रिटायरमेंट फंड बनाने के लिए NPS या PPF में कौन है बेहतर? जानिए यहां
शेयर बाजार से जुड़ा होने की वजह से NPS में निवेश से ज्यादा रिटर्न की संभावना रहती है. हालांकि PPF में सरकार के द्वारा एक निश्चित ब्याज दिया जाता है इसलिए इसमें निवेश पूरी तरह से सुरक्षित रहता है.
highlights
- PPF में इनकम टैक्स के 80C के तहत टैक्स डिडक्शन का लाभ मिलता है
- NPS में 80CCD(1B) के तहत 50,000 रुपये की अतिरिक्त छूट मिलती है
नई दिल्ली:
बुजुर्गो को रिटायरमेंट (Retirement) के बाद सामान्य जीवन जीने के लिए पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (Public Provident Fund-PPF) और नेशनल पेंशन सिस्टम (National Pension System-NPS) एक बेहतरीन साधन है. हालांकि दोनों ही प्रोडक्ट में कुछ अंतर भी हैं ऐसे में जब भी पीपीएफ (PPF) और एनपीएस (NPS) में से किसी एक का चुनाव करना होता है तो निवेशक असमंजस में पड़ जाते हैं. एनपीएस अकाउंट में शेयर बाजार की हिस्सेदारी अधिक होती है. शेयर बाजार (Share Market Latest News) से जुड़ा होने की वजह से एनपीएस में निवेश से ज्यादा रिटर्न (How To Become A Crorepati) की संभावना रहती है. हालांकि पीपीएफ में सरकार के द्वारा एक निश्चित ब्याज दिया जाता है इसलिए इसमें निवेश पूरी तरह से सुरक्षित रहता है.
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PPF की गणना
अगर कोई व्यक्ति एक साल में पब्लिक प्रॉविडेंट फंड में 1.5 लाख रुपये या 12,500 रुपये हर महीने जमा करता है और निवेश की अवधि के दौरान निवेशक को 7.1 फीसदी का ब्याज मिलता है तो पीपीएफ कैल्कुलेटर के मुताबिक 30 साल के बाद निवेशक को मैच्योरिटी अमाउंट 1,54,50,911 रुपये मिलेगा.
NPS की गणना
वहीं अगर कोई व्यक्ति NPS की स्कीम में 1.5 लाख रुपये सालाना या फिर 12,500 रुपये महीने जमा करता है और एन्युटी को 40 फीसदी रखा जाता है. एनपीएस कैल्कुलेटर के मुताबिक परिपक्वता अवधि पर व्यक्ति 1,70,94,940 रुपये अपने खाते से निकाल सकता है. साथ ही शेष 1,13,96,627 रुपये का उपयोग एन्युटी खरीदने में कर सकता है. उस रकम से व्यक्ति को हर महीने 56,983 रुपये की पेंशन मिलेगी.
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टैक्स छूट का फायदा
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड में किए गए निवेश के ऊपर इनकम टैक्स के सेक्शन 80C के तहत टैक्स डिडक्शन का लाभ मिलता है. पीपीएफ में परिप्कवाता पर मिलने वाली रकम और ब्याज भी कर मुक्त होती है. NPS में निवेश को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से Section 80CCD(1B) के तहत 50,000 रुपये की अतिरिक्त छूट मिलती है, जो कि सेक्शन 80CCE के तहत मिलने वाली 1.5 लाख रुपये की छूट के अतिरिक्त है.
जानकारों का कहना है कि अगर सिर्फ इन दोनों प्रोडक्ट में से किसी एक का चुनाव करना हो तो पीपीएफ अकाउंट के बजाए एनपीएस स्कीम ज्यादा बेहतर है. दरअसल, एनपीएस के जरिए रिटायरमेंट के समय ना सिर्फ आपको भरपूर पैसा मिलेगा बल्कि मासिक पेंशन की भी व्यवस्था हो जाएगी. बता दें कि पब्लिक प्रॉविडेंट फंड में एक वित्त वर्ष में 50 रुपये के गुणक में कितनी बार भी रकम जमा कर सकता है, लेकिन जमा रकम 1.5 लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए. पहले के नियम में एक वित्त वर्ष में 12 बार पैसे को जमा किया जा सकता था. PPF की परिपक्वता अवधि 15 साल है और केंद्र सरकार हर तीन महीने में इसके ऊपर मिलने वाले ब्याज दर की समीक्षा करती है. बता दें कि नेशनल पेंशन सिस्टम एक स्वैच्छिक पेंशन योगदान सिस्टम है. एनपीएस का प्रबंधन और नियमन पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) करती है.
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