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एक्सिडेंट के समय प्रीमियम का भुगतान नहीं करने पर मिलेगा क्लेम? जानिए सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने कहा है कि ताजा मामले में प्रीमियम जमा करने की तारीख बीत चुकी थी और जिस दिन दुर्घटना हुई उस दिन पॉलिसी लैप्स हो चुकी थी.

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Dhirendra Kumar
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उच्चतम न्यायालय (Supreme Court)

उच्चतम न्यायालय (Supreme Court)( Photo Credit : NewsNation)

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एक्सिडेंट क्लेम बेनिफिट (Accident Benefit Claim) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक अहम सुनाया है. उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि ताजा मामले में प्रीमियम जमा करने की तारीख बीत चुकी थी और जिस दिन दुर्घटना हुई उस दिन पॉलिसी लैप्स हो चुकी थी. तयशुदा तारीख पर इंश्योरेंस प्रीमियम का भुगतान नहीं होने की वजह से पॉलिसी लैप्स हो गई थी. कोर्ट ने कहा कि दुर्घटना के बाद इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम का भुगतान किया गया और LIC को उस घटना के बारे में बाद में जानकारी दी गई. कोर्ट ने कहा कि जानकारी को गलत इरादे से छुपाया गया. ऐसे में एक्सिडेंट क्लेम के दावे को रिजेक्ट होना चाहिए और कोर्ट ने उस दावे को खारिज कर दिया. 

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क्या था मामला
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक व्यक्ति ने LIC से जीवन सुरक्षा योजना पॉलिसी खरीदी थी. इस पॉलिसी में व्यक्ति को 3.75 लाख रुपये का बीमा कवर मिला था और साथ में एक्सिडेंट डेथ के केस में अतिरिक्त 3.75 लाख रुपये का कवर था. व्यक्ति को हर छमाही प्रीमियम की किश्त का भुगतान करना था. व्यक्ति ने अगली किश्त का भुगतान नहीं किया और किश्त भुगतान में डिफॉल्ट हो गया है. उसके बाद उस व्यक्ति का एक्सिडेंट हो गया और बाद में उसकी मृत्यु हो गई. हालांकि एक्सिडेंट के बाद ही बकाया प्रीमियम का भुगतान कर दिया गया. LIC ने इंश्योरेंस का दावा करने वाले को 3.75 लाख रुपये का भुगतान कर दिया. हालांकि एक्सिडेंट बेनिफिट के दावे को रिजेक्ट कर दिया. LIC ने कहा कि जिस दिन व्यक्ति का एक्सिडेंट हुआ था उस समय प्रीमियम नहीं चुकाने की वजह से पॉलिसी लैप्स अवस्था में थी.

LIC के द्वारा एक्सिडेंट बेनिफिट क्लेम को देने से इनकार के बाद मृतक की पत्नी ने जिला उपभोक्ता अदालत का दरवाजा खटखटाया. जिला उपभोक्ता अदालत ने एलआईसी को एक्सिडेंट के दावे का भुगतान करने का निर्देश दिया. उसके बाद यह मामला राज्य उपभोक्ता फोरम के पास गया और वहां पर LIC की दलील को स्वीकार कर लिया गया. उसके बाद शिकायती ने नेशनल कंज्यूमर फोरम का दरवाजा खटखटाया और फोरम ने जिला फोरम के आदेश को बरकरार रखा. नेशनल कंज्यूमर फोरम ने LIC की अर्जी को खारिज करके एक्सिडेंट बेनिफिट के भुगतान का आदेश दिया. LIC ने नेशनल कंज्यूमर फोरम के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. 

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किश्त की भुगतान का सही समय पर नहीं किया गया और जब बकाये प्रीमियम का भुगतान किया गया तो LIC को एक्सिडेंट के बारे में जानकारी नहीं दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सबजानबूझकर और गलत इरादे से किया गया. कोर्ट ने कहा कि अतिरिक्त लाभ के तौर पर एक्सिडेंट क्लेम का फायदा नहीं दिया जा सकता है.

HIGHLIGHTS

  • जीवन सुरक्षा योजना पॉलिसी में व्यक्ति को 3.75 लाख रुपये का बीमा कवर मिला था 
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किश्त की भुगतान का सही समय पर नहीं किया गया
Accident Claims Supreme Court Accident Benefit Claim
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