चीन की हेजे जातीय 'यीमाकान' गायन वाचन कला यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल

चीन की हेजे जातीय 'यीमाकान' गायन वाचन कला यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल

चीन की हेजे जातीय 'यीमाकान' गायन वाचन कला यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल

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IANS
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चीन की हेजे जातीय 'यीमाकान' गायन वाचन कला यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

बीजिंग, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने गुरुवार को चीन की हेजे जातीय यीमाकान गायन वाचन कला को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया है।

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उल्लेखनीय है कि वर्ष 2011 में इसे यूनेस्को की तत्काल संरक्षण की आवश्यकता वाली अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में पहले ही शामिल किया जा चुका था।

यह निर्णय भारत की राजधानी नई दिल्ली में आयोजित यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण पर अंतर-सरकारी समिति के 20वें सत्र के दौरान लिया गया।

इसी अवसर पर हेजे जातीय यीमाकान संरक्षण योजना को उत्कृष्ट संरक्षण प्रथाओं की सूची में भी स्थान दिया गया।

इस नए समावेश के साथ अब तक चीन के कुल 45 सांस्कृतिक तत्व यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूचियों और रजिस्टर में दर्ज हो चुके हैं, जिससे चीन दुनिया में सबसे आगे बना हुआ है।

गौरतलब है कि हेजे जाति चीन के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में स्थित हेइलोंगच्यांग, सोंगह्वाच्यांग और वूसुलीच्यांग तीनों नदियों के बेसिन क्षेत्रों में निवास करती है। लगभग पांच हजार से अधिक की जनसंख्या के साथ यह चीन की सबसे कम आबादी वाली अल्पसंख्यक जातियों में से एक है।

हेजे जातीय यीमाकान एक प्राचीन मौखिक कथा परंपरा है, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही है। इसमें कथा-वाचक हेजे भाषा में गद्य और पद्य के मिश्रण के रूप में इतिहास, नायक गाथाएं, मछली पकड़ने और शिकार जीवन, रिवाज, नैतिक मानदंड तथा लोक आस्थाओं से जुड़ी कहानियां सुनाते हैं। यह परंपरा न केवल हेजे जाति की सांस्कृतिक स्मृतियों को संरक्षित करती है, बल्कि एक माध्यम के रूप में इतिहास को दर्ज करने, नई पीढ़ी को शिक्षित करने और जीवन में सांस्कृतिक मनोरंजन जोड़ने की भूमिका निभाती है।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

--आईएएनएस

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