logo-image

हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) लेने वालों के लिए खुशखबरी, अब गंभीर बीमारियां (Critical Illness) भी होंगी कवर

Health Insurance: IRDA का कहना है कि कैटेरेक्ट सर्जरी, नी कैप रिप्लेसमेंट, अल्जाइमर और पार्किंसन्स जैसी गंभीर बीमारियों (Critical Illness) को भी अब इंश्योरेंस कंपनियों को कवर करना होगा.

Updated on: 01 Oct 2019, 10:22 AM

नई दिल्ली:

हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) पॉलिसी लेने वाले लाखों लोगों के लिए खुशखबरी है. दरअसल, बीमा कंपनियां (Insurance Companies) मानसिक रोग, उम्र संबंधी बीमारी, जन्मजात बीमारी आदि बीमारी को अब हेल्थ कवर (Health Cover) से बाहर नहीं रख पाएंगी. बीमा नियामक इंश्योरेंस एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (IRDA) के ताजा फैसले से लाखों हेल्थ इंश्योरेंस होल्डर्स को बहुत फायदा होने जा रहा है. IRDA का कहना है कि कैटेरेक्ट सर्जरी, नी कैप रिप्लेसमेंट, अल्जाइमर और पार्किंसन्स जैसी गंभीर बीमारियों (Critical Illness) को भी अब इंश्योरेंस कंपनियों को कवर करना होगा.

यह भी पढ़ें: आज से बदलने जा रही है आपकी जिंदगी, हो जाएंगे ये 10 बड़े बदलाव

वेटिंग पीरिएड के खत्म होने के बाद देना होगा कवर
नए फैसले के तहत फैक्टरियों में काम करने वाले, खतरनाक रसायनों के साथ काम करने वाले कर्मचारी जिनके स्वास्थ्य पर इसका काफी खराब असर पड़ता है. उन्हें भी अब कंपनियां इलाज से इनकार नहीं कर पाएंगी. IRDA ने बीमारियों को दायरे से बाहर करने के लिए अब मानकीकरण कर दिया है.

यह भी पढ़ें: Gold Price Today 1 Oct: लुढ़क गए सोना-चांदी, मौजूदा भाव पर क्या करें ट्रेडर्स, देखें टॉप ट्रेडिंग कॉल्स

मतलब ये है कि अब अगर कोई इंश्योरेंस कंपनी किसी गंभीर बीमारी जैसे HIV एड्स, किडनी की बीमारी या अन्य कोई भी अन्य बीमारी को कवर नहीं करना चाहती है तो कंपनी को उसके लिए एक खास शब्द का प्रयोग करना होगा. उसके लिए भी कंपनी को वेटिंग पीरिएड (30 दिन से 1 साल) रखना होगा. हालांकि वेटिंग पीरिएड खत्म होने के बाद कंपनी को कवर देना होगा.

यह भी पढ़ें: Rupee Open Today 1 Oct: भारतीय रुपया हो गया मजबूत, जानें आज की बेहतरीन ट्रेडिंग टिप्स

बजाज आलियांज जनरल इश्योरंस के चीफ (रिटेल अंडरराइटिंग) गुरदीप सिंह बत्रा का कहना है कि मेडिकल ट्रीटमेंट के विकास के साथ ही नई-नई बीमारियां भी सामने आ रही हैं. बीमा कंपनियां अब उन बीमारियों को भी कवर कर पाएंगी. हालांकि जहां यह कदम आम आदमी के लिए अच्छा माना जा रहा है. वहीं दूसरी ओर TPA और ब्रोकर्स इस फैसले पर संदेह जता रहे हैं.

यह भी पढ़ें: ​​​​​Petrol Price Today 1 Oct: आम आदमी का लगा बड़ा झटका, महंगा हुआ पेट्रोल-डीजल

उनका कहना है कि यह फैसला आम आदमी के लिए भले ही अच्छा हो लेकिन भविष्य में देखना पड़ेगा कि प्रीमियम में कितना बदलाव आता है. बता दें कि नवंबर 2018 में वर्किंग कमेटी ने IRDA को सौंपी रिपोर्ट में कहा गया था कि इंश्योरेंस कंपनियां अल्जाइमर, पार्किंसन्स, एचआईवी या एड्स जैसी बीमारी को कवर से बाहर नहीं कर सकतीं हैं.