EPFO ने अप्रैल-मई के दौरान 11,540 करोड़ रुपये के 36.02 लाख दावों के निपटान किए

EPFO के मुताबिक कुल दावों में से 15.54 लाख दावे कोविड-19 संकट से राहत देने के लिये प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) के तहत ईपीएफ (EPF) से पैसा निकालने की दी गयी अनुमति से संबद्ध थे.

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Dhirendra Kumar
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Employees Provident Fund Organisation-EPFO

Employees Provident Fund Organisation-EPFO( Photo Credit : फाइल फोटो)

Employees Provident Fund Organisation-EPFO: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने ‘लॉकडाउन’ के दौरान पिछले दो महीनों में 36.02 लाख दावों के निपटान किये और अपने सदस्यों को 11,540 करोड़ रुपये वितरित किये. श्रम मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘कोविड-19 के चुनौतीपूर्ण समय के दौरान सदस्यों के लिये चीजों को आसान बनाने के इरादे से ईपीएफओ ने अपने सदस्यों को समय पर सेवा देने को लेकर हर संभव प्रयास किये. ईपीएफओ के अनुसार ‘लॉकडाउन’ की पाबंदियों के बावजूद ईपीएफओ ने अप्रैल-मई के दौरान 36.02 लाख दावों के निपटान किये और अपने सदस्यों को 11,540 करोड़ रुपे वितरित किये.

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15 हजार से कम वेतन वाले कर्मचारियों को मिली बड़ी राहत
बयान में कहा गया है कि कुल दावों में से 15.54 लाख दावे कोविड-19 संकट से राहत देने के लिये प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) के तहत ईपीएफ (EPF) से पैसा निकालने की दी गयी अनुमति से संबद्ध थे. इसके तहत कुल 4,580 करोड़ रुपये वितरित किये गये. इन कठिन समय में ईपीएफओ सदस्यों खासकर जिनका मासिक वेतन 15,000 रुपये से कम है, उन्हें भविष्य निधि (Provident Fund) खाते से निकालने की अनुमति से बड़ी राहत मिली. कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Epidemic) से राहत देने के लिये पीएमजीकेवाई के तहत अंशधारकों को तीन महीने का वेतन (मूल वेतन और महंगाई भत्ते) या सदस्यों के खाते में जमा रकम का 75 प्रतिशत, जो भी कम हो, निकालने की अनुमति दी गयी थी. इससे कई कामगारों को राहत मिली.

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आंकड़ों के अनुसार कुल दावाकर्ताओं में 74 प्रतिशत से अधिक वे लोग थे जिनका मासिक वेतन 15,000 रुपये से कम है. ईपीएफओ के अनुसार करीब 24 प्रतिशत दावा उन लोगों के थे जिनका वेतन 15,000 रुपये से 50,000 रुपये के बीच था. वहीं 50,000 रुपये से अधिक के वेतन वाली श्रेणी में दावा केवल 2 प्रतिशत रहा. बयान के अनुसार ‘लॉकडाउन’ के दौरान सामाजिक दूरी का पालन करते हुए ईपीएफओ ने 50 प्रतिशत से कम कर्मचारियों के साथ काम किया. कर्मचारियों की कमी के बावजूद दावों का निपटान समय पर किया गया. कोरोना संकट से निपटने के लिये किये गये दावों के निपटान करीब 10 दिन से कम कर लगभग 3 दिन में किये गये.

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