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छत्तीसगढ़ में 25 करोड़ की लागत से हो रहा समुद्री जीवाश्म पार्क का विकास, पाए गए करोड़ों साल पुराने जीवाश्म

इसे समुद्री जीवाश्म पार्क के रूप में विकसित करने के लिए बजट में 17.50 लाख का प्रावधान किया है

Updated on: 14 Feb 2019, 05:50 PM

कोरिया:

मनेन्द्रगढ़ वन मंडल के मुताबिक राज्य सरकार की ओर से इसे समुद्री जीवाश्म पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ कुदरती धरोहर का खजाना है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, करोड़ों साल पहले यह हिस्सा समुद्र के नीचे था जो भूगर्भ में हलचल के बाद ऊपर आया होगा. यहां आज भी समुद्र में पाए जाने वाले सीप के जीवाश्म नजर आते हैं. एस शिवन्ना, उपमहानिदेशक जीएसआई के अनुसार, करीब 28 करोड़ साल पहले छत्तीसगढ़ पूरी तरह समुद्र में डूबा हुआ था. इसके अवशेष आज भी कोरिया जिले में मौजूद हैं. 

इस तरह के कई मामले छत्तीसगढ़ में देखने को मिलते हैं.
1 - मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वेस्ट चिरमिरी में सिद्ध बाबा पहाड़ी की गहरी गुफा के भीतर पत्थरों में तब्दील जीवाश्म के रूप में समुद्री मछलियां और एक विशाल मगरमच्छ मौजूद हुआ करते थे.

2- 25 करोड़ साल पुराने समुद्री फॉसिल्‍स मनेंद्रगढ़ के पास हसदेव नदी और हसिया नाला के बीच करीब एक किलोमीटर का क्षेत्र समुद्री जीवों और वनस्पतियों के जीवाश्म से भरा हुआ है। इस क्षेत्र में बाइवाल्व मोलस्का, युरीडेस्मा और एवीक्युलोपेक्टेन आदि समुद्री जीवों के जीवाश्म मौजूद हैं.

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3 - सोनहत ब्लॉक के मेंड्रा गांव व हसदेव नदी, हलिया नाले के किनारे सीप के जीवाश्म है. तकरीबन एक किलोमीटर हिस्से में करोड़ों साल पुराने जीवाश्म दिखते हैं.

कोरिया के जंगल विभिन्नताओं से भरे हैं. यहां न सिर्फ खनिज पदार्थ संरक्षित हैं, बल्कि धरती के पुराने जीवाश्म होने के प्रमाण भी मिले हैं. इन जीवाश्मों के माध्यम से करोड़ों वर्ष पूर्व की प्राकृतिक संपदाओं के बारे में पता लगाया जा सकता है. साथ ही जलवायु व वातावरण के परिवर्तन के कारणों को जानने में ये जीवाश्म सहायक हो सकते हैं. चिरमिरी में सिद्ध बाबा पहाड़ी की गहरी गुफाओं में जलीय जीव के जीवाश्म मिलने के प्रमाण भी मिले हैं.

इस जानकारी मिलने पर मीडिया टीम रहस्यमयी आकृति की सूचना पर गुफा के अंदर पहुचे तो इस रहस्यमयी आकृति को देख कर हैरान हो गए. गुफा के भीतर पत्थरों में तब्दील जीवाश्म के रूप में समुद्री मछलियां और एक विशाल मगरमच्छ मौजूद था.

पूर्व महापौर डोमरु बेहरा ने बताया कि जब उन्हें इसकी जानकारी मिली थी वह इस गुफा तक गए थे. जीवाश्म से संबंधित जानकारी इंदौर के रिर्सच सेंटर तक भी पहुंचाई थी, लेकिन वहां से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई. बताया जाता है कि चिरमिरी में फर्न प्रजाति के जीवाश्म हैं. मनेन्द्रगढ़ में हसदेव नदी के तटीय क्षेत्र को जीवाश्म पार्क के रूप में विकसित करने की पहल शुरू की गई है. बता दें कि छत्‍तीसगढ़ का पहला समुद्री फॉसिल्‍स पार्क कोरिया जिले के मनेंद्रगढ़ शहर में बनेगा. प्रदेश में 25 करोड़ साल पुराने जीवाश्म पाए गए हैं.

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यहां फॉसिल्‍स की खोज कुछ साल पहले वन विभाग के अधिकारियों द्वारा की गई थी. वन विभाग के अधिकारियों ने इसके बारे में बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोबॉटनी लखनऊ से सलाह ली थी. इंस्टीट्यूट ने क्षेत्र मेंम जांच के लिए बीते दिनों वैज्ञानिकों की एक टीम भेजी थी और उन्होंने इस बात की पुष्टि की थी कि इस क्षेत्र का विकास जियो-हेरिटेज सेंटर के रूप में किया जाना चाहिए. मनेन्द्रगढ़ वन मंडल के मुताबिक राज्य सरकार ने इसे समुद्री जीवाश्म पार्क के रूप में विकसित करने के लिए बजट में 17.50 लाख का प्रावधान किया है. इस बजट की कुछ राशि से फॉसिल्‍स पार्क वाले क्षेत्र को घेरा जा चुका है. प्रस्तावित पार्क हसदेव और हसिया नदी के संगम पर करीब 1 किलोमीटर क्षेत्र में विकसित किया जाएगा.

लेकिन शोध को लेकर कोई खास रुझान नजर नहीं आ रहा है. मनेंद्रगढ़ में आमाखेरवा गांव के पास हसदेव नदी और हसिया नाला के बीच करीब एक किलोमीटर का क्षेत्र समुद्री जीवों और वनस्पतियों के जीवाश्म से भरा हुआ है. बताया जाता है कि इस क्षेत्र में बाइवाल्व मोलस्का, युरीडेस्मा और एवीक्युलोपेक्टेन आदि समुद्री जीवों के जीवाश्म मौजूद हैं. खास बात तो यह है कि छग में जीवाश्म पर अध्ययन की असीमित संभावनाएं हैं, लेकिन अब तक जीवाश्म को लेकर यहां बहुत कम अध्ययन हुआ है. सोनहत ब्लाक में मौजूद है. यहां भी समुद्र में पाए जाने वाले सीप के जीवाश्म अब भी नजर आते हैं. सोनहत मेंड्रा गांव में हसदेव नदी और हलिया नाला के किनारे ये जीवाश्म हैं. तकरीबन एक किलोमीटर हिस्से में करोड़ों साल पुराने जीवाश्म दिखते हैं. समुद्री जीवाश्म जानकारी के लिए मनेन्द्रगढ़ रेलवे स्टेशन पर बोर्ड भी लगाया गया.