रिलायंस जियो (Reliance Jio) में अभी भी बची हैं निवेश की संभावनाएं, बोफा रिसर्च की रिपोर्ट

बोफा रिसर्च ने कहा कि फेसबुक सौदे के बाद हम मानते हैं कि जियो प्लेटफार्म्स पर पीई द्वारा कोई भी सौदा तेजी के साथ हो सकता है, क्योंकि हाल के निवेशों से दस्तावेज और प्रक्रिया तैयार हो चुके हैं.

बोफा रिसर्च ने कहा कि फेसबुक सौदे के बाद हम मानते हैं कि जियो प्लेटफार्म्स पर पीई द्वारा कोई भी सौदा तेजी के साथ हो सकता है, क्योंकि हाल के निवेशों से दस्तावेज और प्रक्रिया तैयार हो चुके हैं.

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Dhirendra Kumar
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रिलायंस जियो प्लेटफॉर्म्स (Reliance Jio Platforms)( Photo Credit : IANS)

अमेरिकी प्रौद्योगिकी निवेशक सिल्वर लेक (Silver Lake) द्वारा रिलायंस जियो प्लेटफॉर्म्स (Reliance Jio Platforms) में 1.15 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदे जाने के बाद ब्रोकरेज फर्मो को कंपनी में अभी अतिरिक्त आठ प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री की गुंजाइश दिखाई देती है. बोफा रिसर्च (BofA Research) ने एक नोट में कहा कि आज 1.15 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री के बाद हमें अतिरिक्त आठ प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री की गुंजाइश दिखती है. बोफा रिसर्च ने कहा कि फेसबुक सौदे के बाद हम मानते हैं कि जियो प्लेटफार्म्स पर पीई द्वारा कोई भी सौदा तेजी के साथ हो सकता है, क्योंकि हाल के निवेशों से दस्तावेज और प्रक्रिया तैयार हो चुके हैं.

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बोफा रिसर्च का कहना है कि हम उम्मीद करते हैं कि जियो में आने वाले किसी भी निवेश से इसकी बैलैंसशीट मजबूत होगी, खासतौर से इसके 850 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम के नवीनीकरण और भविष्य में नए 5जी स्पेक्ट्रम को खरीदने के लिए. हमें लगता है कि जियो 5जी में सबसे पहले प्रवेश करेगा. रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (Reliance Industries-RIL) ने अपनी चौथी तिमाही के परिणामों में कहा है कि वैश्विक निवेशकों ने जियो प्लेटफार्म्स में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की रुचि दिखाई है (जियो ने 61 अरब डॉलर में फेसबुक को 9.99 प्रतिशत हिस्सेदारी बेची है).

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सोमवार को आरआईएल ने घोषणा की कि एक पीई सिल्वर लेक जियो प्लेटफॉर्म्स में 56 अरब रुपये निवेश करेगी. यह निवेश फेसबुक के निवेश के इक्वि टी मूल्यांकन के 12.5 प्रतिशत प्रीमियम पर है. बोफा ने कहा कि हम प्रीमियम को उचित मानते हैं, क्योंकि फेसबुक के विपरीत किसी भी रणनीतिक निवेशक को, जो मूल्य को टेबल पर लाता है, यानी एक पीई कंपनी को व्यापक तौर पर एक फायनेंशियल निवेशक के रूप में देखा जा सकता है. रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि और हिस्सेदारी बिक्री से किसी जियो आईपीओ से पहले तरलता में मदद मिलेगी. आरआईएल ने अपनी अगस्त 2019 की एजीएम में कहा था कि कंपनी पांच साल के अंदर एक जियो आईपीओ की उम्मीद कर रही है.

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