मुंबई, 19 जुलाई (आईएएनएस)। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग को पत्थर करार दिया है। शिवसेना-यूबीटी के मुखपत्र सामना को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), चुनाव आयोग, केंद्र सरकार की नीतियों और महाराष्ट्र की वर्तमान स्थिति पर तीखी टिप्पणी की। उद्धव ठाकरे ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ठाकरे ब्रांड को समाप्त करने की कोशिश हो रही है, लेकिन जनता ही उन प्रयासों को निष्फल करेगी।
उद्धव ठाकरे ने इंटरव्यू में कहा, चुनाव आयोग यानी पत्थर है। उस पत्थर पर सिंदूर लगा देने मात्र से शिवसेना नाम और धनुष-बाण चिह्न किसी और को देने का अधिकार उसे नहीं मिल जाता।
उन्होंने कहा कि देश के लोगों को हमेशा अशांत, अस्थिर और चिंतित बनाए रखना ही भाजपा की नीति है, लेकिन लोगों को हमेशा मूर्ख बनाकर नहीं रखा जा सकता। खुद सरसंघचालक ने भी संकेत दिया है कि प्रधानमंत्री मोदी की 75 साल की उम्र पूरी हो रही है।
शिवसेना के अस्तित्व पर सवाल को लेकर उद्धव ठाकरे ने कहा, वे लोग (भाजपा) शिवसेना को खत्म कर ही नहीं सकते। वर्षों बीत गए, लेकिन आज भी वे जनता को मुझसे दूर नहीं कर सके। इसलिए आत्मसमर्पण कर मालिकों की पार्टी में विलीन हो जाना ही उनके (शिवसेना) पास आखिरी विकल्प है।
उन्होंने कहा, अगर मैं कल चुनाव आयुक्त का नाम बदलकर पत्थर रख दूं, तो चलेगा क्या? इस पत्थर को पक्ष का नाम बदलने का अधिकार नहीं है। लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अगर हमने कुछ उल्टा व्यवहार किया होता तो बात अलग थी, लेकिन अगर हमने संविधान के अनुसार कोई गलती नहीं की हो तो वे हमारा चिह्न भी नहीं छीन सकते। वोट प्रतिशत वगैरह जो भी है, वह सिर्फ चिह्न तक सीमित है। नाम किसी और को नहीं दे सकते।
इंटरव्यू में उद्धव ठाकरे ने आगे कहा, उस पत्थर ने वो गैरकानूनी किया है। शिवसेना यह नाम वह किसी और को दे ही नहीं सकता। वो उसके अधिकार के बाहर की बात है, लेकिन उस पत्थर को सिंदूर लगाने वाले दिल्ली में बैठे हैं। इसलिए फिलहाल यह सब चल जाता है।
शिवसेना-यूबीटी को छोड़कर जाने वाले नेताओं पर भी उद्धव ठाकरे ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, कभी-कभी जमे हुए पानी को थोड़ी सी निकासी देनी पड़ती है और नई धारा के लिए रास्ता बनाना होता है। कभी-कभी भावनाओं में या प्रेम के मामले में कोई व्यक्ति अयोग्य होता है, फिर भी हम उसे दूर नहीं करते, लेकिन जब वह खुद ही चला जाता है और उसकी जगह कोई दूसरा ले लेता है, तब हमें अच्छा लगता है कि चलो एक मुसीबत चली गई। अब जो हमारे बीच से चले गए हैं, वे वहां जाकर कौन सा उजाला फैला रहे हैं, यह आप देख ही रहे हैं। इसलिए ऐसे लोग चले ही जाएं तो अच्छा।
महाराष्ट्र में जातिगत राजनीति पर जवाब देते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा, ये लोग (सत्तापक्ष) और क्या कर ही सकते हैं? लोगों के घरों में आग लगाकर अपनी रोटियां सेंकते हैं। कभी हिंदू-मुस्लिम, मराठी-गैरमराठी तो कभी हिंदुओं के बीच मराठा और गैर-मराठा अलग करना, यही चल रहा है। बालासाहेब कहते थे कि मराठा और गैर-मराठा, ब्राह्मण और गैर-ब्राह्मण, छूत-अछूत, घाटी और कोंकणी, ये सारे भेद मिटाकर लोगों को एक साथ मजबूती से आना चाहिए। अब वही एकता इनके आड़े आ रही है, इसलिए अब वे इनमें तोड़फोड़ कर रहे हैं।
उद्धव ठाकरे ने जन सुरक्षा बिल पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, क्या जन सुरक्षा बिल से महिलाओं पर अत्याचार रुकने वाले हैं? क्या चोरी, हत्या और डकैती रुकने वाली है? क्या समृद्धि आदि महामार्गों पर हो रही लूटमार रुकने वाली है? उस बिल में कट्टर वामपंथी (लेफ्टिस्ट) विचारधारा का जिक्र है। मूल रूप से कट्टर वामपंथी का मतलब क्या है? मूल रूप से वामपंथी विचारधारा और दक्षिणपंथी (राइटिस्ट) विचारधारा का मतलब क्या है?
ठाकरे ने कहा, वामपंथी विचारधारा में सामाजिक न्याय, व्यक्तिगत स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और समानता को माना जाता है। दक्षिणपंथी विचारधारा में धर्म आधारित विचार, पूंजीवाद वगैरह का महत्व है। इसका मतलब वामपंथी विचारधारा में कुछ बातें अच्छी हैं और दक्षिणपंथी में कुछ बातें बुरी हैं। हमें बुरी चीजें छोड़कर अच्छी चीजें अपनानी चाहिए।
शिवसेना-यूबीटी के प्रमुख ने आगे कहा, अगर कोई कट्टर वामपंथी हो सकता है, तो क्या कोई कट्टर दक्षिणपंथी नहीं हो सकता? दक्षिणपंथी विचारधारा अगर धर्म पर आधारित है, तो पहलगाम में आतंकियों ने धर्म पूछकर गोलियां चलाईं। तो क्या उन्हें कट्टर दक्षिणपंथी कहकर छोड़ देना चाहिए? इसलिए ऐसा करने की बजाय आतंकवादी, राष्ट्र विघातक और राष्ट्र विरोधी ताकतों का विरोध होना चाहिए। हम अब तक उन्हीं के खिलाफ लड़ते आए हैं। नक्सलवाद या आतंकवाद खत्म करने के लिए हमारा पूरा समर्थन है।
वन नेशन-वन इलेक्शन पर उद्धव ठाकरे ने कहा, इनका रास्ता अधिनायकवाद की ओर जा रहा है। शुरू में हमें भी एक राष्ट्र-एक विधान-एक प्रधान का नारा अच्छा लगा था, लेकिन वे (भाजपा) अब वन नेशन-वन इलेक्शन, फिर वन नेशन-वन लैंग्वेज और फिर वन पार्टी करेंगे। जेपी नड्डा ने कहा कि देश में सिर्फ एक पार्टी रहनी चाहिए। इसका मतलब है कि भविष्य में यहां वन पार्टी-वन इलेक्शन होगा।
--आईएएनएस
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