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भारत में दीवाली और अन्य त्योहारी मौकों के दौरान चांदी की मांग हमेशा बढ़ जाती है, लेकिन 2025 में इसकी कमी ने निवेशकों और ज्वेलर्स की चिंता बढ़ा दी है. देश में चांदी की कीमतें अब वैश्विक स्तर से लगभग 10% अधिक बिक रही हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चांदी के निवेश फंड (ETF) ने नई खरीदारी पर रोक लगा दी है, जिससे फिजिकल चांदी की उपलब्धता और कम हो गई है. त्योहारों की वजह से लोगों का चांदी में निवेश करने का क्रेज बढ़ गया है, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई है.
चांदी की ताजा रेट की बात करें तो इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) के अनुसार, चांदी की कीमत 1,85,000 रुपए प्रति किलोग्राम पर पहुंच गए हैं. जानकारों का मानना है कि चांदी जल्द ही 1,90,000 रुपए का स्तर छू सकती है.
चांदी की कीमतों में यह असाधारण वृद्धि केवल त्योहारी मांग की वजह से नहीं है. इलेक्ट्रिक गाड़ियों, सोलर पैनल और हाई-टेक उत्पादों में चांदी की औद्योगिक मांग लगातार बढ़ रही है. साथ ही, वैश्विक अनिश्चितता और संकट के समय निवेशक इसे सुरक्षित निवेश के तौर पर खरीदते हैं. भारत में त्योहारी और शादी के सीजन ने मिलकर कीमतों को और बढ़ा दिया है.
देश में चांदी की कमी के मुख्य कारण
पिछले चार वर्षों में वैश्विक स्तर पर चांदी की मांग, उसकी आपूर्ति से अधिक रही है. इससे पहले के पांच सालों में बची हुई अतिरिक्त चांदी अब समाप्त हो चुकी है. इसके अलावा, चांदी का लगभग 70% हिस्सा दूसरी धातुओं की खदानों से निकलता है, इसलिए कीमत बढ़ने के बावजूद उत्पादन जल्दी नहीं बढ़ सकता. चांदी की मांग बढ़ने के तीन प्रमुख कारण हैं:-
औद्योगिक उपयोग: चांदी का इस्तेमाल सौर ऊर्जा, हाई-टेक इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर चिप बनाने में होता है. भारत ने हाल ही में सेमीकंडक्टर उद्योग में निवेश का ऐलान किया है, जिससे चांदी की जरूरत और बढ़ गई है.
निवेश का आकर्षण: देश में निवेशक चांदी के ETF में भारी पैसा लगा रहे हैं. इसका असर यह हुआ कि फिजिकल चांदी की कीमतों से लगभग 10% अधिक प्रीमियम पर ETF बिक रहा है.
त्योहारी खरीदारी: दीवाली और अन्य त्यौहारों में लोग सोना-चांदी खरीदते हैं. भारत में परंपरागत रूप से लोग चांदी के सिक्के, बर्तन और बार खरीदकर निवेश करते हैं.
चांदी आयात में आ रही मुश्किलें
आपको बता दें कि भारत अपनी जरूरत का 80% से अधिक चांदी आयात करता है, लेकिन 2025 के पहले आठ महीनों में चांदी के आयात में 42% की गिरावट दर्ज की गई. वैश्विक स्तर पर भी चांदी की मांग तेजी से बढ़ रही है और अमेरिका जैसे देशों ने बड़ी मात्रा में चांदी खरीदी है. इस वजह से भारत को विदेशी शिपमेंट बढ़ी कीमतों में खरीदने पड़ रहे हैं.
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