चैटजीपीटी और गूगल से पहले भी था ज्ञान-स्रोत, जानिए 'आप्तदेश' के रहस्य!

चैटजीपीटी और गूगल से पहले भी था ज्ञान-स्रोत, जानिए 'आप्तदेश' के रहस्य!

चैटजीपीटी और गूगल से पहले भी था ज्ञान-स्रोत, जानिए 'आप्तदेश' के रहस्य!

author-image
IANS
New Update
aptodesh

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 7 सितंबर (आईएएनएस)। क्या आपने कभी सोचा है कि हजारों साल पहले जब न तो लैब थे, न टेस्ट रिपोर्ट, तब वैद्यों को इतनी गहराई से कैसे पता चलता था कि कौन-सी जड़ी-बूटी किस बीमारी में काम आएगी? तो इसका उत्तर आप्तदेश है।

Advertisment

आप्त यानी ऐसा व्यक्ति जो सत्य बोलता है, ज्ञानी है, और स्वार्थ से परे है। वहीं देश यानी उसका कहा हुआ उपदेश। तो, आप्तदेश का सीधा मतलब हुआ-ऐसे ऋषि-मुनियों या आचार्यों की कही गई बात, जिनका ज्ञान अनुभव और आत्मबोध से उपजा है। आज की डेट में जहां इसका तमगा हम विकिपीडिया या गूगल को देते हैं, हजारों साल पहले इसका जिम्मा वैद, ऋषि और शास्त्रों ने उठा रखा था। ज्ञान के सबसे भरोसेमंद स्रोत वही थे।

चरक संहिता के मुताबिक ज्ञान के तीन प्रमुख रास्ते हैं, पहला प्रत्यक्ष (जो आंखों से देखा जाए), दूसरा अनुमान (जिसे दिमाग समझता है) और तीसरा आप्तदेश, यानी जो ज्ञानी जनों से सीखा जाए।

इसमें सबसे भरोसेमंद तरीका है आप्तदेश, क्योंकि ये ज्ञान किसी लालच या झूठ के पुलिंदे में नहीं गूंथा था। ज्ञानियों के ज्ञान का स्रोत अनुभव, ध्यान और सत्य था।

इसके प्रचार-प्रसार के लिए, या रोचक बनाने के लिए, किसी विज्ञापन या ब्रांडिंग की आवश्यकता नहीं होती। महज सच्चा अनुभव और आत्मज्ञान इसकी खासियत है। ऋषि अत्रेय, आचार्य चरक, सुश्रुत आदि ने जो कुछ कहा, वह महज किताबों में संजोई बातें नहीं थीं। वे खुद चिकित्सा करते थे, जड़ी-बूटियां उगाते थे, और रोगियों को ठीक होते देखते थे।

उनकी बातों को शास्त्रों में जगह इसलिए मिली क्योंकि वो प्रमाणित थीं-यानी प्रयोग से सिद्ध। चरक संहिता का आप्त वचन कहता है त्रिदोष ही रोगों का मूल कारण है, तो सुश्रुत संहिता शल्य चिकित्सा का वर्णन करता है वहीं अष्टांग हृदयम् आहार, निद्रा और ब्रह्मचर्य की बात करता है। इन ग्रंथों में जो भी लिखा गया वो आज भी प्रासंगिक है क्योंकि ये तर्क नहीं सदियों के अनुभव से गढ़ा गया।

अब सवाल उठता है—जब हमारे पास गूगल है, चैटजीपीटी है, और डॉक्टर हैं, तो फिर आप्तदेश की जरूरत क्यों है? इसका सीधा सा उत्तर है क्योंकि गूगल पर जानकारी है लेकिन सत्यता तय नहीं है। आज भी कई रोग ऐसे हैं जहां आधुनिक विज्ञान मौन है, लेकिन आयुर्वेद के आप्त वचनों में समाधान मौजूद है। आप्तदेश एक पुरातन ज्ञान नहीं बल्कि प्रामाणिक जीवन दर्शन है।

--आईएएनएस

केआर/

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Advertisment