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NSC पर कितना मिलता है ब्याज और क्या हैं टैक्स छूट के नियम, जानें यहां

निवेशकों को राष्ट्रीय बचत पत्र (National Saving Certificate-NSC) पर 31 मार्च 2020 तक सालाना 7.9 फीसदी का ब्याज मिलेगा.

Updated on: 11 Jan 2020, 08:52 AM

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार (Central Government) ने 31 मार्च 2020 तक के लिए एनएससी (NSC) यानि राष्ट्रीय बचत पत्र (National Saving Certificate) पर मिलने वाले ब्याज दर में कटौती नहीं की है. निवेशकों को 31 मार्च 2020 तक सालाना 7.9 फीसदी का ब्याज मिलेगा. आपको बता दें कि मौजूदा समय में पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (Public Provident Fund-PPF) पर भी 7.9 फीसदी ब्याज मिल रहा है. कोई भी निवेशक डाकघर (Post Office) के जरिए आसानी से एनएससी (NSC) खरीद सकते हैं. ज्यादातर डाकघरों में Core Banking Service शुरू हो जाने की वजह से इसे कहीं भी खरीदा और भुनाया जा सकता है.

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फिक्स्ड डिपॉजिट के मुकाबले NSC निवेश का शानदार विकल्प
जानकारों का कहना है कि बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) के मुकाबले NSC निवेश के विकल्प के रूप में शानदार तो है ही साथ ही टैक्स के मोर्चे पर भी निवेशक के लिए काफी फायदेमंद है. बता दें कि मौजूदा समय में ज्यादातर बैंकों की FD में 6.25 फीसदी के आस-पास सालाना ब्याज मिल रहा है. मतलब यह हुआ कि अगर आप NSC में निवेश करते हैं तो डेढ़ फीसदी से ज्यादा का सालाना रिटर्न हासिल कर सकते हैं.

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NSC पर मिलने वाले ब्याज के नियम
NSC में ब्याज (Inerest) का कैल्कुलेशन सालाना आधार पर होता है. हालांकि साल भर में जो भी ब्याज बनता है वो आपको हर साल भुगतान नहीं किया जाता है. इस ब्याज का भुगतान NSC के परिपक्व होने पर ही मिलता है. NSC के परिपक्व होने पर पूरी अवधि के ब्याज की गणना की जाती है. कुल ब्याज को निकालने के बाद खरीद मूल्य में जोड़कर निवेशक को पैसा वापस कर दिया जाता है.

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टैक्स छूट - Tax Benefits
एनएससी (NSC) के रूप में निवेश की गई राशि पर सरकार सेक्शन-80सी (Section-80C) के तहत टैक्स छूट है. हालांकि यह छूट एक वित्तीय वर्ष (Financial Year) में अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक ही मिल सकती है. NSC के ब्याज को आपको हर साल Income Tax Return में दिखाना जरूरी है. अधिक टैक्स छूट हासिल करने के लिए निवेशक हर साल 1.5 लाख की NSC खरीद सकते हैं. हालांकि एनएससी में निवेश करने के बाद होने वाली ब्याज आय टैक्स के दायरे में आती है. मतलब यह हुआ कि ब्याज आय आपके टैक्सेबल इनकम से जुड़ जाएगी.