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अगर आपका कटता है PF तो उठा सकते हैं पेंशन का लाभ, जानें कैसे बुढ़ापे को कर सकते हैं सुरक्षित

ईपीएफओ के अधिकतर अंशधारकों जिन्हें पेंशन स्कीम के बारे में नहीं पता उन्हें इस बाबत जानकारी जरूर होनी चाहिए, ताकि उनका वृद्धा अवस्था सुरक्षित हो सके.

Updated on: 24 Nov 2019, 08:04 PM

नई दिल्ली:

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) भारत की एक राज्य प्रोत्साहित अनिवार्य अंशदायी पेंशन और बीमा योजना प्रदान करने वाला शासकीय संगठन है. कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित रखने का काम EPFO करती है. लेकिन बहुत सारे ऐसे कर्मचारी हैं जिनका पीएफ (PF) कटता है उन्हें पता नहीं होगा कि वो रिटायरमेंट के बाद उन्हें पेंशन मिल सकता है. लेकिन उन्हें सही वक्त पर एक स्कीम सर्टिफिकेट लेना पड़ता है.

ईपीएफओ के अधिकतर अंशधारकों जिन्हें पेंशन स्कीम के बारे में नहीं पता उन्हें इस बाबत जानकारी जरूर होनी चाहिए, ताकि उनका वृद्धा अवस्था सुरक्षित हो सके. बता दें कि एंप्लॉयीज पेंशन स्कीम के तहत देशभर में लगभग 3.30 लाख पेंशनधारक हैं.

EPF के तहत कौन पेंशन के लिए होता है पात्र

जिन कर्मचारियों का ईपीएफओ में बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते (DA) का 8.33 प्रतिशत कटता है वो पेंशन के पात्र होते हैं. हालांकि, इसके लिए 1,250 रुपये की अधिकतम सीमा निर्धारित की गई है. एंप्लॉयी पेंशन स्कीम (EPS) में 1,250 रुपए जमा होता है वो पेंशन के पात्र होते हैं.

EPFO के अशंधारक 58 साल में रिटायर्मेंट के आयु में पेंशन के पात्र हो जाते हैं. अगर वो 50 साल या उसके बाद नौकरी छोड़ देते हैं तब भी पेंशन का लाभ उठा सकते हैं. हालांकि इसमें रकम थोड़ी कम हो जाएगी.

दूसरा अगर आप 58 साल बाद भी काम जारी रखते हैं और आपका ईपीएफ में पैसे कट रहे तब भी आप भी आपको पेंशन मिलेगा.

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अगर आपका ईपीएफ में 10 साल से कम समय तक पैसे कटते हैं, यानी आपका योगदान 10 साल है तब भी 58 साल की उम्र में पेंशन मिलेगा. आप इसे एक बार में निकाल सकते हैं या फिर पेंशन के रूप में हर महीने लाभ उठा सकते हैं. ईपीएफ अंशधारक की मृत्यु पर उसके जीवनसाथी को पेंशन का लाभ मिलता है.

वहीं अगर आपका ईपीएफओ में योगदान महज छह महीने का होगा तब आप पेंशन के पात्र नहीं होंगे.

पेंशन का निर्धारण होता है कैसे

अब आप सोच रहे होंगे कि पेंशन आपको कितना मिलेगा इसका निर्धारण कैसे होता है. तो बताते हैं आपके पेंशन का निर्धारण कैसे किया जाता है. पेंशनेबल सैलरी (अंतिम 60 महीने का औसत) को पेंशनेबल सर्विस से गुना करने के बाद योगफल को 70 से भाग देकर किया जाता है. इस स्कीम के तहत आप न्यूनतम 1,000 रुपये का पेंशन पा सकते हैं.

पेंशन का दावा करने के लिए आपके पास स्कीम सर्टिफिकेट होना जरूरी होता है. स्कीम सर्टिफिकेट पेंशन के लिए एक पॉलिसी की ही तरह है. इसकी मदद से आपको जॉब बदलने पर पेंशन ट्रांसफर करने की सुविधा मिलती है. कम से कम 10 सालों तक और 58 साल से कम आयु तक EPF में योगदान करने वाले अंशधारकों को पेंशन पाने के लिए स्कीम सर्टिफिकेट देना जरूरी होता है. अगर स्कीम सर्टिफिकेट होल्डर की मौत हो जाती है तो पेंशन उसके परिवार को मिलता है.

नई नौकरी बदलते वक्त रखे इसका ख्याल 

स्कीम सर्टिफिकेट को जॉब स्वीच करते वक्त जरूर लेना चाहिए. अंशधारकों को अपने पीएफ को ईपीएफओ पोर्टल पर नई कंपनी में ट्रांसफर करवा लेना चाहिए. अगर नई कंपनी ईपीएफ के दायरे में नहीं है तो आप बाद में पेंशन लेने के लिए स्कीम सर्टिफिकेट ले सकते हैं.

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अगर कोई कर्मचारी महज 10 साल तक ही ईपीएफ में योगदान दिया हो और आगे काम करने का इरादा नहीं तो वो स्कीम सर्टिफिकेट 50 साल के बाद ले सकते हैं. इसके लिए आपको फॉर्म 10C भरने की जरूरत होती है.