छांगशिन महल दीप और समकालीन चीन की पारिस्थितिक जागृति

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छांगशिन महल दीप और समकालीन चीन की पारिस्थितिक जागृति

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IANS
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छांगशिन महल दीप और समकालीन चीन की पारिस्थितिक जागृति

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

बीजिंग, 27 अक्टूबर (आईएएनएस)। रोशनी हजारों वर्षों को पार कर इतिहास की लंबी नदी को रोशन करती है। महल का दीप प्राचीन और आधुनिक समय को जोड़कर शानदार चीनी सभ्यता बताता है।

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2,100 से अधिक साल पहले पश्चिमी हान राजवंश के छांगशिन महल में जब रात हो चली थी, रोशनियां जल रही थीं। उनमें एक अद्वितीय आकार और उत्तम डिजाइन वाले महल का दीप सबसे ध्यानाकर्षक रहा। यह था छांगशिन महल दीप, जो “चीन का सबसे शानदार दीप” कहा जाता है। अब छांगशिन महल दीप चीन के हपेई प्रांतीय संग्रहालय में संरक्षित है, जो चीनी सभ्यता की महिमा और वैभव का साक्षी बना।

कांसे से बना छांगशिन महल दीप न सिर्फ एक कला खजाना है, बल्कि हान राजवंश का पारिस्थितिक ज्ञान भी दिखाता है। महल की दासी का घुटनों के बल बैठा शरीर दीपक का मुख्य भाग है और दाई आस्तीन का साइफन के रूप में प्रयोग किया जाता है। धुएं और धूल को बाहर निकालने के लिए नीचे का हिस्सा खोला और बंद किया जा सकता है। 21वीं सदी के चीन में “स्वच्छ जल और हरे-भरे पहाड़ अमूल्य संपत्ति हैं” वैज्ञानिक शोध के निर्देश में हरित विकास तेजी से बढ़ रहा है। इस प्राचीन दीप का प्रकाश आधुनिक पर्यावरण संरक्षण के तर्क को उजागर करता है, यानी कि असली पारिस्थितिक क्रांति कचरे को पुनर्परिभाषित करने से शुरू होती है।

छांगशिन महल दीप का सबसे उत्कृष्ट भाग इसकी आंतरिक परिसंचरण प्रणाली है। ग्रीज़ के जलने से उत्पन्न धुआं आस्तीन के माध्यम से दीप के निचले भाग में स्थित पानी की थाली में प्रवेश करता है। इससे प्रदूषकों का दीप के अंदर निपटारा किया जा सकता है। यह डिजाइन आधुनिक वृत्ताकार अर्थव्यवस्था के मूल सार को प्रतिबिंबित करता है। वह है रैखिक खपत को बंद-लूप प्रवाह में परिवर्तित करना। आज चीन इस प्राचीन ज्ञान को राष्ट्रीय रणनीति में शामिल कर रहा है। उदाहरण के लिए छिंगहाई प्रांत के तीन नदियों के उद्गम-स्थल यानी सानच्यांगयुआन पारिस्थितिक संरक्षण क्षेत्र पारिस्थितिक परिसंपत्तियों को राष्ट्रीय आर्थिक लेखांकन में शामिल करता है।

हपेई प्रांत स्थित श्योंगआन न्यू एरिया का भूमिगत पाइपलाइन नेटवॉर्क आधुनिक साइफन की तरह संसाधन का कुशल आवंटन करता है। क्वांगतोंग प्रांत का शनचन शहर शून्य कचरे वाले शहर का निर्माण बढ़ा रहा है। शनचन में कचरा पुनर्चक्रण दर 40 प्रतिशत से अधिक हो गई है। सूक्ष्म उत्पादों से लेकर वृहद नियोजन तक नया पारिस्थितिक दर्शन उभर रहा है यानी कि वास्तविक पर्यावरण संरक्षण अंतिम शुद्धिकरण नहीं, प्रणाली का पुनः डिजाइन है।

छांगशिन महल दीप का वियोज्य डिजाइन और समायोज्य प्रकाश पैनल सब उपयोगकर्ताओं के प्रति विचारशील को दर्शाते हैं। मानव को प्राथमिकता देते हुए पर्यावरण संरक्षण की विचारधारा समकालीन चीन में पारिस्थितिक संरक्षण का अभ्यास ही है। चच्यांग प्रांत की ग्रामीण पुनरुत्थान परियोजना से न सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों का वातावरण बेहतर बना, बल्कि ग्रामीण क्षेत्र को रहने योग्य जगह भी बनाया गया। पेइचिंग में परित्यक्त पुल को आकाश उद्यान में बदला गया, जिससे पर्यावरण संरक्षण को नागरिकों के दैनिक जीवन में शामिल किया गया।

कानसू प्रांत की कूलांग काउंटी में रेगिस्तान के किनारे 250 किलोमीटर का आश्रय बेल्ट स्थापित किया गया। यांग्त्ज़ी नदी के मछुआरे मछली पकड़ने के जाल हटाकर मत्स्य संरक्षक बने। ये सब न केवल पारिस्थितिक बहाली है, बल्कि मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य भी है। पर्यावरण संरक्षण को लोगों की आजीविका के साथ घनिष्ठ रूप से एकीकृत करने का यह विचार छांगशिन महल दीप का मानवतावादी देखभाल की आधुनिक प्रतिध्वनि है।

हान राजवंश के कांसे के दीप से समकालीन पारिस्थितिक सभ्यता तक सतत विकास पर चीनी लोगों की खोज कभी नहीं रुकी। सुंदर चीन के निर्माण की यात्रा में यह प्राचीन दीप हमें याद दिलाता है कि वास्तविक पर्यावरणीय नवाचार तकनीकी सफलता ही नहीं, सोच में बदलाव भी है। प्रकृति पर विजय से लेकर सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व तक, अपव्यय से सतत विकास तक, यह चीनी सभ्यता ने दुनिया को दिया गया पारिस्थितिक ज्ञान ही है।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

--आईएएनएस

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