logo-image

ग्रेच्युटी (Gratuity) के लिए अब नहीं करना होगा पांच साल का इंतजार, बिल पास

श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने तीनों श्रम सुधार विधेयकों पर हुई बहस का जवाब देते हुए कहा कि श्रम सुधारों का मकसद बदले हुए कारोबारी माहौल के अनुकूल पारदर्शी प्रणाली तैयार करना है.

Updated on: 24 Sep 2020, 03:03 PM

नई दिल्ली:

संसद ने बुधवार को तीन प्रमुख श्रम सुधार विधेयकों (Labor Reform Bills) को मंजूरी दे दी, जिनके तहत कंपनियों को बंद करने की बाधाएं खत्म होंगी और अधिकतम 300 कर्मचारियों वाली कंपनियों को सरकार की इजाजत के बिना कर्मचारियों को निकालने की अनुमति होगी. सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 के तहत अब ग्रेच्युटी के लिए पांच साल का इंतजार नहीं करना होगा.

यह भी पढ़ें: कोरोना वायरस से डरने की जरूरत नहीं, कोरोना कवच पॉलिसी है ना

अगर कर्मचारी नौकरी की शर्तों को पूरा करता है तो उसे निर्धारित फॉर्मूले के तहत गारंटीड तौर पर ग्रेच्‍युटी का भुगतान दिया जाएगा. राज्यसभा ने ध्वनि मत से औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा और व्यावसायिक सुरक्षा पर शेष तीन श्रम संहिताओं को पारित किया. इस दौरान आठ सांसदों के निष्कासन के विरोध में कांग्रेस, वामपंथी और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने राज्यसभा की कार्रवाई का बहिष्कार किया.

यह भी पढ़ें: सेबी प्रमुख ने मल्टी-कैप म्यूचुअल फंड योजनाओं के लिए कही ये बड़ी बात

राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा बिल
इन तीनों संहिताओं को लोकसभा ने मंगलवार को पारित किया था और अब इन्हें राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने तीनों श्रम सुधार विधेयकों पर हुई बहस का जवाब देते हुए कहा कि श्रम सुधारों का मकसद बदले हुए कारोबारी माहौल के अनुकूल पारदर्शी प्रणाली तैयार करना है. उन्होंने यह भी बताया कि 16 राज्यों ने पहले ही अधिकतम 300 कर्मचारियों वाली कंपनियों को सरकार की अनुमति के बिना फर्म को बंद करने और छंटनी करने की इजाजत दे दी है.

यह भी पढ़ें: इंश्योरेंस कंपनियों के लिए बड़ी खबर, इरडा ने दी ये बड़ी सुविधा

राज्यसभा में बुधवार को पारित हुए विधेयक संहिताएं

  • उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य तथा कार्यदशा संहिता 2020 (Occupational Safety, Health & Working Conditions Code)
  • औद्योगिक संबंध संहिता 2020 (Industrial Relations Code)
  • सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 (Code On Social Security)

गंगवार ने कहा कि रोजगार सृजन के लिए यह उचित नहीं है कि इस सीमा को 100 कर्मचारियों तक बनाए रखा जाए, क्योंकि इससे नियोक्ता अधिक कर्मचारियों की भर्ती से कतराने लगते हैं और वे जानबूझकर अपने कर्मचारियों की संख्या को कम स्तर पर बनाए रखते हैं. उन्होंने सदन को बताया कि इस सीमा को बढ़ाने से रोजगार बढ़ेगा और नियोक्ताओं को नौकरी देने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा.

यह भी पढ़ें: कोरोना कवच हेल्थ पॉलिसी का मिलता रहेगा फायदा, IRDA उठा सकता है ये बड़ा कदम

उन्होंने कहा कि ये विधेयक कर्मचारियों के हितों की रक्षा करेंगे और भविष्य निधि संगठन तथा कर्मचारी राज्य निगम के दायरे में विस्तार करके श्रमिकों को सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा प्रदान करेंगे. सरकार ने 29 से अधिक श्रम कानूनों को चार संहिताओं में मिला दिया था और उनमें से एक संहिता (मजदूरी संहिता विधेयक, 2019) पहले ही पारित हो चुकी है. इनमें किसी प्रतिष्ठान में आजीविका सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यदशा को विनियमित करने, औद्योगिक विवादों की जांच एवं निर्धारण तथा कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा संबंधी प्रावधान किये गए हैं.