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नेट एसेट वैल्यू (NAV) क्या है और कैसे तय होती है, आसान भाषा में समझें

नेट एसेट वैल्यू (Net Asset Value-NAV) से आशय निवेश की मार्केट वैल्यू से है. म्यूचुअल फंड (MF) में निवेश की प्रति यूनिट के आधार पर नेट एसेट वैल्यू को तय किया जाता है.

Updated on: 14 Nov 2019, 12:37 PM

नई दिल्ली:

म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) के निवेशकों के लिए नेट एसेट वैल्यू (NAV) की हर बारीकी को समझना सभी निवेशकों के लिए काफी अहम है. अगर आप NAV की बारिकियों को समझ गए तो म्यूचुअल फंड में निवेशित रकम की गणना और रिटर्न काफी आसानी से कर पाएंगे. दरअसल, नेट एसेट वैल्यू (Net Asset Value-NAV) से आशय निवेश की मार्केट वैल्यू से है. म्यूचुअल फंड (MF) में निवेश की प्रति यूनिट के आधार पर नेट एसेट वैल्यू को तय किया जाता है.

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ऐसे होती है NAV की गणना
प्रति यूनिट की NAV निकालने के लिए म्यूचुअल फंड (MFs) के पास जमा रकम समेत पोर्टफोलियो के सभी शेयरों के बाजार भाव के कुल योग में से देनदारियों को घटाने के बाद बकाया जो बचता है उसे यूनिट की कुल संख्या से विभाजित करके निकालते हैं. एसेट मैनेजमेंट कंपनी किसी भी फंड की NAV की गणना हर दिन के कारोबार के अंत में करती है. बता दें कि बाजार में मौजूद सिर्फ ETF की NAV मार्केट के साथ-साथ चलती है. NAV = (Assets-Liabilities) / Total Number of Units

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म्यूचुअल फंड में यूनिट की बेस वैल्यू 10 रुपये या 100 रुपये होती है. फंड के पोर्टफोलियो के बाजार भाव के अनुसार ही यूनिट का NAV कम या बढ़ता रहता है. NAV किसी म्यूचुअल फंड के यूनिट के ग्रोथ को दर्शाती है. मतलब ये है कि अगर किसी फंड में 20 रुपये प्रति यूनिट की NAV पर निवेश किया जाता है और 1 साल बाद उस यूनिट की NAV 40 रुपये प्रति यूनिट हो जाती है तो माना जाता है कि उस फंड ने 100 फीसदी का शानदार रिटर्न दिया है.

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हालांकि कई निवेशकों में गलत धारणा है कि कम NAV वाला फंड अच्छा रिटर्न देता है और ज्यादा NAV वाला फंड कम रिटर्न देता है, लेकिन ऐसा नहीं है. दरअसल, भविष्य में किसी फंड का प्रदर्शन कैसा रहेगा इसका आकलन नहीं किया जा सकता है. बता दें कि फंड का प्रदर्शन निवेशित इंस्ट्रूमेंट के प्रदर्शन के आधार पर निर्भर करता है.