर्जर सड़कों, खराब स्कूलों और बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं से मुक्त होंगे?
संपादकीय में आगे लिखा गया है कि स्मार्ट सिटी मिशन का हाल किसी से छिपा नहीं है। आज भी उन शहरों में सड़कों पर गड्ढे हैं, पानी-बिजली की समस्या है, और ट्रैफिक से लोग परेशान हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि स्मार्ट सिटी पर खर्च हुआ पैसा आखिर गया कहां?
शिवसेना-यूबीटी ने यह भी आरोप लगाया कि स्मार्ट सिटी योजना में जो घोटाले हुए, वे तब तक सामने नहीं आएंगे जब तक इन आठ शहरों की महानगरपालिकाओं, आयुक्तों और पालकमंत्रियों के कामकाज का ऑडिट नहीं किया जाता। मुंबई जैसे अंतरराष्ट्रीय शहर की हालत खुद बोल रही है।
शिवसेना-यूबीटी ने सवाल किया कि मुंबई जैसे अंतरराष्ट्रीय शहरों में स्थिति भयावह हो गई है। जब स्मार्ट सिटी मिशन की इतनी दुर्गति है, तब मुख्यमंत्री फडणवीस ने स्मार्ट विलेज योजना की घोषणा की, इसलिए यह प्रपंच है। साथ ही, आरोप लगाए गए हैं, कहीं ऐसा तो नहीं कि इस स्मार्ट गांव योजना का इस्तेमाल अपने-अपने ठेकेदार लॉबी को काम दिलाने और उसमें हिस्सेदारी का इस्तेमाल उसी गांव के चुनाव में किए जाने के लिए तो यह खेल नहीं खेला जा रहा है? लाडली बहन योजना में भी यही हुआ।
संपादकीय में लिखा है, फडणवीस ने हर तालुका में 10 गांवों को स्मार्ट बनाने की योजना की घोषणा की है। पिछले 10 वर्षों में इनमें से कई गांवों में स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य केंद्र ले जाते हुए रास्ते में ही प्रसव हो जाता है। अक्सर शिशुओं और गर्भवती महिलाओं की जान चली जाती है। माता-पिता को अपने बच्चे के शव को अपने कंधों पर लेकर यात्रा करनी पड़ती है। फडणवीस के कार्यकाल में 800 करोड़ रुपए का एंबुलेंस घोटाला हुआ। मुख्यमंत्री ने उस घोटाले पर क्या कार्रवाई की? ये एंबुलेंस कहां गईं?
शिवसेना-यूबीटी ने आखिर में लिखा है, सरकार राज्य के 3500 गांवों में कौन से स्मार्ट झंडे गाड़ने वाली है? यह ठेकेदारों के जरिए पैसा इकट्ठा करने का नया मिशन नहीं होना चाहिए। फडणवीस स्मार्ट हैं। उनके राज्य में भ्रष्टाचार भी स्मार्ट है।
--आईएएनएस
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