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टेलीकॉम कंपनियों के लिए आज 'ग्रहण' रात, अगर सरकार को 1.47 लाख करोड़ नहीं दिया तो...

उच्चतम न्यायालय की फटकार के बाद दूरसंचार विभाग ने भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसी दूरसंचार कंपनियों को आदेश जारी कर शुक्रवार मध्यरात्रि से पहले वैधानिक बकाए का भुगतान करने को कहा है.

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Deepak Pandey
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टेलीकॉम कंपनियों के लिए आज 'ग्रहण' रात, अगर सरकार को 1.47 लाख करोड़ नहीं दिया तो...

टेलीकॉम कंपनियां( Photo Credit : फाइल फोटो)

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भारती एयरटेल ने शुक्रवार को दूरसंचार विभाग को 10,000 करोड़ रुपये का बकाया 20 फरवरी तक देने, और उच्चतम न्यायालय में समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) मामले अगली सुनवाई से पहले बाकी बकाया चुकाने की पेशकश की. उच्चतम न्यायालय की तल्ख टिप्पणी के बाद दूरसंचार विभाग ने शुक्रवार को सभी दूरसंचार ऑपरेटरों को दिन के अंत तक अपना बकाया चुकाने का निर्देश दिया है.

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एयरटेल ने दूरसंचार विभाग के सदस्य (वित्त) को भेजे पत्र में कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय के फैसले और उनके निर्देश के अनुपालन में हम 20 फरवरी 2020 तक भारती समूह की कंपनियों की ओर से 10,000 करोड़ रुपये (खाते में) जमा कर देंगे. एयरटेल पर सरकार का करीब 35,586 करोड़ रुपये बकाया है, जिसमें लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क शामिल हैं.

पत्र में कहा गया है कि आप स्वीकार करेंगे कि यह एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें 22 सर्किल, बहुस्तरीय लाइसेंस हैं और इसलिए इसमें समय लगता है. शीर्ष न्यायालय के फैसले के अनुसार दूरसंचार कंपनियों को 23 जनवरी तक अपना बकाया चुकाना था. इससे पहले, उच्चतम न्यायालय ने दिन में इस संबंध में सुनवाई करते हुए एजीआर बकाये के भुगतान संबंधी अपने पुराने आदेश का अनुपालन नहीं किये जाने को लेकर नाराजगी जाहिर की. न्यायालय ने दूरसंचार कंपनियों को झाड़ लगाने के साथ ही दूरसंचार विभाग की भी खिंचाई की.

उच्चतम न्यायालय की फटकार के बाद दूरसंचार विभाग ने भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसी दूरसंचार कंपनियों को आदेश जारी कर शुक्रवार मध्यरात्रि से पहले वैधानिक बकाए का भुगतान करने को कहा है. उच्चतम न्यायालय ने दूरसंचार कंपनियों से बकाये की वसूली पर रोक लगाने को लेकर विभाग की खिंचाई की. उसके बाद विभाग ने दूरसंचार विभाग ने कंपनियों को सर्किल के आधार पर बकाये के संबंध में नोटिस भेजना शुरू कर दिया है.

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उत्तर प्रदेश (पश्चिम) दूरसंचार सर्किल ने शुक्रवार को सभी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को नोटिस जारी कर शुक्रवार को 11.59 तक बकाये का भुगतान करने को कहा. इसमें कहा गया है कि आपको लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क के एवज में बकाया राशि का भुगतान 14.02.2020 को रात 11.59 से पहले करने निर्देश दिया जाता है. एक दूरसंचार परिचालक ने नाम नहीं देने की शर्त पर नोटिस मिलने की बात स्वीकार की है. हालांकि, अभी यह साफ नहीं है कि बकाया राशि में से कितने का भुगतान मध्य रात्रि तक करने को कहा गया है.

सभी 15 इकाइयों पर लाइसेंस शुल्क के रूप में 92,642 करोड़ रुपये और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क के रूप में 55,054 करोड़ रुपये बकाये है. यानी इन कंपनियों के ऊपर सरकार के 1.47 लाख करोड़ रुपये बकाये हैं. ये आदेश सर्किल के संचार लेखा नियंत्रक ने जारी किये हैं. इससे पहले दूरसंचार विभाग ने उस आदेश को वापस ले लिया, जिसमें चूककर्ता दूरसंचार कंपनियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई करने से मना किया गया था.

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को अपने आदेश के अनुपालन नहीं होने को लेकर कड़ा रुख अपनाया जिसके तुरंत बाद विभाग ने यह कदम उठाया. दूरसंचार विभाग के क्षेत्रीय अधिकारियों को शीर्ष अदालत के अक्टूबर के आदेश को क्रियान्वित करने के लिए तत्काल जरूरी कदम उठाने को कहा गया है. इससे पहले दिन में उच्चतम न्यायालय ने दूरसंचार सेवा प्रदाताओं और अन्य कंपनियों के प्रबंध निदेशक ओर निदेशकों से कहा कि वे यह बताए कि 1.47 लाख करोड़ रुपये के समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) देने के उसके आदेश का अनुपालन नहीं करने को लेकर उनके खिलाफ क्यों नहीं अवमानना की कार्रवाई की जाए?.

न्यायाधीश अरुण मिश्रा, न्यायाधीश एस अब्दुल नजीर और न्यायाधीश एम आर शाह की पीठ ने आदेश का अनुपालन नहीं होने को लेकर कड़ा रुख अपनाया और दूरसंचार विभाग के एक डेस्क अधिकारी द्वारा जारी आदेश पर नाराजगी जताई. इससे देश के दूरसंचार बाजार में काम कर रही तीन निजी कंपनियों में से वोडाफोन आइडिया के सर्वाधिक प्रभावित होने की आशंका है. वोडाफोन आइडिया पर 53,000 करोड़ रुपये का बकाया है. इसमें 24,729 करोड़ रुपये स्पेक्ट्रम बकाया और 28,309 करोड़ रुपये लाइसेंस शुल्क के रूप में बकाया है.

इससे पहले, कंपनी ने कहा था कि अगर उसे राहत नहीं मिली तो वह अपना कामकाज बंद कर देगी. वहीं भारतीय एयरटेल पर देनदारी करीब 35,586 करोड़ रुपये है। इसमें लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क शामिल हैं। शेष बकाया बीएसएनएल / एमटीएनएल और कुछ बंद / दिवालिया हो चुकी दूरसंचार कंपनियों पर है.

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