विकसित भारत-2047 के दृष्टिकोण के अनुरूप कोयला क्षेत्र की सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ-बीपीसीएल ने आयोजित की कार्यशाला

विकसित भारत-2047 के दृष्टिकोण के अनुरूप कोयला क्षेत्र की सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ-बीपीसीएल ने आयोजित की कार्यशाला

विकसित भारत-2047 के दृष्टिकोण के अनुरूप कोयला क्षेत्र की सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ-बीपीसीएल ने आयोजित की कार्यशाला

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IANS
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विकसित भारत-2047 के दृष्टिकोण के अनुरूप कोयला क्षेत्र की सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ-बीपीसीएल ने आयोजित की कार्यशाला

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 16 दिसंबर (आईएएनएस)। देश की आर्थिक प्रगति को गति देने के लिए जब भारत घरेलू कोयला उत्पादन को तेजी से बढ़ा रहा है, ऐसे समय में केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) और भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) ने 15–16 दिसंबर को बीसीसीएल मुख्यालय, कोयला नगर, धनबाद में कोयला क्षेत्र पर एक उच्चस्तरीय दो-दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया।

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इस कार्यशाला का उद्देश्य बढ़ती मांग, तकनीकी परिवर्तन और उभरते सुरक्षा खतरों के परिप्रेक्ष्य में देश के कोयला संसाधनों की सुरक्षा व्यवस्था को और सुदृढ़ करना था।

इस कार्यशाला में सीआईएसएफ के वरिष्ठ नेतृत्व, कोयला क्षेत्र की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के शीर्ष अधिकारी, जिला प्रशासन के प्रतिनिधि, उद्योग जगत के हितधारक तथा शिक्षाविद एक मंच पर आए और चुनौतियों, सर्वोत्तम प्रथाओं और विकसित भारत-2047 के दृष्टिकोण के अनुरूप भविष्य-तैयार सुरक्षा रोडमैप पर विचार-विमर्श किया।

कोयला भारत की ऊर्जा व्यवस्था की रीढ़ बना हुआ है और देश के कुल विद्युत उत्पादन का लगभग तीन-चौथाई हिस्सा इसी पर आधारित है। यह इस्पात, सीमेंट और अन्य प्रमुख उद्योगों को भी सहारा देता है। वर्ष 2030 तक—विशेष रूप से पूर्वी और मध्य भारत के कोयला क्षेत्रों से—लगभग 1.5 अरब टन कोयला उत्पादन के लक्ष्य को देखते हुए सुरक्षित, निर्बाध और वैध संचालन सुनिश्चित करना एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय प्राथमिकता बन गया है।

इस कार्यशाला में यह भी रेखांकित किया गया कि आर्थिक महत्व के साथ-साथ कोयला पारिस्थितिकी तंत्र कई गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है , जिनमें अवैध खनन, कोयला चोरी, पिल्फरेज, असुरक्षित परिचालन, भ्रष्टाचार से जुड़ी कमजोरियां तथा परित्यक्त खदानों का दुरुपयोग शामिल हैं। यह सभी कारक राजस्व, सुरक्षा और जनविश्वास को प्रभावित करते हैं। इसके अतिरिक्त, डिजिटल प्लेटफॉर्म, एकीकृत कमांड सिस्टम और रिमोट मॉनिटरिंग तकनीकों के बढ़ते उपयोग के साथ साइबर एवं सिस्टम-स्तरीय जोखिमों पर भी चिंता व्यक्त की गई ।

दो दिनों के दौरान विशेषज्ञों ने उन्नत खनन प्रौद्योगिकियों, एकीकृत निगरानी प्रणालियों, ड्रोन आधारित सर्विलांस, मानव संसाधन आधारित सुरक्षा पहलों, भ्रष्टाचार-निरोधक तंत्र, आपदा प्रबंधन तथा आईसीएमएस एवं एकीकृत कमांड और नियंत्रण केंद्रों के माध्यम से रीयल-टाइम निगरानी जैसे विषयों पर केंद्रित सत्र लिए। आउटसोर्स्ड एवं माइन डेवलपर-ऑपरेटर परियोजनाओं के लिए मानकीकृत सुरक्षा प्रोटोकॉल पर विशेष बल दिया गया, ताकि सभी परिचालन मॉडलों में समान सुरक्षा मानक सुनिश्चित किए जा सकें।

--आईएएनएस

एबीएस/

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