गोल्ड ETF का बढ़ रहा क्रेज, क्या यह निवेश के लिए फिजिकल गोल्ड से बेहतर है?

आप भी गोल्ड की चमक से आकर्षित हैं लेकिन इनकी बढ़ती कीमतों की वजह से लगातार दूरी बना रहे हैं तो आपके लिए Gold ETF एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. जानिए क्या है गोल्ड ईडीएफ और क्यों बढ़ रहा निवेश में इसका क्रेज.

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Dheeraj Sharma
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What is Gold ETF

What is Gold ETF: भारत में सोने को न केवल आभूषण के रूप में, बल्कि निवेश के एक सुरक्षित विकल्प के तौर पर भी देखा जाता है. परंपरागत रूप से लोग फिजिकल गोल्ड यानी सोने के गहनों या सिक्कों में निवेश करते रहे हैं, लेकिन बदलते वक्त के साथ अब गोल्ड ETF (Exchange Traded Fund) एक स्मार्ट और सुविधाजनक विकल्प के रूप में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. खासकर उन निवेशकों के लिए जो सिर्फ लाभ कमाने की नीयत से सोने में पैसा लगाना चाहते हैं.

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क्या होता है गोल्ड ETF?

गोल्ड ETF दरअसल एक तरह का म्यूचुअल फंड होता है, जो शेयर बाजार में ट्रेड होता है और जिसकी कीमतें अंतरराष्ट्रीय सोने के भाव से जुड़ी होती हैं. इसका मतलब है कि जब सोने की कीमत बढ़ती है, तो गोल्ड ETF की कीमत भी बढ़ती है. यह पूरी तरह डिजिटल फॉर्म में होता है, जिससे स्टोरेज, चोरी या शुद्धता को लेकर कोई चिंता नहीं होती, न ही इसमें मेकिंग चार्ज देना पड़ता है, जैसा कि फिजिकल गोल्ड में देना होता है.

क्यों बढ़ रहा है गोल्ड ETF का ट्रेंड?

ऑनलाइन खरीद-बिक्री की सुविधा 

गोल्ड ETF को आप आसानी से अपने डिमैट अकाउंट के जरिए खरीद या बेच सकते हैं. यह शेयर बाजार की तरह रियल-टाइम ट्रेडिंग की सुविधा देता है.

उच्च लिक्विडिटी 

जब भी आपको पैसे की जरूरत हो, आप इसे बाजार में बेच सकते हैं. इसमें बायर्स की कमी नहीं होती.

ट्रांसपेरेंसी

यह एक पारदर्शी निवेश है जिसमें आपको हर दिन की NAV (Net Asset Value) की जानकारी मिलती है.

कोई स्टोरेज चिंता नहीं 

फिजिकल गोल्ड को घर में रखने से चोरी या लॉस का खतरा बना रहता है, लेकिन गोल्ड ETF में ऐसा कोई जोखिम नहीं होता.

गोल्ड ETF की कुछ सीमाएं भी हैं

गोल्ड ETF के कई फायदे हैं, लेकिन इसके साथ कुछ कमियां भी हैं. आइए जानते हैं क्या सीमाएं हैं. 

- डीमैट अकाउंट जरूरी: इसमें निवेश करने के लिए आपके पास डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट होना चाहिए. यह सुविधा हर निवेशक के पास नहीं होती.

- लॉन्ग टर्म टैक्स: यदि आप गोल्ड ETF को एक साल से ज्यादा समय तक होल्ड करते हैं, तो 12.5% का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) देना पड़ सकता है.

- मार्केट रिस्क: चूंकि यह शेयर बाजार में ट्रेड होता है, इसकी कीमतें डिमांड-सप्लाई के आधार पर घट-बढ़ सकती हैं.

फिजिकल गोल्ड या गोल्ड ETF – कहां करें निवेश?

यह पूरी तरह से आपके निवेश के उद्देश्य पर निर्भर करता है. अगर आप सोने को आभूषण के रूप में इस्तेमाल करना चाहते हैं या पारिवारिक विरासत के रूप में सहेजना चाहते हैं, तो फिजिकल गोल्ड आपके लिए बेहतर रहेगा, हालांकि, इसमें मेकिंग चार्ज, स्टोरेज और शुद्धता की समस्याएं होती हैं. 

वहीं दूसरी तरफ आपका मकसद सिर्फ रिटर्न कमाना है और आप कम जोखिम, ज्यादा लिक्विडिटी और ट्रांसपेरेंसी चाहते हैं, तो गोल्ड ETF आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है. 

निवेश से पहले क्या ध्यान रखें?

गोल्ड ETF में निवेश करते समय एक जरूरी बात जो ध्यान में रखनी चाहिए, वह है Expense Ratio यानी फंड मैनेजमेंट का खर्च. यह जितना कम होगा, आपकी रिटर्न उतनी ही ज्यादा होगी. इसके साथ ही किसी भी निवेश से पहले अपने निवेश उद्देश्य और जोखिम सहने की क्षमता का आंकलन जरूर करें. 

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