सीजीटीएन सर्वे: विश्व जनता ने देशों से जलवायु शासन पर ठोस कदम उठाने का आग्रह किया

सीजीटीएन सर्वे: विश्व जनता ने देशों से जलवायु शासन पर ठोस कदम उठाने का आग्रह किया

सीजीटीएन सर्वे: विश्व जनता ने देशों से जलवायु शासन पर ठोस कदम उठाने का आग्रह किया

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IANS
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सीजीटीएन सर्वे: विश्व जनता ने देशों से जलवायु शासन पर ठोस कदम उठाने का आग्रह किया

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

बीजिंग, 22 नवंबर (आईएएनएस)। इस वर्ष जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते की 10वीं वर्षगांठ है, और यह देशों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदानों के एक नए दौर को प्रस्तुत करने का एक महत्वपूर्ण क्षण भी है। वैश्विक जलवायु शासन एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जिसके लिए तत्काल और व्यावहारिक कार्रवाई की आवश्यकता है।

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चाइना मीडिया ग्रुप (सीएमजी) के अधीनस्थ सीजीटीएन द्वारा 48 देशों के 33,000 उत्तरदाताओं को शामिल करते हुए किए गए एक वैश्विक सर्वेक्षण से वैश्विक जलवायु शासन की तात्कालिकता और दीर्घकालिक महत्व, दोनों पर व्यापक सहमति का पता चलता है। वैश्विक जलवायु प्रयासों में योगदान देने में चीन के दृष्टिकोण और उपलब्धियों को व्यापक मान्यता मिली है, और उत्तरदाता सभी देशों से व्यावहारिक कदम उठाने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए मिलकर काम करने का आह्वान कर रहे हैं।

सर्वेक्षण के अनुसार, 91 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना ​​है कि हाल के वर्षों में दुनिया भर में चरम मौसम की घटनाओं की आवृत्ति तेजी से बढ़ी है। 89.2 प्रतिशत का कहना है कि यह प्रवृत्ति तेजी से बिगड़ती वैश्विक जलवायु को दर्शाती है, और 90 प्रतिशत सहमत हैं कि जलवायु परिवर्तन पर प्रतिक्रिया एक तत्काल प्राथमिकता है, और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से सख्त और ठोस कार्रवाई करने का आह्वान किया गया है।

वैश्विक जलवायु शासन के इस महत्वपूर्ण क्षण में, देश किस प्रकार प्रतिक्रिया देते हैं और क्या वे अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर पाते हैं, यह न केवल जलवायु कार्रवाई की सफलता निर्धारित करेगा, बल्कि मानवता के भविष्य को भी गहराई से आकार देगा।

सर्वेक्षण के अनुसार, 85 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना ​​है कि प्रभावी वैश्विक जलवायु शासन के लिए राष्ट्रों के बीच सहयोग को मजबूत करना आवश्यक है। 75.1 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने जलवायु मुद्दों पर ईमानदारी और कार्रवाई की कमी के लिए विकसित देशों की आलोचना की, 75 प्रतिशत का कहना है कि जलवायु सहायता प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में उनकी बार-बार विफलता गैर-जिम्मेदाराना है, और 86.4 प्रतिशत का मानना ​​है कि मानव-जनित जलवायु परिवर्तन के लिए विकसित देश अपरिहार्य ऐतिहासिक और नैतिक ज़िम्मेदारी वहन करते हैं, और उनसे और अधिक मजबूत और ठोस कार्रवाई करने का आह्वान किया।

इस बीच, वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) देशों के उत्तरदाताओं ने विकसित देशों की तुलना में जलवायु मुद्दों से निपटने में अधिक दृढ़ संकल्प और संकल्प दिखाया:94.6 प्रतिशत वैश्विक दक्षिण देशों के उत्तरदाता ऊर्जा संरक्षण और उत्सर्जन में कमी को अपने व्यवहार और दैनिक जीवन में शामिल करने के इच्छुक हैं, यह विकसित देशों के उत्तरदाताओं की तुलना में 14.9 प्रतिशत अंक अधिक है। वैश्विक दक्षिण के 96.2 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए हरित उद्योगों के विकास में तेजी लाने का आह्वान किया है, जो विकसित देशों की तुलना में 13.4 प्रतिशत अंक अधिक है।

इस वर्ष, चीन ने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान के एक नए दौर की घोषणा की, जो पेरिस समझौते के अनुरूप उसके सर्वश्रेष्ठ प्रयासों को दर्शाता है। वैश्विक उत्तरदाताओं ने इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है: 76.7 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना ​​है कि चीन ने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया है। 70.5 प्रतिशत उत्तरदाता पवन और सौर ऊर्जा जैसे स्वच्छ ऊर्जा बुनियादी ढांचे के निर्माण में चीन के प्रयासों की सराहना करते हैं, और 79.9 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना ​​है कि चीन की जलवायु शासन पद्धतियां अन्य देशों के लिए मूल्यवान संदर्भ प्रदान करती हैं।

वैश्विक दक्षिण के देशों और 44 वर्ष से कम आयु के उत्तरदाताओं ने इन क्षेत्रों में औसत से अधिक सहमति दिखाई। इसके अलावा, 75.8 प्रतिशत उत्तरदाताओं का कहना है कि चीन ने जलवायु शासन में एक प्रमुख शक्ति के रूप में दृढ़ संकल्प और ज़िम्मेदारी दिखाई है, और 73.4 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने वैश्विक जलवायु शासन के प्रति चीन के दृष्टिकोण का समर्थन किया है और अनुमान लगाया है कि यह भविष्य में और भी बड़ी भूमिका निभाएगा।

बता दें कि यह सर्वेक्षण सीजीटीएन द्वारा, चीन के रनमिन विश्वविद्यालय के सहयोग से, नए युग में अंतर्राष्ट्रीय संचार संस्थान के माध्यम से, दुनिया भर के उत्तरदाताओं को लक्षित करते हुए किया गया था। सर्वेक्षण किए गए देशों में प्रमुख विकसित देशों के साथ-साथ वैश्विक दक्षिण के देश भी शामिल हैं। सभी उत्तरदाता 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के सामान्य वयस्क हैं, और नमूना प्रत्येक देश की आयु और लिंग के अनुसार जनसंख्या वितरण को दर्शाता है।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

--आईएएनएस

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